Chamba: बच्चों का भविष्य अंधकार में, चुराह के 37 स्कूलों में एक-एक शिक्षक

Edited By Kuldeep, Updated: 30 Aug, 2024 04:30 PM

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सरकारी स्कूलों में विद्यार्थियों की संख्या बढ़ाने को लेकर सरकार नित नए फार्मूले तैयार करती है लेकिन बेहतर शिक्षा का फार्मूला तैयार करना भूल गए हैं। चुराह क्षेत्र में 37 प्राथमिक स्कूल ऐसे हैं जहां केवल एक-एक शिक्षक सेवाएं दे रहा है।

तीसा (सुभानदीन): सरकारी स्कूलों में विद्यार्थियों की संख्या बढ़ाने को लेकर सरकार नित नए फार्मूले तैयार करती है लेकिन बेहतर शिक्षा का फार्मूला तैयार करना भूल गए हैं। चुराह क्षेत्र में 37 प्राथमिक स्कूल ऐसे हैं जहां केवल एक-एक शिक्षक सेवाएं दे रहा है। अब शिक्षक स्कूल में बच्चों को पढ़ाएं या स्कूल से संबंधित कार्य निपटाएं। यहां अध्ययनरत नौनिहालों के भविष्य से खिलवाड़ सरकार कर रही है या अभिभावक, यह सोचने का विषय है, लेकिन नौनिहालों का भविष्य अंधकार में जा रहा है, यह स्पष्ट है। शिक्षा विभाग की ओर से 37 सरकारी प्राथमिक स्कूलों में एक ही शिक्षक औपचारिकता पूरी करने के लिए तैनात किए हैं, लेकिन यहां कोई अन्य शिक्षक न होने के कारण बच्चों को बेहतर शिक्षा की उम्मीद रखना बेइमानी ही होगा। सरकारें एक तरफ शिक्षण संस्थानों को खोलकर विद्यार्थियों को घर-द्वार शिक्षा दे रही हैं वहीं कई जगह ऐसे स्कूल भी हैं जहां पर अध्यापकों के पद खाली हैं।

इससे विद्यार्थियों की पढ़ाई प्रभावित होने के साथ उनका भविष्य भी धूमिल हो रहा है। उधर, सरकार और नेता प्रदेश में शिक्षा में सुधार के दावे कर रहे हैं, लेकिन सरकार के दावे चुराह क्षेत्र के प्राथमिक स्कूलों में बौने ही साबित हो रहे हैं। अभिभावकों में शिक्षा विभाग व सरकार की कार्यप्रणाली के प्रति रोष है। हैरत की बात यह है कि स्कूल प्रबंधन समिति सहित ग्राम पंचायत की ओर से अध्यापकों की तैनाती के बारे में कई बार मांग करने के बावजूद समस्या जस की तस बनी हुई है। शिक्षकों की कमी यहां हर स्कूल में देखने को मिलेगी। वहीं शैक्षणिक सत्र के शुरू से परीक्षाओं तक यहां शिक्षकों की कमी कभी पूरी नहीं होती। चुराह जिले का पिछड़ा उपमंडल है। ये पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण अधिकतर लोग गरीब और कृषक हैं।

ऐसे में यहां के लोग अपने बच्चों का भविष्य संवारने में नाकाम हो रहे हैं। ऐसे में यहां के बच्चों का उच्च शिक्षा प्राप्त करना सपना ही रह रहा है क्योंकि प्राथमिक स्कूलों में शिक्षा के मामले में बच्चे पिछड़ जाते हैं जिस कारण प्राथमिक स्कूलों के बाद बच्चे घरों में बैठने के लिए मजबूर हो जाते हैं। कई बार एकमात्र शिक्षक को स्कूल संबंधी कार्यों को लेकर उपमण्डल कार्यालयों में भी जाना होता है। ऐसे में स्कूल में बच्चे चपड़ासी के हवाले ही रहते हैं।

शिक्षा खंड कल्हेल को 6 व तीसा को मिले 7 जे.बी.टी.
शिक्षकों की कमी से जूझ रहे चुराह के प्राथमिक स्कूलों में शिक्षा विभाग मात्र खानापूर्ति कर रहा है। हाल ही में हुई जे.बी.टी. भर्ती में उपमंडल चुराह के दो शिक्षा खंडों को मात्र 13 जे.बी.टी. नसीब हुए। अंदाजा लगाया जा सकता है कि शिक्षा विभाग व सरकार खाली शिक्षकों के पदों को भरने के लिए गम्भीर नहीं है। इनके इस रवैये से अभिभावक जरूर चिंतित हो रहे हैं क्योंकि प्राथमिक स्कूलों में बिना शिक्षकों के बच्चे जैसे गए वैसे आए की स्थिति में हैं।

तीसा खंड के इन स्कूलों में 1-1 शिक्षक
तीसा खंड के प्राथमिक विद्यालय मकन, चचूल, गगल, कचेला, कठला, सुईला, मनसा, गुडन, लदरोगा, चण्डरू, बंजल, मंजड़ी, शौल, आनियूंडा, भनोडी प्राथमिक स्कूलों में एक-एक शिक्षक तैनात है।

कल्हेल खंड के इन स्कूलों में शिक्षकों की कमी
कल्हेल खंड के प्राथमिक विद्यालय सौठी, सपरोठ, शिण्ड, डांड, हैलन, जुगरार, कैंथली, जंदराह, कुंगा, डिम, दवारी, नकरोड़, शालुई, छजोट, सारोवा, भरनी-2, भराड़ा-1, फनोता, खली, दियोला, जुगरार, सपरोठ में एक-एक अध्यापक है। कार्यकारी प्रारंभिक शिक्षा उपनिदेशक ज्ञान चंद का कहना है कि शिक्षकों की कमी बारे सरकार को अवगत करवा दिया गया है। चरणबद्ध तरीके से शिक्षकों की तैनाती हो रही है।

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