Edited By Vijay, Updated: 01 Nov, 2024 10:56 PM
हिमाचल प्रदेश के सबसे बड़े औद्योगिक क्षेत्र बद्दी की हवा इस साल की सबसे दूषित स्तर पर पहुंच गई है। दिवाली की रात चले पटाखों से बद्दी की हवा दूषित हो गई है।
सोलन (ब्यूरो): हिमाचल प्रदेश के सबसे बड़े औद्योगिक क्षेत्र बद्दी की हवा इस साल की सबसे दूषित स्तर पर पहुंच गई है। दिवाली की रात चले पटाखों से बद्दी की हवा दूषित हो गई है। बद्दी का एक्यूआई लेवल 316 माइक्रो ग्राम तक पहुंच गया है। एक्यूआई लेवल 300 से अधिक होने पर हवा अधिक दूषित मानी जाती है। प्रदेश के सबसे बड़े औद्योगिक क्षेत्र बीबीएन के बद्दी में पिछले वर्ष दिवाली पर एक्यूआई 96 माइक्रो ग्राम रिकॉर्ड किया गया था लेकिन इस बार दिवाली पर यह बढ़कर 316 माइक्रो ग्राम तक पहुंच गया। ऐसा नहीं है कि यह पटाखे चलाने के कारण ही बढ़ा है। पिछले एक महीने से जिला सोलन में बारिश की एक बूंद भी नहीं गिरी है। इसके कारण धूल-मिट्टी भी हवा में घुल गई है। एक्यूआई के बढ़ने का भी यह बड़ा कारण हो सकती है। वर्ष 2022 में दीवाली पर बद्दी का एक्यूआई 157 माइक्रो ग्राम तक पहुंच गया था।
परवाणू का एक्यूआई 122 माइक्रो ग्राम दर्ज
प्रदेश के सबसे पुराने औद्योगिक क्षेत्र परवाणू में भी इस बार दिवाली पर एक्यूआई 122 माइक्रो ग्राम तक पहुंच गया है जबकि पिछले वर्ष दिवाली पर यह 87 माइक्रो ग्राम रिकॉर्ड किया गया था जबकि वर्ष 2022 में दिवाली पर परवाणू का एक्यूआई 83 माइक्रो ग्राम रिकॉर्ड किया गया था। दिवाली पर इस बार परवाणू का एक्यूआई 100 के आंकड़े को पार कर गया है। पहले वहां की हवा संतोषजनक थी लेकिन 100 पार करते ही हवा अब औसत की श्रेणी में आ गई है।
पांवटा साहिब का एक्यूआई 120 माइक्रो ग्राम रहा
जिला सिरमौर के पांवटा साहिब में पिछले वर्ष की तुलना में इस बार अधिक पटाखे चले हैं। इस बार पांवटा साहिब का एक्यूआई लेवल 120 माइक्रो ग्राम रहा है जबकि पिछले वर्ष यह 111 था। वर्ष 2022 में एक्यूआई लेवल 123 माइक्रो ग्राम था।
कितनी हवा खराब होती है
0 से 50 के बीच का एक्यूआई अच्छा माना जाता है।
51 से 100 के बीच का एक्यूआई संतोषजक माना जाता है।
101 से 200 के बीच एक्यूआई औसत
201 से 300 के बीच एक्यूआई खराब
201 से 400 के बीच एक्यूआई बहुत खराब
क्या होता है एक्यूआई
एक्यूआई वायुमंडल में घूमने वाली खतरनाक गैस को मापने का जरिया है। यह हवा के जरिए गले, श्वास नली और फेफड़ों तक पहुंच जाता है। इससे अस्थमा व सांस के रोगों की शुरूआत होने का भय रहता है। धूल के कारण चर्म रोग और आंखों में भी जलन होती है।
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