Edited By Kuldeep, Updated: 11 Jul, 2025 05:49 PM

हिमाचल में सामने आए बहुचर्चित फर्जी डिग्री घोटाले में संलिप्त आरोपियों के राज खुलने लगे हैं। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की जांच में खुलासा हुआ है कि सोलन स्थित मानव भारती विश्वविद्यालय (एमबीयू) के नाम पर फर्जी डिग्रियां बेचकर शातिर आरोपियों ने चंद...
शिमला (राक्टा): हिमाचल में सामने आए बहुचर्चित फर्जी डिग्री घोटाले में संलिप्त आरोपियों के राज खुलने लगे हैं। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की जांच में खुलासा हुआ है कि सोलन स्थित मानव भारती विश्वविद्यालय (एमबीयू) के नाम पर फर्जी डिग्रियां बेचकर शातिर आरोपियों ने चंद वर्षों में 387 करोड़ की काली कमाई कर डाली। इस घोटाले में एजैंटों की अहम भूमिका रही, जिन्होंने देश के 17 से अधिक राज्यों में संभावित खरीदारों और विश्वविद्यालय अथॉरिटी के बीच संपर्क स्थापित किया। ईडी ने जांच में पाया है कि मुख्य आरोपी के साथ ही फर्जी डिग्री घोटाले में संलिप्त कई एजैंटों ने भी अपराध की आय से कई संपत्तियां अर्जित कीं। ऐसे में अब एजैंटों की संबंधित संपत्तियां भी ईडी के राडार पर हैं। ईडी 3 एजैंटों की 1.74 करोड़ रुपए की 7 अचल संपत्तियों को पहले ही अटैच कर चुकी है।
शातिर आरोपी फर्जी डिग्री का लेन-देन नकद करते थे। शैक्षणिक सत्र पूरा होने के बाद फर्जी डिग्रियां बिकना शुरू हो जाती थीं। मामले की जांच में सामने आए तथ्यों के आधार पर अब तक ईडी 202 करोड़ रुपए की चल और अचल संपत्तियों को अटैच कर चुकी है। एमबीयू के नाम से वर्ष 2009 में यह यूनिवर्सिटी सोलन जिला में स्थापित हुई थी। आरोप है कि डिग्रियां बेचने का खेल वर्ष 2010 से ही शुरू हो गया था। माना जा रहा है कि ईडी की जांच में आने वाले समय में कई अन्य खुलासे भी हो सकते हैं।
36 हजार से अधिक फर्जी डिग्री बेचीं
फर्जी डिग्री से जुड़े मामले में जो तथ्य सामने आए थे, उसके अनुसार एमबीयू के नाम पर 36 हजार से अधिक फर्जी डिग्रियां प्रदेश के साथ ही बाहरी राज्यों व विदेशों में बेची गईं। ऐसे में सोलन जिला के धर्मपुर पुलिस स्टेशन में विभिन्न धाराओं के तहत दर्ज 3 एफआईआर को आधार बनाकर ईडी मामले में धन शोधन निवारण अधिनियम 2002 के प्रावधानों के तहत जांच कर रही है।