विधानसभा मानसून सत्र: ट्रिब्यूनल मामले को लेकर विपक्ष का सदन से वॉकआउट

Edited By Ekta, Updated: 29 Aug, 2019 02:37 PM

assembly monsoon session

विधानसभा के मॉनसून सत्र के 9वें दिन सदन में 3 महत्वपूर्ण विधेयकों पर चर्चा की गई और चर्चा के बाद विधेयकों को पास भी किया गया। प्रदेश सरकार ने ट्रिब्यूनल कोर्ट को बंद करने के फैंसले के पक्ष में सदन में विधेयक लाया जिसका विपक्ष ने विरोध किया और सदन से...

शिमला (योगराज): विधानसभा के मॉनसून सत्र के 9वें दिन सदन में 3 महत्वपूर्ण विधेयकों पर चर्चा की गई और चर्चा के बाद विधेयकों को पास भी किया गया। प्रदेश सरकार ने ट्रिब्यूनल कोर्ट को बंद करने के फैंसले के पक्ष में सदन में विधेयक लाया जिसका विपक्ष ने विरोध किया और सदन से वॉकआउट कर दिया। विधेयक को लेकर कांग्रेस विधायक हर्षवर्धन चौहान ने कहा कि ट्रिब्यूनल बंद होने से कर्मचारियों के पैसे के साथ समय की बर्बादी होगी। क्योंकि 39 हजार 285 मामले हाई कोर्ट में मामले विचाराधीन है और 21 हजार केस ट्रिब्यूनल से हाईकोर्ट में ट्रांसफर हो जाएगें जिससे हाई कोर्ट पर बोझ बढ़ जाएगा। सरकार कर्मचारियों की ट्रांसफर करके उनको प्रताड़ित करना चाह रही है लेकिन ट्रिब्यूनल कोर्ट इसमें आड़े आ रहा है तभी सरकार ने ट्रिब्यूनल को बंद कर रही है। 

सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि भाजपा सरकार कर्मचारी विरोधी है। कांग्रेस सरकार के समय में 2012 में हाईकोर्ट में कर्मचारियों के 4 हजार केस थे जिसमें 500 का ही फैसला हो सका है जबकि कांग्रेस ने ट्रिब्यूनल को बहाल किया और 16 में 14 हजार कर्मचारियों को ट्रिब्यूनल से न्याय मिला। उन्होंने कहा कि हरियाणा में भी भाजपा सरकार है और हरियाणा ट्रिब्यूनल कोर्ट की मांग कर है। विधायक राकेश सिंघा ने भी विधेयक में चर्चा में भाग लेते हुए कहा कि सरकार लोकतंत्र के बजाय ऑर्डिनेंस पर विश्वास कर रही है। सरकार पैसे की बर्बादी का हवाला देकर ट्रिब्यूनल को बंद करना चाह रही अगर ऐसा है तो सरकार के मंत्रियों को बड़ी-बड़ी गाड़ियां छोड़कर छोटी गाड़ियां इस्तेमाल करनी चाहिए जिससे खर्चा बचेगा। ट्रिब्यूनल के बंद होने से कर्मचारियों को न्याय मिलने में देरी होगी। इसलिए सरकार इस पर पुनर्विचार करें। 

जवाब में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने बताया कि पूरे देश मे केवल 6 राज्यों में ही ट्रिब्यूनल कोर्ट है। सरकार ने सभी लोगों और कर्मचारियों के साथ चर्चा के बाद ट्रिब्यूनल कोर्ट को बंद करने का फैसला लिया है। हर जगह राजनीति के भावना से विरोध करना गलत है। केवल राजनीति की भावना से फैसला नहीं लिया है सरकार ने सभी पहलुओं पर विचार विमर्श करके ट्रिब्यूनल को बंद करने का निर्णय लिया है। ट्रिब्यूनल में अभी 21 हजार मामले लंबित हैं जिनका निपटारा नहीं हो सका है। मुख्यमंत्री के जवाब से असंतुष्ट विपक्ष ने सदन में नारेबाजी करनी शुरू कर दी और सदन से वाकआउट कर दिया। मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि सरकार कर्मचारी विरोधी फैसले ले रही है। मुख्यमंत्री ने सदन में कहा कि उन्होंने विधायकों से चर्चा के बाद यह फैसला लिया है लेकिन विपक्ष के एक भी विधायक के साथ मामले को लेकर चर्चा नहीं की है।

