हिमाचल के किसानों को गेहूं की फसल बाहरी राज्यों में बेचने से मिली निजात, जानिए कहां खरीद रही सरकार

Edited By Vijay, Updated: 20 Apr, 2021 05:22 PM

now himachal farmers will not go to sell crops in outside states

जिला के किसानों को अपनी गेहूं की फसल बेचने के लिए पंजाब का रुख करने से अब निजात मिल गई है। कोविड-19 के चलते जहां पंजाब की मंडियों में अन्य राज्यों के किसानों से गेहूं की खरीद को प्रतिबंधित कर दिया गया है। वहीं अब जिला के किसानों के लिए घर-द्वार पर...

ऊना (अमित): जिला के किसानों को अपनी गेहूं की फसल बेचने के लिए पंजाब का रुख करने से अब निजात मिल गई है। कोविड-19 के चलते जहां पंजाब की मंडियों में अन्य राज्यों के किसानों से गेहूं की खरीद को प्रतिबंधित कर दिया गया है। वहीं अब जिला के किसानों के लिए घर-द्वार पर गेहूं बेचने की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए दो केंद्रों की स्थापना कर दी गई है। जिला हरोली उपमंडल के कांगड़  और अम्ब उपमंडल के टकारला में किसान अपनी फसल बेचने के लिए आ रहे हैं। रोजाना सुबह करीब 9 बजे मंडी शुरू हो जाती है। सुबह 9 बजे से ही यहां पर किसानों की आवाजाही शुरू हो जाती है। पिछले वर्ष की अपेक्षा यहां पर ज्यादा किसानों के फसल बेचने की उम्मीद है। इस गोदाम में गेहूं की स्टोरेज कैपेसिटी 6670 मीट्रिक टन है लेकिन विशेष रूप से जो गेहूं खरीदी जा रही है, उसके लिए एक शेड को पूरा खाली रखा गया है, जिसकी 1670 मीट्रिक टन कैपेसिटी है लेकिन इसमें 2 हजार मीट्रिक टन तक स्टोर किया जा सकता है।
PunjabKesari, Wheat Purchase Center Image

किसानों को 1975 रुपए पर न्यूनतम समर्थन मूल्य गेहूं खरीद पर दिया जा रहा है जो भारत सरकार द्वारा निर्धारित किया गया है। वहीं यहां पर किसानों को यह राशि सीधे उनके खातों में जमा करवाई जा रही है। गेहूं खरीद केंद्र के प्रभारी विकास काले ने बताया कि जिला में एक गेहूं खरीद सैंटर हरोली उपमंडल के कांगड़ में है ताे दूसरा अम्ब उपमंडल के टकारला में भी खोला गया है ताकि किसानों को गेहूं की फसल बेचने के लिए ज्यादा दूर न जाना पड़े।  इससे पहले ऊना के किसानों को अपनी फसलों को बेचने के लिए पंजाब में जाना पड़ता था लेकिन अब हिमाचल में ही यह सुविधा मिल गई है जिससे जिला के किसान भी खासे उत्साहित हैं।
PunjabKesari, Wheat Crop Image

किसानों की मानें तो इस समय सरकार के गेहूं खरीद केंद्रों में अच्छी सुविधाएं किसानों को मिल रही हैं। उनका गेहूं बेचने से ढुलाई में लगने वाला किराया भी बच रहा है। किसानों ने कहा कि पहले वे पंजाब में जाते थे, वहां पर कई-कई दिन उन्हें फसल बेचने के लिए इंतजार करना पड़ता था। अब यहां पर उन्हें 1975 रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से समर्थन मूल्य मिल रहा है और फसल बेचने पर उसका पैसा भी सीधा उनके के खाते में जमा हो रहा है।

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