Edited By kirti, Updated: 03 Dec, 2019 11:40 AM
9 साल से स्कूल की छत की मुरम्मत नहीं हो पाई है और अब सामुदायिक भवन में चल रहे स्कूल भवन में भी दरारें आ गई हैं। फिर काहे के शिक्षा के ईनाम। न कोई सुनने वाला और न ही कोई बात करने वाला। आखिर इन 16 नौनिहालों की जिंदगी को खतरे में डालने वाली हमारी...
सलूणी (ब्यूरो): 9 साल से स्कूल की छत की मुरम्मत नहीं हो पाई है और अब सामुदायिक भवन में चल रहे स्कूल भवन में भी दरारें आ गई हैं। फिर काहे के शिक्षा के ईनाम। न कोई सुनने वाला और न ही कोई बात करने वाला। आखिर इन 16 नौनिहालों की जिंदगी को खतरे में डालने वाली हमारी व्यवस्था कैसी तालीम दे रही है उन्हें। हम बात कर रहे हैं उपमंडल की पंचायत भांदल के प्राथमिक स्कूल लंगेरा की। इस स्कूल के बच्चे असुरक्षित भवन में जान जोखिम में डाल कर शिक्षा ग्रहण करने को मजबूर हैं।
शिक्षा विभाग द्वारा जो प्राथमिक पाठशाला लंगेरा के लिए भवन बनाया गया था, उस भवन की छत करीब 9 साल पहले तूफान आने से उड़ गई थी, साथ ही दीवारें क्षतिग्रस्त होने से बच्चों को अस्थायी तौर पर पंचायत ने अपने सामुदायिक भवन में बैठाया। 9 साल से उस सामुदायिक भवन में स्कूल को चलते हुए हो गए लेकिन इस दौरान विभाग स्कूल के क्षतिग्रस्त भवन की मुरम्मत करना तो दूर, भवन निर्माण के लिए भूमि तक चिन्हित करने में नाकाम रहा है। लोगों का कहना है कि जिस सामुदायिक भवन में स्कूल चल रहा है, उसके नीचे भू-स्खलन होने से भवन के पिल्लर व दीवारों में दरारें आ गई हैं, जिसके चलते भवन किसी भी समय गिर सकता है। ऐसे में अध्यापकों व शिक्षा ग्रहण कर रहे करीब 16 बच्चों को खमियाजा भुगतना पड़ सकता है।