Edited By Vijay, Updated: 21 Sep, 2023 08:33 PM
शिव शंकर के जयकारों के साथ संचुई गांव के त्रिलोचन महादेव के वंशज व मणिमहेश यात्रा के प्रमुख भागीदार शिव गुर चौरासी मंदिर परिसर की परिक्रमा करने की रस्म निभाने के बाद मणिमहेश के लिए विधिवत रवाना हो गए।
भरमौर (उत्तम): शिव शंकर के जयकारों के साथ संचुई गांव के त्रिलोचन महादेव के वंशज व मणिमहेश यात्रा के प्रमुख भागीदार शिव गुर चौरासी मंदिर परिसर की परिक्रमा करने की रस्म निभाने के बाद मणिमहेश के लिए विधिवत रवाना हो गए। शिव गुर परंपरानुसार पालधा गांव से होते हुए हड़सर के गौरी-शंकर मंदिर की परिक्रमा करने के बाद रात धनछो में विश्राम करेंगे। शुक्रवार दोपहर बाद एक बजे से पहले डल झील पर पहुंचकर झील को पार करने की परंपरा का निर्वहन करेंगे। उसके बाद ही राधाष्टमी के पावन पर्व के शाही स्नान की शुरूआत होगी जोकि शनिवार दोपहर बाद तक जारी रहेगा। उसके बाद इस वर्ष की मणिमहेश यात्रा का आधिकारिक समापन हो जाएगा।
हालांकि प्रशासन ने इस बार यात्रा को 30 सितम्बर तक बढ़ा दिया है। वीरवार सुबह त्रिलोचन महादेव के ये वंशज अपने पैतृक गांव संचुई से पौराणिक वाद्ययंत्रों सहित चौरासी मंदिर के लिए निकले। जहां से चौरासी मंदिरों की परिक्रमा करने के बाद तथा शिवजी के मन्दिर के प्रमुख शिवगुरों से अनुमति लेकर मणिमहेश के लिए रवाना हुए। इस अवसर पर सैंकड़ों की संख्या में शिव भक्तों ने उन्हें चौरासी परिक्रमा के बाद रवाना किया।
वीरवार सुबह त्रिलोचन महादेव के वंशजों ने अपने पैतृक गांव संचुई से अपने पौराणिक वाद्य यंत्रों के साथ चौरासी मंदिर परिसर में प्रवेश किया। रास्ते में महिलाओं ने उनकी पूजा-अर्चना करते हुए उनका मुहं मीठा करवाने की परम्परा निभाई। शिवजी भगवान के लिबास जिसमें चोला, डोरा तथा टोप पहने इन शिव गुरों से हर कोई आशीर्वाद लेने के लिए लाइनों में लगा रहा। स्थानीय लोगों सहित मणिमहेश यात्रियों की भारी भीड़ भरमौर चौरासी मन्दिर परिसर में उमड़ी रही।
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