सफलता की कहानी: राजीव गांधी स्टार्टअप योजना से चल पड़ी रमेश और नसीरद्दीन की जिंदगी की ‘गाड़ी’

Edited By Jyoti M, Updated: 07 Apr, 2025 10:17 AM

rajiv gandhi startup scheme started the journey of ramesh and naseeruddin s life

बेरोजगार युवाओं को स्वरोजगार के साधन उपलब्ध करवाने के साथ-साथ हिमाचल प्रदेश की आबोहवा को स्वच्छ बनाए रखने के लिए राज्य सरकार द्वारा आरंभ की गई राजीव गांधी स्वरोजगार स्टार्टअप योजना कई बेरोजगारों के लिए नई खुशियां लेकर आई है। इसी योजना के कारण जिला...

 

हमीरपुर। बेरोजगार युवाओं को स्वरोजगार के साधन उपलब्ध करवाने के साथ-साथ हिमाचल प्रदेश की आबोहवा को स्वच्छ बनाए रखने के लिए राज्य सरकार द्वारा आरंभ की गई राजीव गांधी स्वरोजगार स्टार्टअप योजना कई बेरोजगारों के लिए नई खुशियां लेकर आई है। इसी योजना के कारण जिला हमीरपुर के गांव भूंपल के रमेश कुमार और गांव मझियार के नसीरद्दीन की जिंदगी की ‘गाड़ी’ अब सरपट दौड़ने लगी है। प्राइवेट कंपनियों और अन्य ट्रांसपोर्टरों की गाड़ियां चलाकर अपने परिवारों का पालन-पोषण कर रहे रमेश कुमार तथा नसीरद्दीन के पास न तो स्थायी नौकरी थी और न ही वे अपनी गाड़ी खरीदकर उसे टैक्सी के रूप में चलाने की सोच सकते थे।

कम वेतन पर ट्रांसपोर्टरों की गाड़ियां चलाना, बार-बार नौकरियां बदलना और कई-कई हफ्तों तक घर से बाहर रहते हुए दिन-रात वाहन चलाना रमेश कुमार और नसीरद्दीन की दिनचर्या का हिस्सा बन चुका था। वे कई बार अपना वाहन खरीदकर आजीविका चलाने की सोचते थे, लेकिन पैसे की कमी कारण उनका यह सपना साकार नहीं हो पा रहा था। लेकिन, मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व में हिमाचल प्रदेश सरकार ने जब राजीव गांधी स्वरोजगार स्टार्टअप योजना की शुरुआत की तो रमेश और नसीरद्दीन को तो जैसे बहुत बड़ा सहारा मिल गया। उन्होंने तुरंत इस योजना के तहत ई-टैक्सी खरीदने के लिए ऑनलाइन माध्यम से आवेदन कर दिया और योजना के पहले चरण में ही ई-टैक्सी के लिए उनका नंबर भी आ गया। ई-टैक्सी की खरीद पर रमेश कुमार और नसीरद्दीन को प्रदेश सरकार की ओर से 50 प्रतिशत सब्सिडी मिली, जिसकी राशि प्रति वाहन लगभग 9.62 लाख रुपये है।

प्रदेश सरकार ने भारी-भरकम सब्सिडी ही नहीं दी, बल्कि इसी योजना के तहत ई-टैक्सी के लिए स्थायी रूप से काम देने का भी प्रावधान कर दिया। रमेश कुमार की इलेक्ट्रिक गाड़ी को जलशक्ति विभाग के भोरंज मंडल में और नसीरद्दीन की गाड़ी को क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी कार्यालय हमीरपुर के साथ अटैच कर दिया गया। यानि इन दोनों वाहन मालिकों एवं चालकों की कारोबार की चिंता भी सरकार ने ही दूर कर दी। इस सराहनीय योजना की बार-बार प्रशंसा और प्रदेश सरकार का आभार व्यक्त करते हुए रमेश कुमार तथा नसीरद्दीन का कहना है कि इससे उन्हें व्यक्तिगत रूप से डबल फायदा हुआ है। हिमाचल को प्रदूषण मुक्त एवं हरित राज्य बनाने की दिशा में भी यह योजना एक मील का पत्थर साबित होने जा रही है। उनका कहना है कि मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू की दूरदर्शी सोच के कारण ही यह संभव हुआ है।

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