Kangra: लगभग 483 दिनों से कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर में स्थायी कुलपति नहीं

Edited By Kuldeep, Updated: 16 Dec, 2024 04:21 PM

palampur agricultural university permanent vice chancellor

लगभग 483 दिनों से प्रदेश के एकमात्र कृषि विश्वविद्यालय में स्थायी कुलपति नहीं है। वहीं लगभग सभी संविधिक पदों पर भी अतिरिक्त कार्यभार सौंप कर कार्य निपटाया जा रहा है।

पालमपुर (भृगु): लगभग 483 दिनों से प्रदेश के एकमात्र कृषि विश्वविद्यालय में स्थायी कुलपति नहीं है। वहीं लगभग सभी संविधिक पदों पर भी अतिरिक्त कार्यभार सौंप कर कार्य निपटाया जा रहा है। विश्वविद्यालय के 46 वर्ष के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है कि इतने लंबे समय तक विश्वविद्यालय में स्थायी कुलपति की तैनाती नहीं हो पाई है। विश्वविद्यालय में इससे पहले 362 दिनों तक अस्थायी कुलपति की तैनाती हुई थी। उस समय 5वें नियमित कुलपति के कार्यकाल के मध्य में 9 जनवरी 1999 से 2 फरवरी 1999 तक तथा उसके पश्चात 3 फरवरी 1999 से 7 जनवरी 2000 तक 2 प्रशासनिक अधिकारियों ने कार्यकारी कुलपति के रूप में पदभार संभाला था। वर्तमान में विश्वविद्यालय में 6 देशों और भारत के 14 राज्यों के लगभग 2000 से अधिक विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। स्थापना के बाद से 9589 से अधिक छात्र विश्वविद्यालय से उच्चतर शिक्षा उत्तीर्ण कर देश-विदेश में अपनी सेवाएं प्रदान कर रहे हैं।
शैक्षणिक, अनुसंधान और प्रसार शिक्षा से संबंधित कार्य प्रभावित हो रहे

पूर्व कुलपति प्रोफैसर अशोक कुमार सरयाल का तर्क है कि कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर में अगस्त 2023 से खाली पड़े कुलपति पद पर अभी तक नियमित नियुक्ति नहीं हुई है। विश्वविद्यालय के 46 वर्षों के कार्यकाल में पहली बार कुलपति का पद 16 महीनों से अधिक खाली पड़ा है जबकि तीन महीनों के भीतर आज तक नियुक्तियां होती रही हैं। इस अवधि में दो-दो कार्यवाहक कुलपति की तैनाती हुई है। नियमित कुलपति के अभाव में विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों के शैक्षणिक, अनुसंधान और प्रसार शिक्षा से संबंधित कार्य प्रभावित हो रहे है। जहां प्रत्येक वर्ष लगभग 70 से 80 शिक्षक और गैर शिक्षक कर्मचारी सेवानिवृत्त हो रहे हैं। उनकी जगह नई नियुक्तियां बंद पड़ी हैं। कृषि स्नातक संकायों में प्रवेश 100 से 140 तक पहुंच गया है। प्राध्यापकों के अभाव में शिक्षण के तीन भाग के जगह दो भागों में विद्यार्थियों को पढ़ाया जा रहा है।

स्नातकोत्तर और पीएच.डी. में भी विद्यार्थियों के संख्या बढ़ने से गाइड एवं सुपरवाइजर की कमी के कारण शोध और अध्ययन कार्य प्रभावित हो रहे हैं। नियमित कुलपति के अनुपस्थिति में वित्तीय संकट भी विश्वविद्यालय की कार्यप्रणाली पर असर डाल रहा है। कर्मचारियों और पैंशनर्ज का प्रति माह 15 करोड़ के भुगतान की दर से कुल बजट 180 करोड़ का है जबकि सरकार से वार्षिक अनुदान केवल 132 करोड़ ही प्राप्त हुआ है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद से प्राप्त वेतन की राशि के अतिरिक्त 22 से 26 करोड़ की शेष राशि अतिरिक्त अनुदान के रूप में सरकार से प्राप्त होती रही है जो कार्यवाहक कुलपतियों के कार्यकाल में असंभव हो रहा है। अतिरिक्त अनुदान के अभाव में आगामी महीनों में वेतन और पैंशन की अदायगी का संकट भी विश्वविद्यालय पर पड़ सकता है।

शिक्षकों व गैर शिक्षक कर्मचारी वर्ग का कुनबा हो रहा कम
प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय के शिक्षकों व गैर शिक्षक कर्मचारी वर्ग की सेवानिवृत्ति से कुनबा निरंतर कम हो रहा है। वर्ष 2025 में 85 नाम और जुड़ जाएंगे। कृषि विश्वविद्यालय में 2025 में 12 शिक्षक व 73 गैर शिक्षक कर्मचारी सेवानिवृत्त होंगे। इस समय कृषि विवि में लगभग सवा 200 शिक्षक व सवा 700 गैर शिक्षक कर्मचारी सेवारत हैं। प्रदेश कृषि विवि में वर्तमान में 2000 से अधिक विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं।

अतिरिक्त कार्यभार की परम्परा स्थायी बनी
संविधिक पदों पर अतिरिक्त कार्यभार सौंपने की कवायद पहले अल्प अवधि के लिए स्थायी नियुक्ति होने तक किए जाने की परंपरा रही परंतु विश्वविद्यालय में बाद में यह परंपरा स्थाई रूप में होने लगी। भले ही पहाड़ी प्रदेश में कृषि आर्थिकी का प्रमुख आधार है तथा कृषि क्षेत्र के लिए पारंगत मानव संसाधन उपलब्ध करवाने की कवायद में कृषि विश्वविद्यालय की महत्वपूर्ण भूमिका रही है परंतु स्थिति यह बनी हुई है कि कुलपति सहित 11 महत्वपूर्ण संविधिक पदों पर अतिरिक्त कार्यभार से ही काम चलाया जा रहा है।

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