Himachal: बेटे काे खोया लेकिन बचा लीं 3 जिंदगियां, गंगथ का ये परिवार बन गया मानवता की मिसाल

Edited By Vijay, Updated: 13 Jul, 2025 01:51 PM

lost son but saved 3 lives

हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले के नूरपुर उपमंडल के गांव गंगथ निवासी 23 वर्षीय नवनीत सिंह की असामयिक मृत्यु ने उनके परिवार को गहरा दुख दिया, लेकिन इस दुख को उन्होंने अद्भुत साहस और मानवता में बदल दिया।

कांगड़ा: हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले के नूरपुर उपमंडल के गांव गंगथ निवासी 23 वर्षीय नवनीत सिंह की असामयिक मृत्यु ने उनके परिवार को गहरा दुख दिया, लेकिन इस दुख को उन्होंने अद्भुत साहस और मानवता में बदल दिया। नवनीत की ब्रेन डैड घोषणा के बाद उनके परिवार ने एक असाधारण फैसला लेते हुए बेटे के अंगदान का निर्णय लिया, जिससे 3 गंभीर रोगियों को नया जीवन मिला।
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छत से गिरने के बाद हुए घायल, 11 जुलाई को ब्रेन डैड घोषित
जानकारी के अनुसार इंजीनियरिंग के छात्र नवनीत बीते 3 जुलाई को छत से गिरने के कारण गंभीर रूप से घायल हो गए थे। उन्हें तात्कालिक रूप से पीजीआई चंडीगढ़ में भर्ती कराया गया, लेकिन 11 जुलाई को डॉक्टरों ने उन्हें ब्रेन डैड घोषित कर दिया। उस कठिन समय में जब अधिकांश परिवार टूट जाते हैं, जनक सिंह और उनके परिजनों ने साहस दिखाया और नवनीत के अंगों को दान करने की सहमति दी।

हार्ट दिल्ली भेजा, किडनी और पैंक्रियाज पीजीआई में ट्रांसप्लांट
पीजीआई चंडीगढ़ की ट्रांसप्लांट टीम ने नवनीत के हार्ट, दोनों किडनी और पैंक्रियाज को सफलतापूर्वक निकाला। चूंकि पीजीआई में हार्ट ट्रांसप्लांट के लिए उपयुक्त मरीज उपलब्ध नहीं था, इसलिए उसे दिल्ली के आरएमएल अस्पताल भेजा गया। वहीं, किडनी और पैंक्रियाज पीजीआई के योग्य मरीजों को प्रत्यारोपित किए गए।
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ग्रीन कॉरिडोर से दिल्ली भेजा हार्ट
हार्ट को समय पर दिल्ली पहुंचाने के लिए क्षेत्रीय अंग एवं ऊतक प्रत्यारोपण संगठन (ROTTO) नॉर्थ और राष्ट्रीय अंग एवं ऊतक प्रत्यारोपण संगठन (NOTTO) के सहयोग से एक आपात प्रक्रिया शुरू की गई। सुबह 5:45 बजे इंडिगो की फ्लाइट से हार्ट को चंडीगढ़ से दिल्ली ले जाया गया। इसके लिए चंडीगढ़ और मोहाली पुलिस, सीआईएसएफ और एयरपोर्ट अथॉरिटी ने मिलकर ग्रीन कॉरिडोर बनाया, ताकि अंग को ट्रैफिक में समय न लगे और वह सुरक्षित रूप से मरीज तक पहुंचाया जा सके। पीजीआई के मेडिकल सुपरिटेंडेंट और ROTTO नॉर्थ के नोडल ऑफिसर प्रो. विपिन कौशल ने बताया कि हार्ट ट्रांसप्लांट जैसी प्रक्रियाओं में हर मिनट मायने रखता है। एजैंसियों के तालमेल से समय पर अंग भेजा गया और 26 वर्षीय मरीज की जान बचाई जा सकी।

पीजीआई में पैंक्रियाज और किडनी का सफल ट्रांसप्लांट, भारत में 63वां केस
पीजीआई के रीनल ट्रांसप्लांट विभाग ने प्रो. आशीष शर्मा के नेतृत्व में एक मरीज में किडनी और पैंक्रियाज का एक साथ ट्रांसप्लांट किया। यह ट्रांसप्लांट टाइप-1 डायबिटीज से जूझ रहे मरीज के लिए जीवनरक्षक सिद्ध हुआ। यह पीजीआई का 63वां पैंक्रियाज ट्रांसप्लांट था, जो देश में सबसे अधिक संख्या है। नवनीत की दूसरी किडनी एक और मरीज को दी गई, जो वर्षों से डायलिसिस पर था और एंड-स्टेज रीनल फैलियर से जूझ रहा था।
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पिता जनक सिंह बाेले-बेटे की विरासत अब दूसरों में जीवत रहेगी
नवनीत के पिता जनक सिंह ने भावुक होकर कहा कि यह हमारे जीवन का सबसे कठिन निर्णय था, पर हमें यह जानकर शांति मिलती है कि हमारे बेटे के अंगों से तीन लोगों को नया जीवन मिला। हमारे बेटे की विरासत अब इन लोगों के जीवन में जीवित रहेगी। इस निर्णय में नवनीत की मां अंजू, बहन पूजा देवी और दादी सत्या देवी ने भी पूरा सहयोग दिया।

पीजीआई डायरैक्टर ने की परिवार की सराहना
पीजीआई के डायरैक्टर प्रो. विवेक लाल ने नवनीत के परिवार के साहस की सराहना करते हुए कहा कि गहरे दुख की इस घड़ी में जो निर्णय परिवार ने लिया, वह मानवता की मिसाल है। हम उनके इस महान कार्य के लिए दिल से आभारी हैं। ऐसे उदाहरण समाज में अंगदान के प्रति जागरूकता बढ़ाने में मदद करेंगे।

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