‘एक देश, एक चुनाव’ का सुझाव अति जरूरी : शांता कुमार

Edited By Vijay, Updated: 27 Nov, 2020 11:23 PM

shanta kumar in palampur

पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार ने कहा है कि प्रधानमंत्री के एक देश एक चुनाव का सुझाव अत्यंत महत्वपूर्ण ही नहीं, भारत की आज स्थिति में अत्यंत आवश्यक और लाभदायक भी है। उन्होंने सभी राजनीतिक दलों से इस सुझाव को अतिशीघ्र स्वीकार करने की अपील की है।...

पालमपुर (ब्यूरो): पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार ने कहा है कि प्रधानमंत्री के एक देश एक चुनाव का सुझाव अत्यंत महत्वपूर्ण ही नहीं, भारत की आज स्थिति में अत्यंत आवश्यक और लाभदायक भी है। उन्होंने सभी राजनीतिक दलों से इस सुझाव को अतिशीघ्र स्वीकार करने की अपील की है। उन्होंने कहा कि सबसे अधिक लाभ धन की बचत है। विधानसभा और लोकसभा का चुनाव पूरे देश में एक बार होने से सरकार के अरबों रुपयों की बचत होगी। भारत में विधानसभा और लोकसभा के चुनाव ही अलग-अलग चुनाव या उपचुनाव भी होते रहते हैं। इन चुनावों पर इतना अधिक खर्च होता है जो भारत के विकास की दृष्टि से एक बहुत बड़ा अपराध है। उन्होंने कहा कि कोरोना संकट के कारण देश भयंकर आर्थि क संकट में है। इस दृष्टि से यह निर्णय करके करोड़ों/अरबों रुपए बचाना समय की सबसे बड़ी मांग को पूरा करना होगा।

उन्होंने कहा कि आज भारत में पूरे 5 साल राष्ट्रीय राजनीति चुनाव के मूड में ही रहती है। विकास का मूड बहुत कम बनता है। अभी बिहार का चुनाव समाप्त हुआ और उसके बाद पश्चित बंगाल के चुनाव की तैयारी शुरू हो गई। सभी दलों के राष्ट्रीय नेता इस प्रकार पूरे 5 साल चुनाव में ही उलझे रहते हैं। यह एक कड़वी सच्चाई है कि चुनाव में सभी पाटिंयां काले धन का उपयोग करती हैं जो एक बहुत बड़ा कलंक है। यदि 5 साल में सारे चुनाव एक बार हो जाएं तो 5 साल में देश एक बार ही कलंकित होगा। आज की परिस्थिति में पूरे 5 साल कहीं न कहीं चुनाव होते रहते हैं और काला धन खर्च होता है, जिससे देश बार-बार कलंकित होता रहता है। उन्होंने कहा कि ग्लोबल हंगर इंडैक्स की रिपोर्ट के अनुसार जिस देश में 16 करोड़ लोग रात को भूखे पेट सोने को मजबूर हैं, उस देश में बार-बार के चुनाव पर अरबों रुपए खर्च करना एक मूर्खता और अपराध है।

उन्होंने कहा कि अटल जी के समय में इस विषय पर गंभीरता से विचार हुआ था। मंत्रिमंडल के कुछ सदस्यों की कई बार प्रधानमंत्री से अनौपचारिक बातचीत भी हुई थी। अटल जी ने एक बार विपक्षी दलों के नेताओं से चर्चा भी की थी। उन्होंने कहा कि एक बार जब उन्होंने और शेखावत ने इस योजना का जोरदार समर्थन किया था तो बैठक में एक ही बात पर विरोध हुआ था कि यदि किसी प्रदेश में अविश्वास प्रस्ताव लाकर सरकार गिर जाए तो क्या किया जा सकता है। इस पर शेखावत ने सुझाव दिया था कि अविश्वास प्रस्ताव लाने वालों को उसके साथ ही वैकल्पिक सरकार का विश्वास प्रस्ताव भी लाना होगा। यदि केवल अविश्वास प्रस्ताव पास हो जाए और वैकल्पिक सरकार न बन सके तो प्रावधान यह हो कि बाकी समय के लिए विधानसभा भंग कर दी जाएगी और राष्ट्रपति शासन लागू होगा।

यह सुझाव अटल जी को बहुत पसंद आया था। सबकी राय बनी कि इससे कोई विधायक नहीं चाहेगा कि विधानसभा भंग हो और सब बेकार हो जाए। इसी कारण राजनीतिक अस्थिरता समाप्त होगी, दल बदल नहीं होगा और स्थिरता भी आएगी। उन्होंने कहा कि गरीबी और बेरोजगारी से जूझते भारत जैसे देश में प्रधानमंत्री का सुझाव अतिशीघ्र स्वीकार किया जाना चाहिए। कश्मीर में अनुच्छेद-370 समाप्त करने के बराबर ही यह राष्ट्रीय महत्व का कार्य होगा।

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