लॉकडाउन : हिमाचल में असंगठित क्षेत्र के कामगारों के भविष्य पर सवालिया निशान

Edited By PTI News Agency, Updated: 26 Mar, 2020 07:19 PM

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शिमला, 26 मार्च (भाषा) कोरोना वायरस संक्रमण के मद्देनजर कई दिन से मॉल रोड स्थित जामा मस्जिद के एक छोटे से कमरे में रह रहा पेशे से कुली बिलाल (22) सिर्फ खाना लेने के लिए मस्जिद परिसर में ही बने ढाबे तक जा रहा है।

शिमला, 26 मार्च (भाषा) कोरोना वायरस संक्रमण के मद्देनजर कई दिन से मॉल रोड स्थित जामा मस्जिद के एक छोटे से कमरे में रह रहा पेशे से कुली बिलाल (22) सिर्फ खाना लेने के लिए मस्जिद परिसर में ही बने ढाबे तक जा रहा है।

इस महामारी के दौरान ज्यादातर लोग सरकार की अपील और डर के कारण घरों के भीतर रह रहे हैं। इस बंदी/कर्फ्यू जैसे हालात ने बोझ उठाने वाले बिलाल जैसे लोगों के लिए कामकाज के अवसर लगभग शून्य कर दिए हैं।

वायरस संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा सोमवार से सम्पूर्ण लॉकडाउन की घोषणा के बाद ऐसे कामगारों (दिहाड़ी मजदूरों) का भविष्य और अनिश्चित सा नजर आ रहा है।

जम्मू-कश्मीर में अनंतनाग के रहने वाले बिलाल के दिमाग में पूरे वक्त यही चलता रहता है कि आखिर उसकी रोजी रोटी कैसे चलेगी, रखे हुए पैसे तो धीरे-धीरे खर्च हो रहे हैं, अब क्या होगा?
पांच साल से पिट्ठू का काम कर रहे बिलाल ने बताया, ‘‘मैं रोज 500 से 1,500 रुपये तक कमा लेता था, लेकिन पिछले 10-12 दिन से एक नये पैसे की कमायी नहीं हुई है। हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा लॉकडाउन की घोषणा के पहले ही काम मिलना बंद हो गया था।’’
उसने बताया, ‘‘फिलहाल मेरे पास कुछ पैसे हैं, जिनसे मैं जामा मस्जिद परिसर में बने ढाबे से भोजन और बाकि खाद्यान्न खरीद रहा हूं। मुझे नहीं पता है कि अगले कुछ दिन में पैसे खत्म होने के बाद मैं खाना कैसे खाऊंगा। 14 अप्रैल को राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन खत्म होने के बाद भी काम मिलने की कोई संभावना नहीं है।’’
ऐसी हालत सिर्फ बिलाल की नहीं है, ऐसे लोगों की बड़ी संख्या है जो इसी दुख में घुल रहे हैं कि जमापूंजी खत्म होने पर रोटी कैसे मिलेगी।

प्रदेश के हमीरपुर जिले में रहने वाले बिहार निवासी जगत राम को लगता है कि अगर काम नहीं मिला तो कैसे संवरेगी उसकी और उसके परिवार की जिंदगी।

राम का कहना है, ‘‘मेरे और मेरे परिवार के लिए बेहद खराब हालात हैं।’’
बिहार और उत्तर प्रदेश से आने वाले दिहाड़ी महिला मजदूरों मंतरन देवी और सिमरतो देवी का भी कुछ यही कहना है कि जमापूंजी खर्च हो जाने पर रोटी कहां से आएगी।

प्रदेश सरकार ने सोमवार को राज्य में भवन एवं विनिर्माण कामगार बोर्ड में पंजीकृत कामगारों को एक बार में 2,000 रुपये की सहायता देने की घोषणा की थी। साथ ही गरीबों के लिए 500 करोड़ रुपये के राहत पैकेज की भी घोषणा हुई थी, लेकिन असंगठित क्षेत्र के कामगारों के लिए कोई घोषणा नहीं हुई है।


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