Shimla: अयोग्य घोषित 6 विधायकों की पैंशन रोकने से संबंधित विधेयक पेश

Edited By Kuldeep, Updated: 03 Sep, 2024 10:11 PM

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हिमाचल प्रदेश में अयोग्य घोषित हुए 6 पूर्व विधायकों की पैंशन को रोकने संबंधी संशोधन विधेयक मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने सदन में प्रस्तुत किया।

शिमला (कुलदीप): हिमाचल प्रदेश में अयोग्य घोषित हुए 6 पूर्व विधायकों की पैंशन को रोकने संबंधी संशोधन विधेयक मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने सदन में प्रस्तुत किया। विधानसभा में प्रस्तुत सदस्यों के भत्ते एवं पैंशन से संबंधित इस संशोधन विधेयक पर अब सदन में चर्चा होगी। इस संशोधन विधेयक के पारित होने और इसके लागू होने की स्थिति में 2 पूर्व विधायकों गगरेट से चैतन्य शर्मा और कुटलैहड़ से देवेंद्र कुमार भुट्टो की पैंशन बंद हो जाएगी।

इसके अलावा 4 अन्य पूर्व विधायकों धर्मशाला से सुधीर शर्मा (वर्तमान में भाजपा विधायक), बड़सर से इंद्रदत्त लखनपाल (वर्तमान में भाजपा विधायक), सुजानपुर से राजेंद्र राणा, लाहौल-स्पीति से रवि ठाकुर की 1 टर्म की पैंशन रुक जाएगी। इस संशोधन विधेयक के अनुसार जिन्हें संविधान के शैड्यूल-10 के हिसाब से अयोग्य घोषित किया गया है, उनसे 14वीं विधानसभा के कार्यकाल की पैंशन व भत्तों की रिकवरी भी की जा सकती है।

उल्लेखनीय है कि विधानसभा के बजट सत्र के दौरान वित्त विधेयक को पास करने के दौरान सत्ता पक्ष के 6 सदस्य सदन से अनुपस्थित थे, जिस कारण उनको पार्टी व्हिप का उल्लंघन का दोषी पाया गया। इस आधार पर विधानसभा अध्यक्ष ने संसदीय कार्य मंत्री के प्रस्ताव पर 6 सदस्यों के खिलाफ सदस्यता से अयोग्य घोषित किए जाने का निर्णय सुनाया था। इन्होंने पहले कांग्रेस टिकट पर विधानसभा चुनाव जीता तथा तथा बाद में भाजपा ने उपचुनाव में इनको अपना प्रत्याशी बनाया। इसमें से भाजपा टिकट पर सिर्फ सुधीर शर्मा और इंद्रदत्त लखनपाल ही उपचुनाव जीत पाए, जबकि शेष 4 हार गए।

1 बार विधायक बनने पर मिलती है 93,000 पैंशन
हिमाचल प्रदेश में जो नेता 1 बार विधायक बन जाता है, उसे करीब 93,000 रुपए पैंशन मिलती है। इसी तरह जो नेता जितनी बार विधायक चुना जाता है, उसकी पैंशन में 5-5 हजार रुपए अतिरिक्त जुड़ता जाता है। उदाहरण के लिए यदि कोई 6 बार विधायक बन जाता है, तो पैंशन में 30 हजार रुपए अतिरिक्त जुड़ जाते हैं और उसकी पैंशन बढ़कर करीब 1,23,000 रुपए हो जाती है। सत्ता पक्ष के पास 40 विधायकों का समर्थन है, जिससे इस संशोधन विधेयक को पारित करने में अधिक परेशानी नहीं आएगी।

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