Edited By Vijay, Updated: 19 Apr, 2024 07:17 PM
शिमला-मटौर फोरलेन निर्माण कार्य के लिए सरकार द्वारा भू-अधिग्रहण किया जा रहा है। इसी के चलते प्रशासन ने अधिगृहीत की जा रही भूमि पर बने मकानों व अन्य भवनों को 2 माह के भीतर खाली करने का नोटिस संबंधित भवन मालिकों को जारी कर दिया है।
बिलासपुर (विशाल): शिमला-मटौर फोरलेन निर्माण कार्य के लिए सरकार द्वारा भू-अधिग्रहण किया जा रहा है। इसी के चलते प्रशासन ने अधिगृहीत की जा रही भूमि पर बने मकानों व अन्य भवनों को 2 माह के भीतर खाली करने का नोटिस संबंधित भवन मालिकों को जारी कर दिया है। इस नोटिस के जारी होने से प्रभावित लोगों में हड़कंप मच गया है। इस मुद्दे पर शुक्रवार को मटौर-शिमला फोरलेन सड़क प्रभावित एवं विस्थापित संघर्ष समिति के बैनर तले क्षेत्र के ग्रामीणों की आपात बैठक हुई।
बैठक की अध्यक्षता समिति के प्रधान बाबू राम सिसोदिया ने की। बैठक में प्रभावित लोगों ने इस नोटिस को प्रशासन की क्रूरता करार दिया। बैठक में निर्णय लिया गया कि इस मुद्दे पर रविवार को बड़ी बैठक की जाएगी व आगामी निर्णय लिए जाएंगे। समिति के प्रधान बाबू राम सिसोदिया, उपप्रधान कमलेश नड्डा व सचिव कुलवीर भड़ोल ने लोगों को आश्वस्त करते हुए कहा कि किसी भी कीमत पर लोगों के हकों पर डाका मारने नहीं दिया जाएगा। चाहे इसके लिए संघर्ष का रास्ता ही अख्तियार क्यों न करना पड़े। उन्होंने सभी प्रभावित व विस्थापितों से आह्वान किया कि वे रविवार की बैठक में अवश्य आएं ताकि प्रभावी निर्णय लिया जा सके।
बैठक में रोष जताया गया कि गत वर्ष प्रशासन ने ग्रामीणों को आश्वासन दिया था कि जमीन के सर्कल रेट विस्थापितों व प्रभावितों के साथ बैठ कर तय किए जाएंगे लेकिन हैरानी की बात है कि सर्कल रेट सहमति से तय करना तो दूर रहा, प्रशासन ने लोगों की आपत्तियों पर जनसुनवाई तक नहीं की। इतने कम सर्कल रेट दिए जा रहे हैं कि उन पैसों से नई भूमि खरीदना व मकान बनाना असंभव है। वर्ष-2016 की रजिस्ट्रियों में 5 लाख प्रति बिस्वा रेट अंकित है व प्रशासन 45 हजार प्रति बिस्वा रेट तय कर रहा है। ऐसे में मकान खोने वाले इन पैसों में नया मकान नहीं बना पाएंगे। वहीं न ही पेड़ों की गणना सही की गई है व न ही मूल्यांकन सही किया गया है।
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