Edited By Vijay, Updated: 17 Aug, 2024 02:58 PM
कुदरत की मार झेल रहे हिमाचल प्रदेश के सेब बागवानों को सरकार ने बड़ा झटका दिया है। सरकार ने मंडी मध्यस्थता योजना के तहत सेब की खरीद के लिए नई शर्तें लागू की हैं। अब उद्यान कार्ड बनवाना अनिवार्य कर दिया गया है
शिमला: कुदरत की मार झेल रहे हिमाचल प्रदेश के सेब बागवानों को सरकार ने बड़ा झटका दिया है। सरकार ने मंडी मध्यस्थता योजना के तहत सेब की खरीद के लिए नई शर्तें लागू की हैं। अब उद्यान कार्ड बनवाना अनिवार्य कर दिया गया है और केवल अच्छे क्वालिटी के सेब ही खरीदे जाएंगे, यानी पक्षी द्वारा खाए हुए, दागी, स्कैब ग्रस्त, या इथरल स्प्रे किए हुए सेब को सरकार नहीं खरीदेगी। इसके अलावा, 51 मिलीमीटर से कम आकार वाला सेब भी नहीं लिया जाएगा।
सरकार ने मंडी मध्यस्थता योजना के तहत सेब की खरीद के लिए 12 रुपए प्रति किलो रेट निर्धारित किया है, जो पिछले साल के समान है। लेकिन बागवानों का कहना है कि सरकार की नई शर्तें उन्हें धोखा देने के समान हैं। हिमाचल सेब उत्पादक संघ के अध्यक्ष सोहन ठाकुर ने कहा कि मंडी मध्यस्थता योजना योजना पहले से ही निम्न क्वालिटी के सेब की खरीद के लिए शुरू की गई थी, लेकिन अब जो शर्तें लगाई गई हैं, वे बागवानों के लिए मुश्किल पैदा कर रही हैं। उन्होंने इस मुद्दे पर आंदोलन की भी चेतावनी दी है।
वहीं प्रोग्रेसिव ग्रोअर एसोसिएशन के अध्यक्ष लोकेंद्र बिष्ट ने आरोप लगाया कि सरकार ने सीजन के बीच में उद्यान कार्ड बनाने की शर्त लगाई है। ये निर्णय बिल्कुल सही नहीं है। इससे बागवानों को सेब तोड़ने और कार्ड बनवाने में दिक्कत हो रही है। उन्होंने कहा कि अगर ये शर्त लगानी ही थी तो अगले सीजन के लिए लागू की जानी चाहिए थी। इस बार प्रदेश में किसानों की फसल का एक बड़ा हिस्सा खराब हो गया है, जिससे बागवानों को भारी नुक्सान हो रहा है।
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