चम्बा के इस ऐतिहासिक मंदिर में टूटी 6 दशक पुरानी परंपरा, बिना वाद्ययंत्रों के हुई आरती

Edited By Vijay, Updated: 12 Apr, 2024 04:30 PM

six decades old tradition broken

चम्बा के ऐतिहासिक लक्ष्मीनाथ मंदिर में लगभग 6 दशक से शहनाई व नगाड़े की धुन पर हो रही आरती की परंपरा अब टूट गई है। कम मानदेय का हवाला देकर शहनाई व नगाड़ा वादकों ने सेवाएं बंद कर दी हैं।

चम्बा (रणवीर): चम्बा के ऐतिहासिक लक्ष्मीनाथ मंदिर में लगभग 6 दशक से शहनाई व नगाड़े की धुन पर हो रही आरती की परंपरा अब टूट गई है। कम मानदेय का हवाला देकर शहनाई व नगाड़ा वादकों ने सेवाएं बंद कर दी हैं। अब यहां पारंपरिक वाद्य यंत्रों की धुन सुनाई नहीं दे रही है। 2 दिनों से बिना नगाड़े व शहनाई के आरती हो रही है। मंदिर में नवरात्रों के दौरान इन दिनों लक्ष्मीनाथ समेत अन्य देवताओं के समूह के दर्शन के लिए लोगों की भीड़ उमड़ रही है लेकिन पारंपरिक वाद्ययंत्र बजाने वाले नहीं हैं। ऐसे में सिर्फ घंटी व शंख की ध्वनि के सहारे ही आरती की रस्म को पूरा किया जा रहा है। मंदिर में काफी वर्षों से साहो क्षेत्र के मुंशी व जर्मो इस कार्य को कर रहे थे, लेकिन मानदेय की कमी के कारण अब दोनों ने काम को बंद कर दिया है। दोनों ने अपने कमरे का सामान भी घर पहुंचा कर मंदिर प्रशासन द्वारा दिए गए कमरे को खाली कर दिया है। इस बारे डेढ़ सप्ताह पूर्व दोनों ने जल्द मानदेय में बढ़ौतरी न करने पर कार्य को बंद करने की चेतावनी भी जारी की थी, लेकिन चेतावनी का कोई असर न देखने पर दोनों ने नवरात्रों के मौके पर कार्य को बंद कर दिया है।

18 वर्षों से  दे रहे थे सेवाएं
मुंशी व जर्मो करीब 18 वर्षों से मंदिर में सेवाएं दे रहे थे। बदले मेहनताने के तौर पर उन्हें 1,500 रुपए ही मानदेय दिया जा रहा था। उनका कहना था कि इसके अलावा अन्य दिहाड़ी व मजदूरी भी नहीं कर सकते थे। नियमित अंतराल के बाद मंदिर परिसर में आरती की जाती है जोकि नगाड़ा और शहनाई वादन के साथ ही की जा रही है। पहली आरती सुबह साढे़ 5 बजे, दूसरी 7, तीसरी 12 , चौथी 7 और फिर अंतिम आरती 9 बजे तक की जाती है लेकिन इतने कम मानदेय में उनका गुजारा नहीं हो पा रहा था। वहीं अगर किसी दिन घर भी जाना हो तो अगले दिन सुबह साढे़ 5 बजे मंदिर परिसर पहुंचना पड़ता था।

दावे तो कई लेकिन ठोस कदम कोई नहीं
जर्मो और मुंशी के पूर्वज करीब 60 वर्षों से यहां वाद्ययंत्रों को बजा रहे थे। अपने परिवार की परंपरा को निभाते हुए उन्होंने भी सेवाएं शुरू कीं ताकि सेवाभाव के साथ कुछ आमदनी भी जुटाई जा सके लेकिन महंगाई के दौर में अब कार्य को जारी रखना कठिन है। उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन व सरकार द्वारा पुरानी संस्कृति व धरोहरों को संजोए रखने के लिए कई बार दावे किए जाते हैं लेकिन दावों पर खरा उतरने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। मंदिर में अन्य कार्य करने वाले कर्मचारियों को अच्छा सम्मानजनक भत्ता दिया जाता है, सिर्फ बजंतरियों के साथ ही भेदभाव किया गया है।
हिमाचल की खबरें Twitter पर पढ़ने के लिए हमें Join करें Click Here
अपने शहर की और खबरें जानने के लिए Like करें हमारा Facebook Page Click Here

 

Related Story

Trending Topics

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!