Kangra: अस्पतालों में धूल फांक रही अल्ट्रासाऊंड मशीनें, निजी अस्पतालों में लुट रहे मरीज

Edited By Kuldeep, Updated: 24 May, 2025 04:36 PM

bhawarna dheera ultrasound machines dust

सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र धीरा और सिविल अस्पताल भवारना में अल्ट्रासाऊंड मशीनें धूल फांक रही हैं। दो वर्ष से अधिक समय बीत जाने के बाद भी अस्पतालों में यह सुविधा उपलब्ध नहीं हुई है।

भवारना/धीरा (अतुल/गगन): सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र धीरा और सिविल अस्पताल भवारना में अल्ट्रासाऊंड मशीनें धूल फांक रही हैं। दो वर्ष से अधिक समय बीत जाने के बाद भी अस्पतालों में यह सुविधा उपलब्ध नहीं हुई है। भवारना अस्पताल में रोजाना लगभग 300 मरीज इलाज के लिए पहुंच रहे हैं। दो साल पहले यहां तैनात रेडियोलॉजिस्ट का पालमपुर अस्पताल में तबादला कर दिया गया था, उसके बाद यह सुविधा बिल्कुल बंद हो गई है। मरीजों का दर्द तब और बढ़ जाता है जब पालमपुर अस्पताल में जाकर वहां भी 10 से 15 दिन बाद की तारीख दी जाती है। इसी का फायदा निजी अस्पतालों को हो रहा है। बता दें कि भवारना अस्पताल में 24 करोड़ रुपए की लागत से बड़ा भवन बनाया जा रहा है। बीएमओ भवारना डा. नवीन राणा ने बताया कि सीएमओ को इस बारे में पत्र लिखा गया है। सीएमओ ने शीघ्र एक रेडियोलॉजिस्ट सिविल अस्पताल भवारना भेजने का आश्वासन दिया है।

उधर, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र धीरा में प्रदेश की पूर्व भाजपा सरकार के कार्यकाल में तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री और स्थानीय विधायक विपिन सिंह परमार ने चंगर क्षेत्र की जनता को अल्ट्रासाऊंड सुविधा उपलब्ध करवाने के लिए वर्ष 2019 में भवारना अस्पताल से मशीन की व्यवस्था धीरा के सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में करवाई थी और सप्ताह में एक बार रेडियोलॉजिस्ट की सेवाएं धीरा में आरंभ करवाई थीं। उस समय प्रति सप्ताह औसतन करीब 25 से 30 मरीजों का अल्ट्रासाऊंड टैस्ट धीरा में किया जाता था। बाद में रेडियोलॉजिस्ट के धीरा न आने से अल्ट्रासाऊंड सुविधा बंद हो गई और लाखों की लागत की अल्ट्रासाऊंड मशीन अस्पताल के एक कमरे में बंद पड़ी है।

और टांडा में नम्बर नहीं आता
धीरा और भवारना निजी अस्पताल भी नहीं हैं। अत: दोनों अस्पतालों में चिकित्सकों द्वारा मरीजों को लिखे जाने वाले अल्ट्रासाऊंड टैस्ट के लिए मरीजों को पालमपुर, टांडा आदि सरकारी अस्पतालों या दूरदराज स्थित निजी अस्पतालों का रुख करना पड़ता है। पालमपुर, टांडा आदि सरकारी अस्पतालों में तो अल्ट्रासाऊंड टैस्ट करवाने के लिए कई दिनों तक मरीजों का नंबर ही नहीं आता है जबकि दूसरी ओर निजी अस्पतालों में अल्ट्रासाऊंड टैस्ट करवाने के लिए भारी भरकम राशि अदा करनी पड़ती है। सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र धीरा में अल्ट्रासाऊंड टैस्ट की सुविधा न होने से धीरा सहित नौरा, भद्रोल, डईं, कुहाणा, गगल, गगल खास, पनापर, सिहोटू, कुरल, चौकी, काहनफट, रझूं, पीरा, झरेट, पुड़बा, बलोटा, क्यारबां आदि पंचायतों के हजारों बाशिंदों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

पंचायत प्रधान प्रस्ताव डालकर सरकार को भेजेंगे
धीरा पंचायत प्रधान कविता धरवाल कहती है कि शीघ्र ही आसपास की पंचायतों के साथ एक संयुक्त प्रस्ताव डाल कर धीरा में रेडियोलॉजिस्ट की व्यवस्था करवाने की सरकार से अपील की जाएगी। भदरोल के पंचायत प्रधान मान सिंह राणा व गग्गल खास के उपप्रधान भट्टू सिंह कहते हैं कि धीरा में सरकार को रेडियोलॉजिस्ट की व्यवस्था शीघ्र करवाने के लिए कदम उठाना चाहिए। कुहाना के पंचायत उपप्रधान राकेश मेहता कहते हैं कि यहां विभाग को बेशक सप्ताह में एक दिन के लिए ही रेडियोलॉजिस्ट की व्यवस्था की जानी चाहिए।

पूर्व स्वास्थ्य मंत्री और विधायक सुलह विपिन सिंह परमार का कहना है कि भाजपा सरकार के कार्यकाल में धीरा में अल्ट्रासाऊंड मशीन लगवाई गई थी और रेडियोलॉजिस्ट की भी व्यवस्था करवाई थी। टांडा जैसे बड़े स्वास्थ्य संस्थान भी विभिन्न सुविधाओं के बिना चल रहे हैं।

अध्यक्ष हिमाचल प्रदेश राज्य सहकारी कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक संजय चौहान का कहना है कि धीरा के सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में रेडियोलॉजिस्ट की व्यवस्था करवाने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं और शीघ्र ही धीरा अस्पताल में अल्ट्रासाऊंड टैस्ट की सुविधा जनता को मिल जाएगी।

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