Edited By Jyoti M, Updated: 16 Jul, 2025 01:16 PM

हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले में पराशर झील के करीब कालंग गांव पर भूस्खलन का खतरा मंडरा रहा है। पिछले चार-पांच सालों से यहां जमीन में बड़ी-बड़ी दरारें देखी जा रही हैं, जिससे गांव के लोगों के लिए खतरा बढ़ गया है। मंडी जिला प्रशासन ने स्थिति की गंभीरता...
हिमाचल डेस्क। हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले में पराशर झील के करीब कालंग गांव पर भूस्खलन का खतरा मंडरा रहा है। पिछले चार-पांच सालों से यहां जमीन में बड़ी-बड़ी दरारें देखी जा रही हैं, जिससे गांव के लोगों के लिए खतरा बढ़ गया है। मंडी जिला प्रशासन ने स्थिति की गंभीरता को देखते हुए गांव के करीब 14 परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित कर दिया है। भूस्खलन के कारण कई घरों में भी दरारें आ गई हैं, जिससे वे रहने लायक नहीं रह गए हैं।
मंडी जिले की उप-तहसील कटौला के पराशर क्षेत्र में स्थित कालंग गांव में संभावित भूस्खलन और अन्य प्राकृतिक आपदाओं को देखते हुए लोगों को अस्थाई तौर पर सुरक्षित जगह पहुंचाया गया है। अतिरिक्त उपायुक्त (एडीसी) डॉ. मदन कुमार ने बताया कि लोगों के जीवन की सुरक्षा के लिए जिला प्रशासन ने गांव के सभी परिवारों को रहने के लिए 17 टेंट उपलब्ध कराए हैं। इन 14 विस्थापित परिवारों के लिए उनकी अपनी जमीन पर टेंट लगाए गए हैं और जल्द ही इन जगहों पर बिजली और पानी की व्यवस्था भी की जाएगी।
कालंग गांव के निवासी पिछले कई सालों से बड़े पैमाने पर हो रहे भूस्खलन का सामना कर रहे हैं। 2025 की बारिश में एक बार फिर इन ग्रामीणों पर बड़े भूस्खलन का खतरा मंडराने लगा है। यह समस्या कोई नई नहीं है; वर्ष 2013 से ही यहां जमीन खिसकने और दरारें पड़ने की घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं। एक दशक से भी ज्यादा समय से ग्रामीण डर के माहौल में जी रहे हैं। अब तक इन ग्रामीणों की 100 बीघा से अधिक जमीन और एक प्राइमरी स्कूल इस भूस्खलन की चपेट में आ चुका है। साल 2024 में तीन मकान ढहने की कगार पर थे, जिसके बाद उनके मालिकों को उन्हें खाली कर कहीं और शरण लेनी पड़ी थी। कांगल गांव पराशर की पहाड़ियों के ठीक सामने बसा हुआ है।
ग्रामीणों का कहना है कि पिछले कई सालों से बागी नाला में आ रही तबाही का एक बड़ा कारण इस जमीन का लगातार खिसकना भी है। 2023 की बरसात में इसी पहाड़ी के भूस्खलन की चपेट में आने से बागी पुल भी टूट गया था। स्थानीय निवासी राज ठाकुर ने बताया कि इस बार ग्रामीणों के घरों के पीछे की जमीन तेजी से खिसक रही है और खेतों में बड़ी-बड़ी दरारें पड़ चुकी हैं। इससे पूरे गांव पर खतरा मंडरा रहा है और 14 परिवार सीधे तौर पर इसकी जद में आ गए हैं।
ग्रामीणों ने इस खतरे को भांपते हुए साल 2014 में ही जिलाधीश से मुलाकात की थी। इसके बाद राजस्व विभाग के अधिकारियों की एक टीम गांव पहुंची थी और उन्होंने अपनी रिपोर्ट उच्च अधिकारियों को भी सौंपी थी। हालांकि, ग्रामीणों का आरोप है कि एक साल तक जिला अधिकारियों ने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया। उन्होंने प्रशासन और प्रदेश सरकार से अपील की है कि कालंग गांव में हो रहे भूस्खलन को गंभीरता से लिया जाए और तुरंत मौके पर पहुंचकर स्थिति का जायजा लिया जाए। उनकी मांग है कि कालंग गांव को असुरक्षित घोषित कर यहां के निवासियों को सुरक्षित स्थान पर बसाया जाए।