Edited By Jyoti M, Updated: 16 Dec, 2024 11:27 AM
प्रदेश के दूसरे सबसे बड़े स्वास्थ्य संस्थान टांडा मैडीकल कालेज में कई तरह की कमियां देखने को मिल जाएंगी लेकिन हैरानी इस बात की है कि इस ओर न तो टांडा प्रशासन और न ही सरकार ध्यान दे रही है। इन कमियों का खामियाजा टांडा में दूरदराज के क्षेत्रों से अपना...
धर्मशाला, (तिलक): प्रदेश के दूसरे सबसे बड़े स्वास्थ्य संस्थान टांडा मैडीकल कालेज में कई तरह की कमियां देखने को मिल जाएंगी लेकिन हैरानी इस बात की है कि इस ओर न तो टांडा प्रशासन और न ही सरकार ध्यान दे रही है। इन कमियों का खामियाजा टांडा में दूरदराज के क्षेत्रों से अपना इलाज करवाने आ रहे मरीजों और उनके तीमारदारों को भुगतना पड़ रहा है।
टांडा मैडीकल कालेज में सी.टी. स्कैन, अल्ट्रासाऊंड और एम.आर.आई. के लिए लंबी तिथियां मिल रही हैं। लोगों को इनकी रिपोर्ट्स के लिए 20 से 25 दिन का इंतजार करना पड़ रहा है। जिस कारण टांडा में आने वाले लोगों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। टांडा मैडीकल कालेज के प्राचार्य डा. मिलाप ने कहा कि टांडा मैडीकल कालेज में चली समस्याएं हमारे ध्यान में हैं और इन समस्याओं की डिटेल बनाकर सरकार को भेजी गई है।
हाल ही में सरकार ने एक्स-रे, अल्ट्रासाऊंड विभाग में 3 सीनियर रैजीडैंट तैनात करने के आदेश जारी किए हैं और इसके साथ ही एक प्रो. डा. दिनेश सूद को रि-इम्पलाइमैंट दी गई है। इन डाक्टरों की तैनाती से हमें उम्मीद है कि अब लोगों को 15 से 20 दिन से भी कम समय दिया जाएगा, जिससे लोगों को सुविधा होगी।
इसके साथ ही प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने हाल ही में हुई एक रिव्यू बैठक में निर्देश दिए हैं कि टांडा मैडीकल कालेज के लिए एक एम.आर. आई. मशीन और एक सी.टी. स्कैन और खरीदा जाएगा। इसके साथ ही रेडियोलॉजी विभाग में 4 से 7 सीटें करने का प्रस्ताव दिया जो कि एन.एम.सी. को भेज दिया है और 3 सीटें बढ़ने से लोगों को सुविधा मिलेगी।
ये हैं टांडा मैडीकल कालेज में कमियां
बिस्तरों की कमी- मरीजों की संख्या बढ़ने के साथ-साथ अस्पताल में विस्तरों की कमी है।
बुनियादी ढांचे की समस्या- स्त्री रोग और चिकित्सा विभाग में मरीजों की संख्या ज्यादा होने की वजह से डाक्टरों को मरीजों को जल्दी छुट्टी देनी पड़ती है।
मातृ एवं शिशु अस्पताल बंद- केंद्र सरकार ने लगभग 40 करोड़ रुपए के अनुदान से 200 विस्तरों वाला मातृ एवं शिशु अस्पताल वनवाया था लेकिन यह अभी तक बंद है। अग्निशमन विभाग ने इस अस्पताल को मंजूरी नहीं दी है, क्योकि इसमें आग से बचाव के लिए जरूरी सुविधाएं नहीं है।
उपकरणों की कमी- सरकार के जरूरी चिकित्सा उपकरण खरीदने में विफल रहने की वजह से यहां की चिकित्सा सेवाएं प्रभावित हुई है।
डाक्टरों सहित अन्य स्टाफ की कमी- टांडा मैडीकल कालेज डाक्टरों सहित अन्य स्टाफ की कमी से जूझ रहा है। टांडा में हर विभाग में इस समय कर्मचारियों की कमी चल रही है।