दिव्यांग छात्रा का आरोप, धोखे से करवाया जा रहा है SCVT का कोर्स (Video)

Edited By Ekta, Updated: 13 Jun, 2018 03:54 PM

दृष्टिहीन दिव्यांग छात्रा रजनी बाला आज न्याय के लिए दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर है। रजनी का आरोप है कि सुंदरनगर स्थित दिव्यांगों की आईटीआई उसके साथ धोखा कर रही है। उसने कहा कि वो एनसीवीटी का कोर्स करना चाहती है जबकि उससे धोखे से एससीवीटी का कोर्स...

मंडी (नीरज): दृष्टिहीन दिव्यांग छात्रा रजनी बाला आज न्याय के लिए दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर है। रजनी का आरोप है कि सुंदरनगर स्थित दिव्यांगों की आईटीआई उसके साथ धोखा कर रही है। उसने कहा कि वो एनसीवीटी का कोर्स करना चाहती है जबकि उससे धोखे से एससीवीटी का कोर्स करवाया जा रहा है। अब वह न्याय पाने के लिए दर-दर भटक रही है और आईटीआई प्रबंधन से लेकर जिला के प्रशासनिक अधिकारी उसे सीएम के पास जाने की सलाह दे रहे हैं। 25 वर्षीय रजनी बाला मूलतः हमीरपुर जिला की बडसर तहसील के चरचेहड़ी गांव की रहने वाली है। लेकिन रजनी बाला के परिजन दिल्ली में रहते हैं और वह भी अपने परिवार के साथ वहीं पर रहती है। 
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पिछले साल जब सुंदरनगर स्थित दिव्यांगों की आईटीआई में दाखिले शुरू हुए तो उसने भी इसके लिए आवेदन किया। वह सुंदरनगर स्थित दिव्यांगों की आईटीआई से कोपा यानी कम्प्यूटर आपरेटर एंड प्रोग्रामिंग असिस्टेंट का कोर्स कर रही है। उसने दाखिले से पहले ही स्पष्ट कर दिया कि वो एनसीवीटी के तहत कोर्स करना चाहती है। किसी ने उसकी बात को गंभीरता से नहीं लिया और उसका एससीवीटी के तहत दाखिला करवा दिया। कोर्स के दौरान रजनी को मालूम हुआ कि उससे एससीवीटी के तहत कोर्स करवाया जा रहा है। इस बात को लेकर जब उसने प्रबंधन से बात की तो प्रबंधन कभी लारे लगाता रहा तो कभी इसकी बात को अनसुना करता रहा। अभी रजनी की पढ़ाई जारी है और 31 जुलाई को उसका कोर्स पूरा हो रहा है। उसका कहना है कि वो ट्रेनिंग के बाद वापिस दिल्ली अपने परिवार के पास चली जाएगी और वहीं पर नौकरी करना चाहती है, लेकिन एससीवीटी का कोर्स उसके किसी काम आने वाला नहीं है। 
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एनसीवीटी और एससीवीटी में अंतर
यहां हम आपको बता दें कि एनसीवीटी यानी नेशनल काउंसिल ऑफ वोकेशनल ट्रेनिंग और एससीवीटी यानी स्टेट काउंसिल ऑफ वोकेशनल ट्रेनिंग में जमीन-आसमान का अंतर है। एनसीवीटी का सर्टिफिकेट पूरे भारत सहित 170 देशों में मान्य होता है जबकि उनको खुद उस प्रदेश के अधिकतर विभाग मान्यता नहीं देते। एससीवीटी करने के बाद छात्र को एनसीवीटी करनी पड़ती है जिसके बाद ही उसे एक अंतरराष्ट्रीय स्तर का सर्टिफिकेट मिल पाता है।


रजनी का प्रबंधन पर यह भी आरोप है कि वहां फीस के नाम पर उनसे जो पैसा लिया जा रहा है उसकी रसीदें उन्हें नहीं दी जा रही है। जब कभी वो रसीदें मांगते हैं तो आनाकानी की जाती है। रजनी ने बताया कि पहले बहुत सी बातें क्लीयर नहीं की गई और बाद में तरह-तरह की फीसें और जुर्माने मांगकर इन जैसे छात्रों को परेशान किया जाता है। जब इस बारे में आईटीआई सुंदरनगर के प्रधानाचार्य आरएस बनयाल से बात की गई तो उन्होंने बताया कि छात्रा ने दाखिला लेने से पहले अंडरटेकिंग फार्म भी भरा था और उसने खुद एससीवीटी का चयन किया था। उन्होंने बताया कि संस्थान में एससीवीटी के ही कोर्स करवाए जा रहे हैं और ऐसा कोई प्रावधान नहीं कि छात्रा को एनसीवीटी का सर्टिफिकेट दिया जा सके।

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