निजी स्कूलों की लापरवाही, बसों में ठूंस-ठूंस कर घर पहुंचाए जा रहे नौनिहाल

Edited By Updated: 08 May, 2017 01:11 PM

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हिमाचल में निजी स्कूलों की बसों की बढ़ती दुर्घटनाओं को रोकने के लिए स्पीडोमीटर सैट करने की कवायद शुरू की जा रही है....

ऊना: हिमाचल में निजी स्कूलों की बसों की बढ़ती दुर्घटनाओं को रोकने के लिए स्पीडोमीटर सैट करने की कवायद शुरू की जा रही है, वहीं इनमें ओवरलोडिंग रोकने के अभियान अब तक बेअसर नजर आ रहे हैं। स्कूली बसों और वैनों में ठूंस-ठूंस कर नौनिहाल घर पहुंचाए जा रहे हैं। न तो अभिभावक आवाज उठा पा रहे हैं और न ही परिवहन विभाग इन पर लगाम लगा पा रहा है। जिला के हर हिस्से में लगभग हालात एक जैसे बने हुए हैं और लम्बे अर्से से यह क्रम चलता आ रहा है।


शून्य साबित हो रहे हैं नौनिहालों को सुविधाएं दिलवाने के नियम
नौनिहालों को सुविधाएं दिलवाने और नियम कायदे सुचारू करवाने के लिए उठाए गए सब कदम अब तक शून्य साबित हो रहे हैं। कई स्कूल बसों में न तो परिचालक की सुविधा होती है और न ही अटैंडैंट मुहैया करवाए जाते हैं। बसों की खिड़कियों में ग्रिल लगाने जैसा भी कोई प्रावधान नहीं होता है। चालक और विद्यार्थियों को लेकर अधिकतर बसें सरपट दौड़ती नजर आती हैं। एक ओर पढ़ाई का बोझ और दूसरी तरफ ट्रांसपोटेशन की अव्यवस्था के बीच नौनिहालों का बचपन पिसता जा रहा है।


निजी स्कूल आऊटसोर्सिंग से हायर करते हैं वाहन
निजी स्कूलों ने अपने नाम पर कुछ ही बसें रखी होती हैं और अन्य वाहन आऊटसोर्सिंग के माध्यम से हायर किए होते हैं। कोई विवाद होने पर स्कूल प्रबंधन बसों/वाहनों की जिम्मेदारी लेने से पल्ला झाड़ लेते हैं। ऐसे वाहन जिम्मेदारी से बचने के लिए स्कूलों के दस्तावेजों की फेहरिसत में तो शामिल नहीं किए जाते हैं लेकिन इनमें सफर करने वाले विद्यार्थियों से रुपए स्कूल प्रबंधन द्वारा सीधे तौर पर वसूले जाते हैं। 


आर.टी.ओ. विभाग में स्टाफ नहीं
स्कूली वाहनों को चैक करने की जिम्मेदारी निभाने में आर.टी.ओ. विभाग लाचार और असहाय साबित हो रहा है। प्रत्येक बैरियर पर जहां 5-5 पदों में से 3-3 खाली हैं तो दफ्तर का हाल भी कुछ ऐसा ही है। काफी संख्या में खाली पड़े पदों के न भर सकने के चलते आर.टी.ओ. विभाग भी बेबस हो चुका है।

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