Edited By Vijay, Updated: 24 Mar, 2021 04:28 PM
नूरपूर के कस्बा जसूर में नूरपूर फोरलेन संघर्ष समिति ने बैठक की। बैठक के दौरान नूरपूर फोरलेन संघर्ष समिति ने प्रैस वार्ता में कहा कि राष्ट्रीय उच्च मार्ग प्राधिकरण व प्रशासन द्वारा फोरलेन प्रभावितों के साथ धोखा किया गया है क्योंकि भू अधिग्रहण अधिकार...
नूरपुर (संजीव महाजन): नूरपूर के कस्बा जसूर में नूरपूर फोरलेन संघर्ष समिति ने बैठक की। बैठक के दौरान नूरपूर फोरलेन संघर्ष समिति ने प्रैस वार्ता में कहा कि राष्ट्रीय उच्च मार्ग प्राधिकरण व प्रशासन द्वारा फोरलेन प्रभावितों के साथ धोखा किया गया है क्योंकि भू अधिग्रहण अधिकार 2013 के मुताबिक मुआवजा राशि के मूल्यांकन का निर्धारण करना जनहित में है लेकिन मौजूदा स्थिति को देखते हुए भू अधिग्रहण कानून 2013 की सरासर अवहेलना की गई है। अब दूसरा धोखा डिविजनल कमिश्नर कांगड़ा स्थित धर्मशाला को आर्विट्रेटर नियुक्त करके किया गया है, जिसे 3781 परिवार कतई मंजूर नहीं करेंगे। संघर्ष समिति ने कहा कि आर्विट्रेडर किसी सेवानिवृत्त न्यायधीश की मध्यस्थता द्वारा की जाए ताकि 11000 केसों का अतिशीघ्र निपटारा हो सके।
नूरपूर फोरलेन संघर्ष समिति उपाध्यक्ष सुदर्शन शर्मा ने कहा कि एनएच-154 के विस्तारीकरण हेतु भू-अधिनियम अधिकारी नूरपूर एसडीएम द्वारा 25/2/21 मुआवजा राशि के ऑर्डर की अपील करने को कहा था कयोंकि निर्धारित राशि बहुत ही कम है वो अभी तक नहीं हुआ और हमें पता चला है कि 2007 ऑर्डर जो है डिविजनल कांगड़ा को आर्विट्रेडर नियुक्त किया गया है जबकि एक्ट 2013 के तहत जितने भी प्रभावित लोग हैं, उन्हें पूछे बिना आर्विट्रेडर नियुक्त नहीं कर सकते हैं, यह प्रभावितों के साथ धोखा है। इस फैसले से 3781 परिवार नाखुश हैं और इसे कभी मंजूर नहीं करेंगे।
नूरपूर फोरलेन संघर्ष समिति महासचिव विजय हीर ने कहा कि एनएच-154 कंडवाल से भेडखड्ड तक 31 मौहलो का आवर्ड नूरपूर काला द्वारा दर्शाया गया है वो ऊंट के मुंह में जीरा है उस राशि से प्रभावित मकान तो क्या बनवाएंगे वह लिंक रोड, खड्ड में जमीन भी नहीं खरीद सकते हैं फिर भी हमारा सरकार से आग्रह है अंडर सैक्शन एक्ट 2013 के तहत आर्विट्रेडर या किसी जज की नियुक्ति हो और वह भी नूरपूर में हो। नूरपूर काला ने जो ऑर्डर किए हैं उसको लेकर 13 मार्च को रैहन में सीएम को लिखित तौर से समास्याओं बारे अवगत करावा चुके हैं। अगर सरकार व प्रशासन हमारे हितों का ख्याल नहीं करेंगे तो हमें मजबूरन चक्का जाम और मरण व्रत करना पड़ सकता है, जिसकी जिम्मेदारी नूरपूर प्रशासन व सरकार की होगी ।
नूरपूर फोरलेन संघर्ष समिति सदस्य डाॅ. अशोक शर्मा ने कहा कि सरकार ने हमारे साथ धोखा नम्बर दो कर दिया है हमने 13 मार्च, 2021 को सीएम को लिखा था कि जो नूरपूर काला ने ऑडर निकले हैं वह एक्ट 1956 के तहत निकाले हैं जो हमें मंजूर नहीं हैं, यह हमारे साथ धोखा है जबकि पार्लियामैंट में 2013 में 543 पार्लियामैंट मेंबरों द्वारा पास 2013 रिसैटलमैनट, रि इसैटवलमैनट को नकारा गया है। यह धोखा नम्बर दो इसलिए है कि केन्द्र सरकार ने कमिश्नर डिविजनल को आर्विट्रेडर बना दिया है जबकि एक्ट 2013 में हमारे सभी अधिकार सुरक्षित हैं उसमें आर्विट्रेडर का प्रोविजन नहीं है हम कदापि ऐसे धोखे मंजूर नहीं करेंगे और अगर हमारे साथ जबरदस्ती की गई तो हमें मजबूरन संघर्ष का रास्ता अपनाना पड़ेगा।