आपसी बातचीत से कम हो सकता है भारत-पाक का तनाव : इजाजुद्दीन

Edited By Updated: 09 Oct, 2015 09:05 PM

solan kasauli khushwant singh lit fest

लिटफेस्ट-2015 में हिस्सा लेने पाकिस्तान से कसौली पहुंचे पाक के पूर्व मंत्री व लेखक फकीर सइद इजाजुद्दीन ने कहा कि भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ रहा तनाव आपसी बातचीत से ही कम हो सकता है।

सोलन: लिटफेस्ट-2015 में हिस्सा लेने पाकिस्तान से कसौली पहुंचे पाक के पूर्व मंत्री व लेखक फकीर सइद इजाजुद्दीन ने कहा कि भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ रहा तनाव आपसी बातचीत से ही कम हो सकता है।

 

इजाजुद्दीन ने आविष्कार फिल्म के शर्मीला टैगोर व राजेश खन्ना के डायलॉगको दोहराया, जिसमें वे कहते हैं कि ‘जब हम दोनों बातें करते हैं तो मोहल्ले वाले सुनते हैं’। इसी तरह भारत-पाक को भी आपसी बातचीत के बीच औरों को शामिल करने की जरूरत नहीं है। दोनों मुल्कों के बीच सुलह हो सकती है यदि नीयत सुलह करने की हो। दोनों मुल्कों की अवाम का आपसी कोई भेदभाव नहीं है व सभी मिलजुल कर रहना चाहते हैं। उन्होंने भारत व पाक नेताओं की ओर इशारा करते हुए कहा कि कुछ लोग नहीं चाहते कि सुलह हो। हालांकि ये नेता भी अवाम ही चुनकर भेजती है व अवाम चाहे तो बातचीत के रास्ते भी खुल सकते हैं।

 

सीमाओं में तनाव पर उन्होंने कहा कि दोनों अपनी सेनाओं को समझाएं। उन्होंने कहा कि साहित्य ही दिलों को जोड़ सकता है और इस तरह के कार्यक्रमों से दोनों मुल्कों के बीच दोस्ती बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि खुशवंत सिंह से उनका खास रिश्ता रहा। 2014 के लिटफेस्ट में भी वह शामिल हुए। उन्होंने कहा कि खुशवंत की मौत नहीं हुई है, वह तो हमारे आसपास हैं और लोगों के दिलोदिमाग में जिंदा हैं। उन्होंने कहा कि आदमी मौत से नहीं मरता बल्कि आदमी तब मरता है जब लोग उसे भूल जाते हैं। खुशवंत सिंह का साहित्य दुनिया भर में पढ़ा जाता है व पाकिस्तान के कई स्कूलों में भी इसे पढ़ाया जा रहा है।

 

मरी हिल्स की तरह है कसौली : हाबिदा
पाकिस्तान से लिटफेस्ट में आई यूएस में पाकिस्तान की पूर्व राजदूत हाबिदा हुसैन बीबी ने बातचीत के दौरान कहा कि कसौली उन्हें पाकिस्तान के मरी हिल्स की तरह लगा। उन्होंने कहा कि इस्लामाबाद से 25 किलोमीटर दूर मरी हिल्स है जो बिल्कुल कसौली की तरह है। यहां पहुंचकर उन्हें ऐसा ही लगा कि वह मरी हिल्स जा रही हैं। हाबिदा ने बताया कि उनकी मुलाकात 1998 में खुशवंत सिंह से इस्लामाबाद में हुई थी जिनसे वह काफी प्रभावित हुईं। खुशवंत सिंह की ‘ट्रेन टू पाकिस्तान’ उन्हें सबसे अधिक पसंद आई। उन्होंने बताया कि साहित्य एक जरिया है लोगों को करीब लाने का और इसी तरह के प्रयास से नजदीकियां बढ़ेंगी।

 

कमाल के इंसान थे खुशवंत : कबीर बेदी
विख्यात फिल्म कलाकार कबीर बेदी ने कहा कि खुशवंत सिंह कमाल के इंसान थे और उनके माता-पिता के अच्छे दोस्त थे। खुशवंत सिंह से अपनी मुलाकात को याद करते हुए उन्होंने कहा कि वह कहते थे कि उन्हें जीवन में अच्छे नहीं बल्कि बुरे लेखकों ने इंस्पायर किया है क्योंकि जब बुरे लेखक छप सकते हैं तो वह क्यों नहीं। बेदी ने कहा उन्होंने एक शो स्टोरी रेंबलिग्स ऑन द बीच लिखी जिसकी चर्चा उन्होंने खुशवंत सिंह से की थी और बाद में उन्हें पता चला कि बैस्ट स्टोरीज में यह स्टोरी भी प्रकाशित की है। बेदी ने यह भी कहा कि वह काफी रंगीन मिजाज थे और उनके बहुत से जोक सुनने में अच्छे लगते हैं लेकिन वह छप नहीं सकते।

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