मानवाधिकार आयोग व लोकायुक्त का गठन न करने पर HC सख्त, मुख्य सचिव को दिए ये आदेश

Edited By Vijay, Updated: 05 Mar, 2020 11:20 PM

highcourt in shimla

प्रदेश में उच्च न्यायालय द्वारा जारी आदेशों के बावजूद मानवाधिकार आयोग व लोकायुक्त के गठन के मामले में सरकार के ढीले रवैये पर नाराजगी जताई है। कोर्ट ने अगली सुनवाई पर मुख्य सचिव को इस मामले पर कोर्ट में व्यक्तिगत रूप से हाजिर रहने के आदेश दिए हैं।

शिमला (ब्यूरो): प्रदेश में उच्च न्यायालय द्वारा जारी आदेशों के बावजूद मानवाधिकार आयोग व लोकायुक्त के गठन के मामले में सरकार के ढीले रवैये पर नाराजगी जताई है। कोर्ट ने अगली सुनवाई पर मुख्य सचिव को इस मामले पर कोर्ट में व्यक्तिगत रूप से हाजिर रहने के आदेश दिए हैं। मुख्य न्यायाधीश लिंगप्पा नारायण स्वामी और न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने प्रार्थी नमिता मणिकटला द्वारा दायर याचिका की सुनवाई के पश्चात ये आदेश पारित किए। कोर्ट ने पिछली सुनवाई के बाद राज्य सरकार को आदेश दिए थे कि वह लोकायुक्त व मानवाधिकार आयोग के गठन बाबत जल्द उपयुक्त कदम उठाए।

कोर्ट ने सुनवाई के दौरान पाया कि प्रदेश सरकार का इस मामले में निराशाजनक रवैया रहा है, जबकि कोर्ट ने पाया कि मानवाधिकार समाज का अहम पहलू है। सुनवाई के दौरान याचिकाकत्र्ता ने कोर्ट को बताया कि हिमाचल में पिछले 15 सालों से मानवाधिकार आयोग का गठन नहीं हुआ है जबकि पिछले 15 सालों में 3 बार सरकारें बदल चुकी हैं, जिससे लोगों के अधिकारों का हनन होने की स्थिति में उनको तुरंत न्याय दिलवाने के लिए कोई उपयुक्त फोरम नहीं है।

याचिका में ऐसे कई उदाहरण दिए गए हैं कि ह्यूमन राइट कमीशन न होने पर लोगों को गुहार लगाने के लिए अदालतों का सहारा लेना पड़ता है। इसी तरह राज्य सरकार की ओर से लोकायुक्त का भी गठन नहीं किया गया है, जिस कारण लोकायुक्त के अधीन आने वाले मामलों पर कोई कार्रवाई नहीं हो पा रही है। मामले की आगामी सुनवाई 12 मार्च को निर्धारित की गई है।

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