सीपीएम के ठियोग विधानसभा क्षेत्र से विधायक राकेश सिंघा ने भी विपक्ष के साथ ट्रिब्यूनल को बंद करने के विधेयक पर वॉकआउट किया। वीरभद्र सिंह ने भी सरकार के ट्रिब्यूनल को बंद करने के फैसले को गलत ठहराते हुए कहा कि ट्रिब्यूनल बंद होने से तृतीय व चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों को हाई कोर्ट से जल्द और सस्ता न्याय नहीं मिल पाएगा। इससे पहले सदन में हिमाचल प्रदेश धर्म की स्वतंत्रता विधेयक 2019 की पुनर्स्थापना की गई।इसके बाद मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने हिमाचल प्रदेश लोक सेवा गारंटी अधिनियम 2011 को संशोधन और विधिमान्यकरण के लिए सदन में रखा जिस पर विधायक राकेश सिंघा और नेता प्रतिपक्ष ने कुछ आपत्ति जाहिर की ।जिसका संसदीय कार्य मंत्री और मुख्यमंत्री ने जवाब दिया।सुरेश भारद्वाज ने कहा कि 2011 में भाजपा सरकार के समय में यह विधेयक सदन में लाया गया था। लेकिन 2012 में भाजपा सरकार सत्ता से बाहर हो गई थी। बिल में काफी खामियां थी कांग्रेस सरकार ने खामियों को दूर नहीं किया और अधिसूचना को नोटिफाई नहीं किया।

इस बीच मुकेश अग्निहोत्री और सुरेश भारद्वाज में बिल को लेकर हल्की फुल्की बहसबाजी भी हुई। जिसके बाद विपक्ष की आपत्ति के बीच विधेयक को ध्वनि मति के साथ पारित कर दिया गया। इसके बाद मुख्यमंत्री जयराम ने सदन में हिमाचल प्रदेश आकाशी रज्जू मार्ग संशोधन विधेयक 2019 को प्रस्तावित किया। जिस पर विपक्ष के विधायक राम लाल ठाकुर, सुंदर ठाकुर,सुखविंदर सिंह सुखू,जगत सिंह नेगी और राकेश सिंघा ने प्रस्ताव पर चर्चा में भाग लिया।सदस्यों ने कहा कि इस बिल के आने से ऊंचे लोगों को फायदा होगा छोटे वर्ग के लोगों को नुकसान ही होगा। इस विधयेक ओर चर्चा करते हुए बिलासपुर नैनादेवी के विधायक रामलाल ठाकुर ने कहा कि इसकी मकानों से दूरी 10 मीटर से ज्यादा की जानी चाहिए। 

रामलाल ने कहा कि इससे ओनवे बने मकान मालिकों को नुकसान उठाना पड़ेगा, जबकि कुल्लु के विधायक ने कहा कि इसे लिए फीस या किराया पहले से तय होना चाहिए। वरना जो कंपनी या ठेकेदार रोप वे लगता है उसकी मनमानी ही जाती है। इसे रोकने के लिए किराया तय किया जाना चाहिए। इसके लिए रेगुलेटर नियुक्त होने चाहिए। सिंघा ने कहा कि रोपवे के निर्माण में जंगलों को काटा जाएगा जिससे वनों को नुकसान होगा। जवाब में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि पिछले कई दशकों से इस विषय को लेकर सदन में चर्चा की गई। पर्यटन को बढ़ावा देने के मकसद से रोपवे बेहद महत्वपूर्ण हो गया है। क्योंकि ज्यादातर पर्यटन स्थलों में जाम की स्थिति विकराल होती जा रही है इसलिए रोपवे को बनाना जरूरी है। दुनिया भर में ऐसे कई रोपवे बने हैं और जानवरों के साथ सामान को भी इसके माध्यम से ले जाया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि सभी बातों को ध्यान में रखते हुए ही रज्जू मार्गो को बनाने की अनुमति दी जाएगी।

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