SC ने वाइल्ड फ्लावर हाॅल का कब्जा सरकार को सौंपने के दिए आदेश, CM ने किया निर्णय का स्वागत

Edited By Vijay, Updated: 21 Feb, 2024 08:55 PM

sc orders hand over possession of wild flower hall to government

सर्वोच्च न्यायालय ने प्रदेश हाईकोर्ट के उस फैसले पर मोहर लगा दी, जिसमें हाईकोर्ट ने ओबरॉय होटल ग्रुप को आदेश दिए थे कि वह वाइल्ड फ्लावर हाॅल होटल छराबड़ा का कब्जा हिमाचल सरकार को सौंप दे। सर्वोच्च न्यायालय ने हालांकि होटल का कब्जा सौंपने की अवधि 31...

शिमला (ब्यूरो): सर्वोच्च न्यायालय ने प्रदेश हाईकोर्ट के उस फैसले पर मोहर लगा दी, जिसमें हाईकोर्ट ने ओबरॉय होटल ग्रुप को आदेश दिए थे कि वह वाइल्ड फ्लावर हाॅल होटल छराबड़ा का कब्जा हिमाचल सरकार को सौंप दे। सर्वोच्च न्यायालय ने हालांकि होटल का कब्जा सौंपने की अवधि 31 मार्च, 2025 तक बढ़ा दी है। हाईकोर्ट ने इस संबंध में वित्तीय मामले निपटाने के लिए दोनों पक्षों को एक नामी चार्टेड अकाऊंटैंट नियुक्त करने के आदेश भी दिए थे। सरकार के आवेदन का निपटारा करते हुए हाईकोर्ट ने कहा था कि ओबरॉय ग्रुप आर्बिट्रेशन अवार्ड की अनुपालना 3 माह की तय समय सीमा के भीतर करने में असफल रहा। इसलिए प्रदेश सरकार होटल का कब्जा और प्रबंधन अपने हाथों में लेने के लिए पात्र हो गई है। मामले के अनुसार वर्ष 1993 में वाइल्ड फ्लावर हाॅल होटल में आग लग गई थी। इसे फिर से फाइव स्टार होटल के रूप में विकसित करने के लिए ग्लोबल टैंडर आमंत्रित किए गए थे। निविदा के तहत ईस्ट इंडिया होटल्स लिमिटेड ने भी भाग लिया और राज्य सरकार ने ईस्ट इंडिया होटल्स के साथ सांझेदारी में कार्य करने का फैसला लिया था। संयुक्त उपक्रम के तहत ज्वाइंट कंपनी मशोबरा रिजॉर्ट लिमिटेड के नाम से बनाई गई। करार के अनुसार कंपनी को 4 वर्ष के भीतर फाइव स्टार होटल का निर्माण करना था। ऐसा न करने पर कंपनी को 2 करोड़ रुपए जुर्माना प्रतिवर्ष राज्य सरकार को अदा करना था।

6 वर्ष बाद भी होटल को उपयोग लायक नहीं बना पाई थी कंपनी
वर्ष 1996 में सरकार ने कंपनी के नाम जमीन को ट्रांसफर किया। 6 वर्ष बीत जाने के बाद भी कंपनी पूरी तरह होटल को उपयोग लायक नहीं बना पाई। वर्ष 2002 में सरकार ने कंपनी के साथ किए गए करार को रद्द कर दिया। सरकार के इस निर्णय को कंपनी लॉ बोर्ड के समक्ष चुनौती दी गई। बोर्ड ने कंपनी के पक्ष में फैसला सुनाया था। सरकार ने इस निर्णय को हाईकोर्ट की एकल पीठ के समक्ष चुनौती दी। हाईकोर्ट ने मामले को निपटारे के लिए आर्बिट्रेटर के पास भेजा। आर्बिट्रेटर ने वर्ष 2005 में कंपनी के साथ करार रद्द किए जाने के सरकार के फैसले को सही ठहराया था और सरकार को संपत्ति वापस लेने का हकदार ठहराया। इसके बाद एकल पीठ के निर्णय को कंपनी ने डबलबैंच के समक्ष चुनौती दी थी। बैंच ने कंपनी की अपील को खारिज करते हुए अपने निर्णय में कहा कि मध्यस्थ की ओर से दिया गया फैसला सही और तर्कसंगत है। कंपनी के पास यह अधिकार बिल्कुल नहीं कि करार में जो फायदे की शर्तें हैं, उन्हें मंजूर करे और जिससे नुक्सान हो रहा हो, उसे नजरअंदाज करें।

सीएम बोले-सरकार ने मामले की सशक्त तरीके से की थी पैरवी 
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने होटल वाइल्ड फ्लावर हाॅल के संबंध में हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के निर्णय को बरकरार रखने के सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने इस मामले की सशक्त तरीके से पैरवी की थी, जिसके फलस्वरूप प्रदेश सरकार के पक्ष में फैसला आया। सर्वोच्च न्यायालय ने प्रदेश के हितों को ध्यान में रखते हुए हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के निर्णय को सही ठहराया है। उन्होंने इस अनुकूल निर्णय का श्रेय सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष प्रभावी तरीके से मामला प्रस्तुत करने के राज्य सरकार के प्रयासों को दिया। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने राज्य के हितों की रक्षा करने के लिए प्रतिबद्धता से प्रयास किए और प्रसिद्ध वकील मुकुल रोहतगी के माध्यम से कानूनी लड़ाई में सरकार का व्यापक प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार संपत्ति का कब्जा मिलने के बाद इसके संबंध में भविष्य की कार्रवाई पर विचार-विमर्श करेगी और हिमाचल के हितों के अनुरूप निर्णय लेगी।
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