एक ऐसी पंचायत जहां आज तक कोई वोट मांगने नहीं पहुंचा

Edited By Ekta, Updated: 26 Apr, 2019 11:13 AM

a panchayat where no votes have been reached till date

हर नेता चाहता है कि वह मतदान से पूर्व प्रचार के दौरान अपने हर इलाके को कवर करे, हर मतदाता से मिले और उससे अपने पक्ष में मतदान करने की अपील करे लेकिन हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में एक पंचायत ऐसी भी है, जहां तक आज तक एक भी नेता न तो लोकसभा चुनाव और...

पालमपुर (मुनीष दीक्षित): हर नेता चाहता है कि वह मतदान से पूर्व प्रचार के दौरान अपने हर इलाके को कवर करे, हर मतदाता से मिले और उससे अपने पक्ष में मतदान करने की अपील करे लेकिन हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में एक पंचायत ऐसी भी है, जहां तक आज तक एक भी नेता न तो लोकसभा चुनाव और न ही विधानसभा चुनाव के दौरान वोट मांगने पहुंचा है। इस पंचायत में 450 मतदाता हैं और पंचायत की आबादी करीब 637 है। बैजनाथ विधानसभा क्षेत्र की बड़ा भंगाल पंचायत में आज तक के इतिहास में कभी कोई नेता वोट मांगने नहीं गया। इसका कारण यहां के मतदाताओं के प्रति कोई रोष या भेदभाव नहीं, बल्कि इस पंचायत की दुर्गम परिस्थतियां हैं। इस पंचायत तक पहुंचने के लिए 3 दिन का पैदल रास्ता है। यहां वर्ष 2009 से पहले कभी मतदान केंद्र नहीं होता था। 

यहां के लोगों को करीब 78 किलोमीटर दूर बीड़ में वोट देना पड़ता था। इस कारण अतिरिक्त वोटर अपना वोट नहीं दे पाते थे। 2009 के लोकसभा चुनाव में पहली बार बड़ा भंगाल में मतदान केंद्र बना था और यहां इलैक्शन टीम को हैलीकॉप्टर की मदद से भेजा गया था। 2882 मीटर की ऊंचाई पर बसी पंचायत बड़ा भंगाल को जाने के लिए 4700 मीटर ऊंचे थमसर पास को पार करना पड़ता है या फिर जिला चम्बा से होकर रावी नदी के किनारे बने एक दुरुह रास्ते से इस गांव तक पहुंचना पड़ता है। सर्दियों में यह पंचायत करीब 6 माह के लिए शेष विश्व से कट जाती है। उस दौरान यहां के अधिकतर लोग बीड़ रहने आ जाते हैं। यहां 6 साल से बिजली नहीं है। संपर्क का एकमात्र साधन सैटलाइट फोन है, यह फोन भी सोलर लाइट के आसरे ही चलता है।

2011 में पहली बार सी.एम., 2018 में पहली बार पहुंचा था कोई एम.एल.ए.

बड़ा भंगाल पंचायत में पहली बार वर्ष 2011 में तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल तत्कालीन वूल फैडरेशन के अध्यक्ष त्रिलोक कपूर के प्रयासों से हैलीकॉप्टर के माध्यम से पहुंचे थे और वहां लोगों को संबोधित किया था। इसके बाद वर्ष 2018 में पहली बार बैजनाथ के मौजूदा विधायक मुल्ख राज प्रेमी ने बड़ा भंगाल का हैलीकॉप्टर के माध्यम से दौरा किया था जबकि मतदान के समय प्रचार करने आज तक कोई नेता नहीं पहुंचा है।

इसलिए है यह स्थिति

बड़ा भंगाल में आने-जाने के लिए पैदल सामान्य छह दिन का समय लगता है। मौसम खराब होने पर यह समय बढ़ भी सकता है। यदि कोई हेलीकाप्टर से जाए, तो उसका काफी खर्च पार्टी को वहन करना पड़ जाएगा। साथ ही यह गारंटी नहीं मिल पाती की बड़ा भंगाल में सभी मतदाता मौजूद होंगे या नहीं। क्योंकि यहां के लोग बीड़ से अप्रैल के अंत में बड़ा भंगाल की तरफ जाते हैं और अक्टूबर में वापस जा रहे हैं। आजकल भी बड़ा भंगाल का रास्ता वाया बीड़ बिलिंग होकर बर्फबारी के कारण बंद है।

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