Edited By Vijay, Updated: 01 May, 2025 09:11 PM

हिमाचल के प्रवेश द्वार चक्की ब्रिज की चक्की दरिया में अवैध खनन रुकने का नाम नहीं ले रहा है।
नूरपुर(रघुनाथ शर्मा): हिमाचल के प्रवेश द्वार चक्की ब्रिज की चक्की दरिया में अवैध खनन रुकने का नाम नहीं ले रहा है। रात के अंधेरे में खनन माफिया बड़ी मशीनरी लगाकर चक्की का सीना छलनी करने में तो जुटा हुआ है। अब आलम यह है कि दिन के उजाले में भी खनन माफिया के लोग बेखौफ होकर प्रदेश के खनिजों को लूटने में लगे हुए हैं।
पहले दिन जहां दरिया समतल होता है वहां जेसीबी के पंजे कुछ ही पलों के बाद उक्त समतल बैड को गहरी खाइयों में तबदील कर देते हैं। पुलिस या उपमंडल प्रशासन जब किसी कार्यवाही के लिए दल बल सहित दबिश देता है तो माफिया अपने गुरगों के नैटवर्क के जरिये मौके से फरार हो जाते हैं। लोगों का कहना है कि माफिया के गुर्गे नागाबाड़ी, बदूही, परगना, खन्नी व मैरा आदि क्षेत्रों में सड़क पर पहरा दे रहे होते हैं। जैसे ही पुलिस या कोई अन्य विभाग उधर से गुजरता है तो यह फोन के माध्यम से माफिया को सूचित कर देते हैं, उन्हें मौके से भागने का वक्त मिल जाता है। वीरवार को खन्नी क्षेत्र के कुड्डी, मैरा, बिल्ला टाल नाला आदि में दर्जनों जेसीबी और टिप्पर अवैध खनन में जुटे हुए थे तो लोगों ने प्रशासन को सूचित किया, लेकिन माफिया अपने गुरगों के नैटवर्क के सहारे एक बार फिर भागने में कामयाब हो गया। नूरपुर के डीएसपी विशाल वर्मा ने कहा कि सूचना मिलते ही वीरवार को पुलिस दल ने चक्की क्षेत्र में दबिश दी, लेकिन माफिया मौके से भागने में कामयाब रहा। उन्होंने कहा कि अवैध खनन के खिलाफ कार्यवाही जारी रहेगी।
इसी खनन ने ध्वस्त किया था चक्की पुल
ज्ञात रहे कि खनन माफिया की दादागिरी से पिछले कई साल से चल रहे खनन की वजह से चक्की दरिया पर बने हैरिटेज कांगड़ा घाटी रेल का ब्रिज भी बीच से टूटकर बह गया था जो आज तक भी नहीं बन पाया है जिससे डेढ़-दो साल तक पठानकोट से जोगिन्दरनगर तक के ग्रामीण क्षेत्र के लोगों का आना-जाना सफर दुश्वार हो गया था। यह सफर पिछले दो महीने से नूरपुर रोड (जसूर) से लोगों द्वारा काफी आंदोलनों के बाद शुरू किया गया है।
चक्की दरिया के किनारे बसे गांवों खन्नी, परगना व मैरा बदुही के लोगों का आरोप है कि किसी बड़ी राजनीतिक शह पर खनन माफिया बेलगाम होकर एक तरफ प्रदेश की खनन सम्पदा का नाजायज दोहन कर प्रदेश के राजस्व को चूना लगा रहा है, दूसरे उपरोक्त गांव के लोगों की जमीन का जलस्तर भी काफी नीचे चला गया है, जिससे खेती करना दुश्वार हो गया है। जल वाबड़ियां सूख गई हैं, पशुओं के लिए पानी का भी अकाल पड़ गया है। गर्मी के सीजन में पीने के पानी की भी गांव के लोगों को दिक्कत आएगी।