Edited By Kuldeep, Updated: 17 Dec, 2024 10:15 PM
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने चिट्टे की तस्करी के झूठे आपराधिक मामले में फंसाने की धमकी देकर जबरन वसूली के आरोपों की जांच सीबीआई को सौंपने के आदेश जारी किए हैं। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने संज्ञेय...
शिमला (मनोहर): हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने चिट्टे की तस्करी के झूठे आपराधिक मामले में फंसाने की धमकी देकर जबरन वसूली के आरोपों की जांच सीबीआई को सौंपने के आदेश जारी किए हैं। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने संज्ञेय अपराधों की तुरंत प्राथमिकी दर्ज न करने पर प्रदेश पुलिस के खिलाफ कड़ी टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा कि पुलिस द्वारा प्रदर्शित आचरण को प्रथम दृष्टया भी निष्पक्ष नहीं कहा जा सकता है।
याचिकाकर्त्ता ने वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के खिलाफ आरोप लगाए हैं। प्रार्थी द्वारा दी गई शिकायत की जांच को सीबीआई को सौंपते हुए कोर्ट ने कहा कि राज्य की कानून को प्रभावी बनाने वाली एजैंसी द्वारा पीड़ित के मौलिक अधिकार का उल्लंघन करने और प्रार्थी के सत्य की खोज के अधिकार को बनाए रखने के लिए यह अदालत हिमाचल प्रदेश के पुलिस महानिदेशक को धारा 385, 120-बी आईपीसी के तहत दर्ज एफआईआर संख्या 106/2024 दिनांक 10.6.2024 की जांच पुलिस अधीक्षक, केंद्रीय जांच ब्यूरो शिमला को स्थानांतरित करने का निर्देश देती है। कोर्ट ने सी.बी.आई. को घटना की तुरंत अपराध रिपोर्ट दर्ज करने और उसके बाद जांच को उसके तार्किक अंत तक ले जाने का निर्देश दिया। कोर्ट ने राज्य पुलिस को अपने डीजीपी के माध्यम से तीन दिनों के भीतर सीबीआई को संबंधित मामले का तमाम रिकॉर्ड उपलब्ध करवाने का निर्देश भी दिया। कोर्ट ने प्रमुख सचिव गृह को इस मामले के सभी संबंधित पुलिस अधिकारियों के आचरण की जांच करने का भी निर्देश दिया।
पुलिस द्वारा सभी संभावित परिकल्पनाओं को खारिज करने के लिए जांच करने में दिखाई गई अनिच्छा, विशेष रूप से याचिकाकर्त्ता द्वारा बताए गए एंगल, पक्षपातपूर्ण जांच के अभाव का अनुमान लगाने के लिए पर्याप्त है। एफआईआर दर्ज करने में देरी को भी संदेह के बिना नहीं देखा जा सकता है। याचिकाकर्त्ता द्वारा यह आरोप लगाया गया था कि उसने एएसपी को अपने बेटे की उस कार से उतरते हुए देखा था जिसे चिट्टे के केस में फर्जी तरीके से पकड़ा गया। याचिकाकर्त्ता के अनुसार उसने एसएचओ, पुलिस थाना बल्ह को 2.4.2024 को पहली शिकायत की थी जिसमें उसके बेटे को एनडीपीएस अधिनियम के तहत मामले में फंसाने की धमकी के तहत उसे आई जबरन वसूली की कॉल के संबंध में और दूसरी शिकायत एसपी मंडी को 5.4.2024 को की थी। आधिकारिक प्रतिवादियों ने ऐसी शिकायतें प्राप्त होने से इंकार नहीं किया, लेकिन कहा है कि एसएचओ पुलिस थाना बल्ह को याचिकाकर्त्ता से 11.4.2024 को शिकायत मिली थी और एसपी मंडी को 6.5.2024 को शिकायत मिली थी।
बेशक, याचिकाकर्त्ता की पहली शिकायत में भी धारा 385 आईपीसी के तहत अपराध का खुलासा हुआ था लेकिन एफआईआर नंबर 106/2024, याचिकाकर्त्ता की पहली शिकायत के आधार पर 10.6.2024 को पी.एस. बल्ह में दर्ज की गई थी। याचिकाकर्त्ता द्वारा विशेष रूप से आरोप लगाया गया था कि उसने एएसपी को अपने बेटे की कार को उस समय से ठीक पहले चलाते हुए देखा था, जब उसे बाबा बालक नाथ मंदिर, बनोन के पास चिट्टे के साथ कथित तौर पर पकड़ा गया था और उसके बाद कथित बरामदगी के स्थान पर उससे बातचीत की थी। कोर्ट ने कहा कि एक बात तो स्पष्ट है कि पुलिस ने एएसपी के खिलाफ आरोपों की जांच करने में अनिच्छा दिखाई है।