पशुओं को बेसहारा छोड़ने पर HC सख्त, सरकार व पंचायती राज संस्थाओं को जारी किए ये निर्देश

Edited By Vijay, Updated: 23 Aug, 2019 10:23 PM

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प्रदेश हाईकोर्ट ने पालतू पशुओं को बेसहारा होने से बचाने व उन्हें बेसहारा छोडऩे वालों के खिलाफ कोई कार्रवाई न करने पर राज्य सरकार व पंचायती राज संस्थाओं की विफलता को जिम्मेदार ठहराया है।

शिमला: प्रदेश हाईकोर्ट ने पालतू पशुओं को बेसहारा होने से बचाने व उन्हें बेसहारा छोडऩे वालों के खिलाफ कोई कार्रवाई न करने पर राज्य सरकार व पंचायती राज संस्थाओं की विफलता को जिम्मेदार ठहराया है। कोर्ट ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि गांव अथवा सड़कों व गलियों में घूमने वाले बेसहारा पशु संभवत: स्थानीय लोगों द्वारा नहीं बल्कि बाहर से तस्करी व अन्य तरीकों से लाए जाते हैं। कोर्ट के आदेशों के बावजूद सरकार व पंचायती राज संस्थाएं ऐसा करने से नहीं रोक पा रही हैं। ऐसे गैर-कानूनी काम करने वाले लोग खुले घूम रहे हैं और उन्हें संबंधित अधिकारियों व सरकारी विभागों के ढुलमुल रवैये के कारण कानून से सजा का कोई डर नहीं रह गया है। सड़कों व गांवों में पशुओं को बेसहारा छोड़ने वालों को सरकार व स्थानीय प्रशासन ढूंढ नहीं पा रहा है।

सड़कों व गांवों की गलियों में छोड़े गए बेसहरा जानवर एक ओर भोजन व पानी के अभाव में जीने को मजबूर हैं और दूसरी ओर वे ग्रामीणों की फसलों को बर्बाद कर रहे हैं। राज्य सरकार ने शपथ पत्र के माध्यम से अदालत को बताया था कि बेसहरा पशुओं के रखरखाव के लिए हिमाचल प्रदेश गौवंश संरक्षण और संवर्द्धन अधिनियम 2018 बनाया गया है। इस अधिनियम के तहत प्रदेश के हरेक जिले में ‘पशु अभ्यारण’ स्थापित किए जाएंगे। जहां पर बेसहरा पशु, खासतौर पर गाय को सुरक्षित रखा जाएगा। अदालत को बताया गया था कि अधिनियम के नियमों के अनुसार सिरमौर, सोलन, ऊना और हमीरपुर में ‘पशु अभ्यारण’ बनाए जाने के लिए उचित राशी जारी कर दी गई है और प्रदेश के अन्य जिलों में ‘पशु अभ्यारण’ बनाए जाने के लिए भूमि तलाशने बारे प्रभावी कदम उठाए जा रहे हैं।

जनहित याचिका की सुनवाई के पश्चात न्यायाधीश धर्म चंद चौधरी और न्यायाधीश ज्योत्सना रेवाल दुआ की खंडपीठ ने राज्य सरकार के मुख्य सचिव को आदेश दिए थे कि वह शपथ पत्र के माध्यम से अदालत को बताए कि सिरमौर, सोलन, ऊना और हमीरपुर में ‘पशु अभ्यारण’ बनाए जाने बारे कितनी प्रोग्रैस की है तथा कितनी राशी खर्च की जा चुकी है और बाकी जिलों में पशु अभ्यारण्य स्थापित करने बारे क्या कदम उठाए गए हैं। इसके पश्चात सरकार ने शपथ पत्र दायर किया जिसे कोर्ट ने आधा-अधूरा पाते हुए मामले के पक्षकारों को जरूरी सुझाव अदालत के समक्ष रखने के आदेश दिए ताकि इस समस्या से निजात दिलाने के लिए ठोस कार्रवाई की जा सके। मामले पर सुनवाई 26 सितम्बर को होगी।

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