Edited By Rahul Singh, Updated: 10 Apr, 2025 09:59 PM

हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले के नूरपुर वन मंडल के अंतर्गत घडोली जंगल क्षेत्र से अवैध रूप से 9 हरे खैर के पेड़ काटे जाने का मामला सामने आया है। इस घटना ने वन विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
रैहन (राहुल राणा): हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले के नूरपुर वन मंडल के अंतर्गत घडोली जंगल क्षेत्र से अवैध रूप से 9 हरे खैर के पेड़ काटे जाने का मामला सामने आया है। इस घटना ने वन विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। ऐसा पहली बार नहीं है, इस क्षेत्र से पहले भी कई बार खैर के पेड़ों की अवैध कटाई की घटनाएं सामने आती रही हैं, लेकिन वन माफिया अब तक विभाग की गिरफ्त से बाहर है।
हैरानी की बात यह है कि वनकाटुओं ने सड़क किनारे खड़े हरे पेड़ों पर ही आरी चला दी और विभाग को इसकी भनक तक नहीं लगी। काटे गए पेड़ों से निकाले जाने वाले कत्था बनाने योग्य हिस्से (हार्टवुड) का भी कोई पता नहीं चला है। ऐसे में यह बड़ा सवाल उठ रहा है कि आखिर विभाग की नाक के नीचे इतनी बड़ी अवैध कटाई कैसे हो गई?
आर.ओ ने लगाए दुर्गेश कटोच पर आरोप
जब इस मामले में संबंधित रेंज ऑफिसर (आर.ओ) अशीष कुमार से बात की गई तो उन्होंने इसका ठीकरा समाजसेवी दुर्गेश कटोच के सिर फोड़ते हुए कहा कि "इसके पीछे दुर्गेश कटोच हो सकता है क्योंकि वह जंगलों में घूमते रहते हैं। हम उनके खिलाफ एफआईआर भी दर्ज करवाएंगे।"

दुर्गेश कटोच ने वन विभाग की भूमिका पर उठाए सवाल, कहा- डीएफओ और आर.ओ ज्वाली की संपत्ति की हो जांच
इस पर दुर्गेश कटोच ने तीखी प्रतिक्रिया दी और कहा कि वन विभाग खुद कटघरे में है। उन्होंने बताया कि कुछ दिन पहले एक ट्रक खैर की लकड़ी से भरा पकड़ा गया था, लेकिन विभाग ने आज तक उसपर कोई कार्रवाई नहीं की। आर.ओ द्वारा लगाए गए आरोपों को दुर्गेश ने "वन विभाग की घबराहट" करार दिया और कहा कि इससे यह स्पष्ट होता है कि कहीं न कहीं अवैध कटाई में विभाग के कुछ कर्मचारी भी शामिल हो सकते हैं। उन्होंने साथ ही डीएफओ अमित शर्मा और आर.ओ अशीष की संपत्ति की भी जांच की जाए। दुर्गेश कटोच ने मामले की शिकायत एस.पी नूरपुर को कर दी है और एफआईआर दर्ज कर स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच की मांग की है।
3 अप्रैल 2025 की घटना पर विशेष जांच की मांग
उन्होंने यह भी मांग की है कि 3 अप्रैल 2025 को पकड़े गए खैर से भरे ट्रक मामले की जांच की जाए। उन्होंने कहा कि 3 अप्रैल को शाम 4 बजे से रात 8 बजे तक* – रेंज ज्वाली के आर.ओ अशीष कुमार, वनरक्षक चरनजीत, ट्रक चालक और उस ठेकेदार की कॉल डिटेल्स जांची जाएं, जिसका हार्टवुड था। कॉल डिटेल की जांच स्वतंत्र एजेंसी से करवाई जाए ताकि किसी तरह की लीपापोती न हो। उस रात ट्रक क्यों छोड़ा गया? उसका वजन पुलिस और वन विभाग ने मौके पर क्यों नहीं किया? पुलिस ने दुर्गेश को फोटो लेने से क्यों रोका? पूरी रात ट्रक कहा था और आखिर कब वह हरियाणा की ओर रवाना हुआ?
ज्वाली रेंज के विट की जांच भी जरूरी
दुर्गेश कटोच ने यह भी मांग की है कि ज्वाली रेंज में स्थित अलग अलग विट (WIT - Wood Identification Terminal) की भी जांच PCCF शिमला द्वारा स्वतंत्र एजेंसी से करवाई जाए, ताकि यह पता चल सके कि किस स्तर पर वन संसाधनों का दोहन हो रहा है।
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