Chamba: शिव नगरी भरमौर में नहीं मनाया जाता है विजयदशमी का पर्व, जानें क्या है मान्यता

Edited By Vijay, Updated: 12 Oct, 2024 01:12 PM

vijayadashami festival not celebrated in bharmour

देशभर में विजयदशमी का पर्व बड़े धूमधाम से मनाया जाता है, लेकिन हिमाचल प्रदेश के चंबा जिले में स्थित शिव नगरी भरमौर में इस पर्व को नहीं मनाया जाता। यहां न तो रावण का पुतला जलाया जाता है और न ही रामलीला का आयोजन होता है।

चम्बा (उत्तम ठाकुर): देशभर में विजयदशमी का पर्व बड़े धूमधाम से मनाया जाता है, लेकिन हिमाचल प्रदेश के चंबा जिले में स्थित शिव नगरी भरमौर में इस पर्व को नहीं मनाया जाता। यहां न तो रावण का पुतला जलाया जाता है और न ही रामलीला का आयोजन होता है। इसके पीछे धार्मिक और ऐतिहासिक मान्यताएं जुड़ी हैं, जो भरमौर की सांस्कृतिक धरोहर को अद्वितीय बनाती हैं। भरमौर को भगवान शिव का निवास स्थल माना जाता है, क्योंकि यहां मणिमहेश कैलाश पर्वत स्थित है, जो शिव भक्तों के लिए आस्था का प्रमुख केंद्र है। लोककथाओं के अनुसार रावण जो शिवजी के परम भक्त थे, ने कैलाश पर्वत पर कठिन तपस्या की थी। यही कारण है कि भरमौर के लोग रावण को नकारात्मक रूप में नहीं देखते और यहां दशहरा पर्व का आयोजन नहीं होता।

भरमौर का ऐतिहासिक नाम ब्रह्मपुरा था और चौरासी को देवी ब्रह्माणी का निवास स्थल माना जाता था। एक किवदंती के अनुसार देवी ब्रह्माणी किसी काम से गईं हुईं थीं। इस दौरान गुरु गोरखनाथ और 84 योगियों का एक समूह मणिमहेश यात्रा के लिए जा रहा था। जब उन्होंने इस स्थान काे देखा तो यहां रुकने का निर्णय किया। जब देवी ब्रह्माणी वापस लौटीं तो उहें बिना अनुमति योगियों के यहां ठहराने पर क्रोध आ गया। उन्होंने योगियों को तुरंत स्थान छोड़ने के लिए कहा। इस दौरान भगवान शिव ने उनसे एक रात ठहरने का अनुरोध किया, जिसे देवी ने स्वीकार किया। सुबह तक सभी योगी शिवलिंग में परिवर्तित हो गए और इस घटना के बाद देवी ब्रह्माणी को अपना निवास 5 किलोमीटर दूर सार नामक स्थान पर स्थानांतरित करना पड़ा, जहां उन्हें भरमानी माता के नाम से ख्याति मिली।

भगवान शिव ने देवी को यह वरदान दिया कि जो भी भक्त मणिमहेश यात्रा करेगा, उसे पहले ब्रह्माणी माता के दर्शन और कुंड में स्नान करना आवश्यक होगा, तभी उसकी यात्रा पूरी मानी जाएगी। इसलिए भरमौर को शिव नगरी के रूप में प्रतिष्ठा मिली और यहां रावण के प्रति सम्मान के कारण विजयदशमी का पर्व नहीं मनाया जाता। चौरासी परिसर में स्थित कपिलेश्वर महादेव मंदिर के पास एक शिला है, जिसे रावण का प्रतीक माना जाता है। यही वजह है कि भरमौर में नवरात्रों के दौरान रामलीला का आयोजन नहीं होता और न ही दशहरे पर रावण दहन किया जाता है।
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