Edited By Kuldeep, Updated: 17 May, 2025 07:15 PM

मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने व सरकारी फार्माें को सुदृढ़ करने के लिए कृषि विभाग ने जिला कांगड़ा में भट्टू फार्म, जिला सिरमौर में भगाणी फार्म और जिला सोलन में बेरटी-बोच फार्म स्थापित किए हैं।
शिमला (ब्यूरो): मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने व सरकारी फार्माें को सुदृढ़ करने के लिए कृषि विभाग ने जिला कांगड़ा में भट्टू फार्म, जिला सिरमौर में भगाणी फार्म और जिला सोलन में बेरटी-बोच फार्म स्थापित किए हैं। आगामी समय में प्रदेश में इस तरह के और भी आदर्श फार्म स्थापित किए जाएंगे। उन्होंने सभी एपीएमसी को प्राकृतिक पद्धति से उगाई गई गेहूं, मक्की और कच्ची हल्दी की खरीद के लिए हाई एंड साइलोस (स्टोरेज के लिए कंटेनर) स्थापित करने के निर्देश दिए। यह बात उन्होंने शनिवार को कृषि विभाग की बैठक की अध्यक्षता करते हुए कही। उन्होंने प्रदेश में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देकर कृषि क्षेत्र में क्रांति लाने की आवश्यकता पर बल देते हुए अधिकारियों से प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए ठोस कदम उठाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि कृषि विभाग, जायका और आत्मा परियोजनाओं के सभी अधिकारियों को किसानों तक पहुंच स्थापित कर उन्हें प्राकृतिक खेती अपनाने के लिए आवश्यक जानकारी प्रदान करनी चाहिए। उन्होंने अधिकारियों को प्राकृतिक खेती करने वाले किसानों के लिए प्रमाणीकरण प्रक्रिया सुलभ बनाने के निर्देश दिए।
पंजीकरण के लिए पंचायतों में लगाएं शिविर
मुख्यमंत्री ने प्राकृतिक खेती करने वाले किसानों के पंजीकरण के लिए पंचायतों में शिविर आयोजित करने पर बल दिया। सुक्खू ने एपीएमसी के अध्यक्षों को निर्देश दिए कि वे किसानों को प्राकृतिक खेती से जोड़ने के लिए सक्रियता से कृषकों को प्रेरित कर उन्हें हर संभव सहायता करें। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में प्राकृतिक पद्धति से उगाई गई गेहूं की खरीद प्रक्रिया आरम्भ हो गई है और राज्य सरकार किसानों से गेहूं खरीद पर 60 रुपये प्रतिकिलो का न्यूनतम समर्थन मूल्य प्रदान कर रही है। उन्होंने कृषि विभाग को प्राकृतिक खेती के लिए प्रदेश के किसानों को उच्च गुणवत्ता के बीज प्रदान करने के निर्देश दिए। इस अवसर पर प्रो. चन्द्र कुमार, विधायक चन्द्र शेखर, कृषि सचिव सी. पालरासू, निदेशक कुमुद सिंह और एपीएमसी के अध्यक्ष उपस्थित थे।
सीए स्टोर के लिए दिए 330 करोड़
सुक्खू ने प्रदेशभर के विभिन्न स्थानों के निर्माणाधीन सीए स्टोर की प्रगति की भी समीक्षा की। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार जिला शिमला के जुब्बल के अणु, चौपाल, संदासू खड़ापत्थर, दत्तनगर और ढली, जिला कांगड़ा के कंदरौरी और सुलह, जिला सोलन के जाबली, जिला किन्नौर के भावानगर और जिला मंडी के सुन्दरनगर में चरणबद्ध तरीके से सीए स्टोर स्थापित कर रही है। इसके लिए प्रदेश सरकार ने 330 करोड़ रुपए प्रदान किए हैं।
मुख्यमंत्री ने प्रदेश के सभी 12 जिलों में 1010 करोड़ रुपए से कार्यान्वित की जा रही जायका परियोजना की भी समीक्षा की और संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए कि इस परियोजना के अधिकाधिक लाभ प्रदेश के किसानों को सुनिश्चित किए जाएं। इसके अतिरिक्त उन्होंने हिमाचल प्रदेश कृषि विपणन बोर्ड की विभिन्न परियोजनाओं की भी समीक्षा की और अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए।
एपीएमसी के अध्यक्षों की मांगें की स्वीकार : देवानंद
एपीएमसी शिमला व किन्नौर के अध्यक्ष देवानंद वर्मा ने कहा कि सीएम के साथ सौहार्दपूर्ण वातावरण में बैठक हुई, जिसमें प्रदेश की सभी एपीएमसी के अध्यक्षों व सदस्यों ने भाग लिया। इस दौरान उन्होंने मानदेय से संबंधित मामला सीएम से उठाया। सीएम ने उनकी सभी मांगें स्वीकार कर ली हैं, उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती के लिए जो भी जिम्मेदारी एपीएमसी को दी जाएगी उसे वह पूरा करेंगे। इसके अलावा सीएम ने शिलारू, पराला की मंडी व सीए स्टोर के उद्घाटन के लिए भी जल्द समय देने का आश्वासन दिया।
प्राकृतिक खेती को केंद्र ने मंजूर किए 40 करोड़ : चंद्र कुमार
कृषि मंत्री चंद्र कुमार ने कहा कि केंद्र सरकार ने प्राकृतिक खेती के लिए 40 करोड़ मंजूर किए हैं, इसमें से 17 करोड़ राज्य सरकार को मिल चुके हैं। प्राकृतिक खेती से तैयार गेहूं, मक्की व हल्दी को बाजार तक पहुंचाने में सहायता की जाएगी। इसके लिए विपणन बोर्ड को दायित्व सौंपा गया है। साथ ही इन उत्पाद के लिए कंपनियों से संपर्क किया जाएगा। इसके अलावा इनको प्रोसैस भी किया जाएगा। इसके अलावा हल्दी का बीज कृषि विश्वविद्यालय मुहैया करवाएगा।
प्राकृतिक खेती करने वाले किसानों का डाटा काल्पनिक
चंद्र कुमार ने कहा कि प्राकृतिक खेती कर रहे किसानों की समीक्षा होगी। उन्होंने कहा कि राज्य में 2 लाख किसान प्राकृतिक खेती कर रहे। यह डाटा काल्पनिक है। पता चला है कि इसमें से 5 हजार किसान ही प्राकृतिक खेती के नियमों पर खरे उतरते हैं। ऐसे में किसानों की प्रति हैक्टेयर उत्पादन को भी देखेंगे। इसके लिए किसानों के फार्म भरवाएंगे।