Edited By kirti, Updated: 27 Oct, 2018 10:00 AM
प्रदेश में आखिर स्कूली वाहनों में बच्चों का सफर कब सुरक्षित होगा, नियमों की कसौटी पर स्कूल कब खरा उतरकर सरकार की गाइडलाइन का गंभीरता से पालन करेंगे, प्रशासन कब तक कार्रवाई के नाम पर सुस्ती बरतता रहेगा। ये चंद सवाल एक बार फिर इसलिए उठ रहे हैं...
धर्मशाला : प्रदेश में आखिर स्कूली वाहनों में बच्चों का सफर कब सुरक्षित होगा, नियमों की कसौटी पर स्कूल कब खरा उतरकर सरकार की गाइडलाइन का गंभीरता से पालन करेंगे, प्रशासन कब तक कार्रवाई के नाम पर सुस्ती बरतता रहेगा। ये चंद सवाल एक बार फिर इसलिए उठ रहे हैं क्योंकि नूरपुर में इस साल अप्रैल में हुए दर्दनाक हादसे के सात महीने बाद भी प्रदेश भर में अधिकांश निजी स्कूलों की परिवहन व्यवस्था फिर उसी ढर्रे पर चलती दिख रही है जिसे सुरक्षित कतई नहीं माना जा सकता।
कांगड़ा में 3 दिन पहले किसी और वाहन की नम्बर प्लेट लगाकर चल रहा एक निजी स्कूली वाहन इसका स्पष्ट प्रमाण है। स्कूली परिवहन को सुरक्षित बनाने के लिए सरकार और स्कूलों की गंभीरता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि न तो अभी तक सूबे के अधिकतर निजी स्कूल वाहनों में स्पीड गवर्नर लग पाए हैं न ही जी.पी.एस. सिस्टम और सी.सी.टी.वी. कैमरे। वहीं स्कूली बच्चों के सफर को सुरक्षित बनाने के लिए बनाई गई गाइडलाइन को लागू करवाने के लिए सरकार ने जिला और उपमंडल स्तर पर कमेटियां बनाकर हर 3 माह में निरीक्षण के निर्देश जारी किए थे लेकिन आज तक धरातल पर इन कमेटियों का काम नहीं दिखाई दिया है।
अब एक बार फिर सरकार ने 12 अक्तूबर को स्कूली वाहनों के संचालन के लिए 20 बिंदुओं की संशोधित गाइडलाइन जारी की है लेकिन देखना ये होगा कि निजी स्कूल इस बार भी नियमों का पालन करने में संजीदगी दिखाते हैं या नहीं।