सरकारी नौकरी छोड़ अपनाया मशरूम व्यवसाय, लाखों युवाओं के लिए बन गए मिसाल

Edited By Vijay, Updated: 15 Dec, 2019 09:59 PM

adopted mushroom business leaving government job

जिला ऊना के नंगल सलांगड़ी निवासी यूसुफ खान प्रदेश के लाखों युवाओं के लिए मिसाल हैं। कृषि विभाग के आतमा प्रोजैक्ट में काम करने वाले यूसुफ खान ने नौकरी छोड़कर वर्ष 2000 में मशरूम का व्यवसाय शुरू किया। मशरूम के व्यवसाय से आज न सिर्फ यूसुफ पैसा कमा रहे...

ऊना (सुरेन्द्र): जिला ऊना के नंगल सलांगड़ी निवासी यूसुफ खान प्रदेश के लाखों युवाओं के लिए मिसाल हैं। कृषि विभाग के आतमा प्रोजैक्ट में काम करने वाले यूसुफ खान ने नौकरी छोड़कर वर्ष 2000 में मशरूम का व्यवसाय शुरू किया। मशरूम के व्यवसाय से आज न सिर्फ यूसुफ पैसा कमा रहे हैं बल्कि उनके साथ काम करने वाले 10-15 लोगों की आजीविका भी मशरूम के कारोबार से ही चल रही है। शुरूआत में यूसुफ ने नंगल सलांगड़ी में एक यूनिट स्थापित किया, जिसे धीरे-धीरे विकसित करने के लिए उन्होंने दिन-रात मेहनत की।

मशरूम का बीज और कंपोस्ट भी कर रहे तैयार

आज यूसुफ प्रतिदिन 3-4 क्विंटल मशरूम की पैदावार कर रहे हैं, जिसे वह 120 से लेकर 150 रुपए प्रतिकिलो तक के हिसाब से बाजार में बेचते हैं। हिमाचल प्रदेश सरकार के उद्यान विभाग की मदद से आज वह न सिर्फ मशरूम उगा रहे हैं बल्कि मशरूम का बीज और कंपोस्ट भी तैयार कर रहे हैं। 

उद्यान विभाग ने की मदद

मशरूम यूनिट के लिए वर्ष 2007 में उन्होंने 10 लाख का ऋण लिया और इसके बाद उन्होंने वर्ष 2019 में कंपोस्ट यूनिट के लिए 20 लाख रुपए का लोन लिया, जिस पर प्रदेश सरकार की ओर से उन्हें 40 प्रतिशत सबसिडी मिली। यूसुफ बताते हैं कि उद्यान विभाग ने उन्हें मशरूम के व्यवसाय को खड़ा करने में भरपूर मदद प्रदान की। सरकार की विभिन्न योजनाओं तथा विशेषज्ञों की तकनीकी सलाह के कारण ही वह मशरूम उत्पादन में कामयाबी की नई सीढिय़ां चढ़ रहे हैं।

यूसुफ ने लगाए हैं 6 ग्रीन हाऊस

यूसुफ खान का कहना है कि अब उनके पास 6 ग्रीन हाऊस हैं। मुख्यमंत्री ग्रीन हाऊस नवीकरण योजना के तहत वर्ष 2011-12 में प्रदेश सरकार से उपदान लिया था जिस पर उन्हें 80 प्रतिशत सबसिडी प्राप्त हुई थी। मशरूम के साथ-साथ अब वह शिमला मिर्च व टमाटर भी उगा रहे हैं जिन्हें बेचकर उन्हें कमाई का अतिरिक्त साधन मिल गया है।

मशरूम उगाने की देते हैं ट्रेनिंग

आज यूसुफ प्रगतिशील किसानों को मशरूम उगाने का प्रशिक्षण भी देते हैं। किसानों, प्राइवेट संस्थाओं, युवक मंडलों व स्वयं सहायता समूहों के अलावा स्कूल, कालेज के विद्यार्थियों को भी मशरूम व सब्जियों की पैदावार से संबंधित प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है। उनका ट्रेनिंग सैंटर नैशनल हॉर्टीकल्चर बोर्ड से मान्यताप्राप्त है। यूसुफ ने बताया कि वर्ष 2010 में बहरीन सरकार की ओर से इस प्रकार के प्रशिक्षण के लिए उन्हें आमंत्रित किया था तथा बहरीन सरकार ने उन्हें अवार्ड देकर सम्मानित भी किया है।

मशरूम यूनिट के लिए मिलती है सबसिडी

उद्यान विभाग के उपनिदेशक डॉ. सुभाष चंद ने बताया कि हिमाचल खुंब विकास योजना के तहत प्रदेश सरकार 20 मीट्रिक टन की क्षमता वाला यूनिट लगाने के लिए अधिकतम 8 लाख रुपए की सबसिडी तथा एक लाख रुपए का घरेलू यूनिट लगाने के लिए 50 हजार रुपए की सबसिडी प्रदान की जाती है। उन्होंने बताया कि इसके अलावा कंपोस्ट यूनिट लगाने को 40 प्रतिशत तथा मशरूम बीज की लैब स्थापित करने को अधिकतम 6 लाख रुपए की सबसिडी प्रदान की जाती है। उन्होंने कहा कि कोई भी जानकारी प्राप्त करने के लिए उद्यान विभाग के उपनिदेशक कार्यालय से संपर्क कर सकते हैं या फिर अपने इलाके के विषयवाद विशेषज्ञ (एसएमएस) से भी बात कर सकते हैं।

मेहनत से सब मुमकिन है : यूसुफ

यूसुफ खान का कहना है कि बेरोजगार युवकों को भी स्वरोजगार की दिशा में कदम बढ़ाने चाहिए, जिससे कि वे अपने लिए आजीविका का अच्छा साधन ढूंढ सकते हैं। कई बार मेहनत का फल देरी से मिलता है परंतु मनुष्य का फर्ज है कि वह मेहनत करना न छोड़े तभी सफलता कदम चूमेगी।

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