Edited By Vijay, Updated: 03 Jan, 2025 06:02 PM
शिमला के आईजीएमसी अस्पताल में शुक्रवार को करीब 600 आउटसोर्स कर्मियों ने अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू कर दी, जिससे अस्पताल की सेवाएं प्रभावित हो गई हैं।
शिमला (संतोष): शिमला के आईजीएमसी अस्पताल में शुक्रवार को करीब 600 आउटसोर्स कर्मियों ने अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू कर दी, जिससे अस्पताल की सेवाएं प्रभावित हो गई हैं। हड़ताल के कारण ओपीडी, ऑप्रेशन थिएटर, सफाई और अन्य आवश्यक सेवाएं पूरी तरह से ठप्प हो गईं। यह हड़ताल उन 132 आऊटसोर्स कर्मचारियों की सेवाओं को समाप्त किए जाने के विरोध में की जा रही है, जिन्हें 1 जनवरी से नौकरी से हटा दिया गया था। इनमें वार्ड अटैंडैंट, सफाई कर्मचारी और ईसीजी ऑप्रेटर शामिल हैं।
हड़ताल के दौरान कर्मचारियों ने आरोप लगाया कि उन्हें बिना किसी ठोस कारण के नौकरी से निकाला गया है, जबकि कोविड काल में उन्होंने अस्पताल में अहम भूमिका निभाई थी। सीटू के बैनर तले आंदोलनकारियों ने आईजीएमसी प्रशासन पर मजदूरों का शोषण करने का आरोप लगाया और सरकार से 132 कर्मचारियों को तुरंत बहाल करने की मांग की। यूनियन ने चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो आंदोलन और तेज होगा। इस दौरान मजदूरों से बातचीत के लिए एडीसी शिमला व थाना प्रभारी सदर आए, लेकिन आंदोलनकारी मजदूरों ने हड़ताल खत्म करने से इंकार कर दिया। यूनियन ने प्रधानाचार्य, अतिरिक्त निदेशक व चिकित्साधीक्षक से तत्काल मांगों का समाधान मांगा है। यूनियन ने निर्णय लिया है कि आईजीएमसी प्रशासन के खिलाफ निरंतर आंदोलन होगा। इसके तहत हड़ताल, धरने-प्रदर्शन, राजभवन, सचिवालय, महात्मा गांधी प्रतिमा, डीसी कार्यालय मार्च व अधिकारियों के घेराव होंगे।
वहीं भाजपा के मुख्य प्रवक्ता राकेश जम्वाल ने सुक्खू सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि सरकार ने लाखों सरकारी नौकरियों का वायदा किया था, लेकिन अब मेहनतकश कर्मचारियों को बेरोजगार किया जा रहा है। उन्होंने सरकार से तुरंत इन कर्मचारियों की सेवाएं बहाल करने की अपील की। यदि ऐसा नहीं हुआ तो पार्टी सड़कों पर उतर कर इस अन्याय के खिलाफ आवाज बुलंद करेगी। बता दें कि हड़ताल के कारण अस्पताल में केवल आपातकालीन सेवाएं चल रही हैं, जबकि अन्य कार्य पूरी तरह से ठप्प हो गए हैं।
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