Edited By Kuldeep, Updated: 22 Jan, 2025 09:56 PM
राज्य के सबसे बड़े अस्पताल आईजीएमसी में कैंसर रोगी की इंजैक्शन न मिलने के अभाव में हुई मौत का मामला अब प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के दरबार में पहुंच गया है।
शिमला (संतोष): राज्य के सबसे बड़े अस्पताल आईजीएमसी में कैंसर रोगी की इंजैक्शन न मिलने के अभाव में हुई मौत का मामला अब प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के दरबार में पहुंच गया है। मृतक देवराज शर्मा की पुत्री जाहन्वी शर्मा ने मुख्य न्यायाधीश जीएस संधवालिया को मामले की पूरी जानकारी पत्र द्वारा भेजी है और इस बेटी ने अब मुख्य न्यायाधीश से न्याय की गुहार लगाई है। मुख्य न्यायाधीश को लिखे पत्र में जाहन्वी शर्मा ने कहा कि 7 जनवरी, 2024 से हिमकेयर कार्ड के माध्यम से उसके पिता का कैंसर का उपचार चल रहा था और 7 दिसम्बर, 2024 तक उनका कार्ड वैध था और उसमें पर्याप्त बैलेंस था।
13 नवम्बर, 2024 को उन्हें इस इंजैक्शन की आवश्यकता थी, लेकिन हिमकेयर से यह इंजैक्शन नहीं मिला, क्योंकि सरकार ने सप्लायर को पैसों का भुगतान नहीं किया था। वह कई बार आईजीएमसी गए, जहां पर हिमकेयर टीम ने उन्हें मार्कीट से इंजैक्शन खरीदने के लिए दबाव डाला, क्योंकि सरकार से हिमकेयर के पैसे ही नहीं मिले थे। इस इंजैक्शन की कीमत करीब 50,000 रुपए थी और उनकी वित्तीय स्थिति ठीक नहीं थी, तभी तो वे हिमकेयर से अपना उपचार करवा रहे थे। एक वर्ष से पिता का इलाज चल रहा था और सभी सेविंग उनकी पिता के उपचार में ही खर्च हो गई। उन्हें कहीं से कोई मदद नहीं मिली और उसके पिता की तबीयत और बिगड़ती चली गई। अंतत: 3 दिसम्बर, 2024 को उनकी मौत हो गई। 6 दिसम्बर को उन्हें आईजीएमसी से काॅल आई कि उन्होंने उनके रोगी के लिए इंजैक्शन का प्रबंध कर लिया है।
जाहन्वी ने बताया कि उन्होंने मामले को सीएम हैल्पाइन में भी उठाया, जहां से उन्हें संतोषजनक जवाब नहीं मिला, अपितु उसके खिलाफ किसी की शिकायत करने पर कार्रवाई करने की बात कही गई। उन्होंने हिमकेयर में 1,000 रुपए जमा करके इस योजना का लाभ उठाना चाहा था, क्योंकि हिमकेयर के तहत कैशलैस उपचार की सुविधा मिलती है। जाहन्वी ने मुख्य न्यायाधीश से गुहार लगाई है कि इस मामले की गहनता से जांच की जाए और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए। उनके पिता तो चले गए, लेकिन भविष्य में और किसी के साथ ऐसी घटना घटित न हो। वह 21 वर्षीय है और विद्यार्थी है तथा उसका छोटा भाई भी 18 वर्ष का है और पढ़ाई कर रहा है, जबकि माता मधुमेह रोगी है और उसकी हालत भी ठीक नहीं है। इसलिए मुख्य न्यायाधीश इस पर संज्ञान लें और उन्हें इंसाफ दिलाया जाए।