Edited By Vijay, Updated: 29 Oct, 2020 11:38 PM
कोरोना महामारी के बीच स्क्रब टाइफस भी सक्रिय हो गया है। लोगों को एक के बाद एक बीमारी जकड़ती जा रही है। आईजीएमसी में अगर स्क्रब टाइफस के मरीजों का आंकड़ा देखा जाए तो वर्तमान वर्ष में अभी तक 3 लोगों की मौत हो चुकी है और 280 के करीब लोग स्क्रब टाइफस की...
शिमला (रविंद्र जस्टा): कोरोना महामारी के बीच स्क्रब टाइफस भी सक्रिय हो गया है। लोगों को एक के बाद एक बीमारी जकड़ती जा रही है। आईजीएमसी में अगर स्क्रब टाइफस के मरीजों का आंकड़ा देखा जाए तो वर्तमान वर्ष में अभी तक 3 लोगों की मौत हो चुकी है और 280 के करीब लोग स्क्रब टाइफस की चपेट में आ चुके हैं। स्क्रब टाइफस को लेकर 900 लोगों के टैस्ट किए जा चुके हैं। यहां पर चिंता का विषय तो यह है कि कोरोना महामारी का दौर जारी है और स्क्रब टाइफस भी बढ़ता ही जा रहा है।
प्रदेश में हर साल जाती है 200 से 300 लोगों की जान
प्रदेश में स्क्रब टाइफस हर साल 200 से 300 के बीच लोगों की जान ले लेता है। आईजीएमसी में स्क्रब टाइफस के मरीजों का आना जारी है। हालांकि चिकित्सकों द्वारा लोगों को स्क्रब टाइफस से सतर्क की सलाह दी जा रही है। हर रोज चिकित्सक कोरोना के साथ-साथ अब स्क्रब टाइफस के टैस्ट कर रहे हैं। चिकित्सकों ने लोगों को निर्देश दिए हैं कि अगर कोई घास काटता है तो वह चिकित्सक को बताए ताकि चिकित्सक समय पर उसका इलाज कर सके। स्वास्थ्य विभाग का दावा है कि स्क्रब टाइफस को लेकर स्थिति पर पूरी नजर रखी जा रही है लेकिन महज नजर रखने से इस बीमारी पर काबू पाना मुश्किल है।
संक्रमित पिस्सू के काटने से फैलता है स्क्रब टाइफस
स्क्रब टाइफस एक जीवाणु से संक्रमित पिस्सू के काटने से फैलता है जो खेतों, झाडिय़ों व घास में रहने वाले चूहों में पनपता है। जीवाणु चमड़ी के माध्यम से शरीर में फैलता है और स्क्रब टाइफस बुखार बन जाता है। चिकित्सकों का तर्क है कि लोगों को चाहिए कि इन दिनों झाडिय़ों से दूर रहें और घास आदि के बीच न जाएं लेकिन किसानों और बागवानों के लिए यह संभव नहीं है क्योंकि इन दिनों खेतों और बगीचों में घास काटने का अधिक काम रहता है। यही कारण है कि स्क्रब टाइफस का शिकार होने वाले लोगों में किसानों और बागवानों की संख्या ज्यादा है। अस्पताल में स्क्रब टाइफस के मामले शिमला जिला सहित प्रदेश के अन्य जिलों से भी आ रहे हैं।
स्क्रब टाइफस के लक्षण
स्क्रब टाइफस होने पर मरीज को तेज बुखार जिसमें 104 से 105 तक जा सकता है। जोड़ों में दर्द और कंपकंपी के साथ बुखार, शरीर में ऐंठन, अकडऩ या शरीर का टूटा हुआ लगना, अधिक संक्रमण में गर्दन, बाजू व कूल्हों के नीचे गिल्टियां होना आदि इसके लक्षण हैं।
स्क्रब टाइफस से बचने के उपाय
सफाई का विशेष ध्यान रखें। घर व आसपास के वातावरण को साफ रखें। घर व आसपास कीटनाशक दवा का छिड़काव करें। मरीजों को डॉक्सीसाइक्लन और एजिथ्रोमाइसिन दवा दी जाती है। स्क्रब टाइफस शुरूआत में आम बुखार की तरह होता है लेकिन यह सीधे किडनी और लिवर पर अटैक करता है। यही कारण है कि मरीजों की मौत हो जाती है।
लक्षण दिखाई देने पर तुरंत आएं अस्पताल : जनक राज
आईजीएमसी के एमएस डॉ. जनक राज ने लोगों से अपील की है कि आईजीएमसी में स्क्रब टाइफस के मरीज भी आ रहे हैं। अगर लोगों को इसके कोई लक्षण दिखाई देते हैं तो वे तुरंत आईजीएमसी आएं। आईजीएमसी में उपचार के पूरे साधन हैं। लोगों को इन दिनों इस बीमारी से बचकर रहना होगा।