Sirmaur: यहां ग्रामीणों के कंधे ही एम्बुलैंस, चारपाई पर ढोने पड़े रहे मरीज

Edited By Vijay, Updated: 10 Aug, 2025 08:46 PM

here shoulders of villagers become ambulance

सड़कें किसी भी क्षेत्र की भाग्य रेखाएं मानी जाती हैं। गांव-गांव तक सड़कें पहुंचाने के दावे भी हो रहे हैं, लेकिन बहुत से ग्रामीण क्षेत्र ऐसे भी हैं, जहां आजादी के बाद आज तक लोगों को पक्की सड़क की सुविधा नहीं मिल पाई है।

नाहन (आशु): सड़कें किसी भी क्षेत्र की भाग्य रेखाएं मानी जाती हैं। गांव-गांव तक सड़कें पहुंचाने के दावे भी हो रहे हैं, लेकिन बहुत से ग्रामीण क्षेत्र ऐसे भी हैं, जहां आजादी के बाद आज तक लोगों को पक्की सड़क की सुविधा नहीं मिल पाई है। यदि ऐसे गांव किसी जिला मुख्यालय से चंद किलोमीटर की दूरी पर स्थित हों तो फिर ये दावे बेनामी ही साबित होते हैं। लिहाजा ऐसे गांवों में आपातकालीन स्थिति में ग्रामीणों के कंधे ही एम्बुलैंस बनते हैं। ऐसी ही कुछ तकलीफ से जिला मुख्यालय नाहन से कुछ किलोमीटर की दूरी पर स्थित सलानी कटोला पंचायत के सैंकड़ों ग्रामीण भी गुजर रहे हैं। मानसून के सीजन में सलानी पुल से जाबल का बाग लिंक रोड पर आने वाले गांवों के लोगों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। विशेषकर पंचायत के वार्ड नंबर-1 के गांव मोहलिया, जामनवाला व झमेरिया के लोग अधिक परेशान हैं। चूंकि अभी तक ये गांव पक्की सड़क सुविधा से नहीं जुड़ पाए हैं। यदि गांवों में कोई बीमार हो जाए तो ग्रामीणों के कंधे ही यहां एम्बुलैंस का काम करते हैं। मरीज को चारपाई पर करीब 3 किलोमीटर तक पैदल ही उठाकर ले जाना पड़ता है। संबंधित वार्ड के अलावा पंचायत के इस लिंक रोड पर पड़ने वाले अन्य गांवों के लोग भी बरसात के इस मौसम में दिक्कतें झेलने को विवश हैं। हैरानी की बात है कि नाहन विधानसभा क्षेत्र में भी विकास के बड़े-बड़े दावे किए जाते हैं, लेकिन धरातल पर अब भी ऐसे गांव विकास की राह ताक रहे हैं।

गर्भवती महिला को कंधों पर उठाकर पहुंचाया अस्पताल
क्षेत्र के लोगों ने बताया कि कुछ दिन पहले गांव की एक गर्भवती महिला को चारपाई पर उठाकर मुख्य सड़क तक पहुंचाया गया। मैडीकल कॉलेज में बच्चे के जन्म के बाद महिला को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई, जिसके बाद फिर उक्त महिला व उसके बच्चे को इसी तरह उठाकर उसके घर तक पहुंचाया गया। बरसात के मौसम में यदि कोई व्यक्ति भी बीमार हो जाए तो उस सूरत में भी कंधों पर उठाकर ही मरीज को सड़क तक पहुंचाना पड़ता है, जो कभी जोखिमपूर्ण भी साबित हो सकता है।

फिर बिगड़ी तबीयत तो बच्चे सहित अस्पताल पहुंचाया
ग्रामीणों के मुताबिक जिस महिला की कुछ दिनों पहले ही डिलीवरी हुई थी, उसकी 2-3 दिन पहले फिर से अचानक तबीयत बिगड़ गई। इसके कारण नवजात बच्चे को गोद और महिला को चारपाई के माध्यम से कंधों पर उठाकर पहले सड़क और फिर वाहन के माध्यम से अस्पताल पहुंचाया गया। चूंकि बारिश लगभग प्रतिदिन हो रही है। लिहाजा गत शनिवार को महिला की अस्पताल से छुट्टी होने के बाद फिर बच्चे व महिला को इसी तरह गांव में उसके घर तक पहुंचाया गया।

वाहन योग्य नहीं रास्ता, पुल की सुविधा भी नहीं : ग्रामीण
चारपाई पर महिला को अस्पताल पहुंचाने वाली महिला के पति पुनीत सहित राज कुमार, जय चंद व धनवीर आदि लोगों ने बताया कि ये लिंक रोड सलानी पुल से जाबल का बाग तक जाता है। पिछली बरसात में यह लिंक रोड भूमि कटाव के कारण कई जगहों पर ध्वस्त हो चुका है। 3 किलोमीटर दूर केवल पैदल योग्य पुल है। आजादी के बाद से आज तक उनके गांवों को पक्की सड़क की सुविधा नहीं मिल पाई है। इस बरसात में यह कच्ची सड़क पूरी तरह से जोखिमपूर्ण बन चुकी है। जगह-जगह कीचड़ और फिसलन है। वाहन तो दूर की बात, पैदल चलना भी बेहद मुश्किल है। वाहन न चलने से मरीजों को उठाकर ही सड़क तक लाना पड़ता है। स्कूल जाने वाले बच्चों और कामधंधों पर जाने वाले लोगों को खासी दिक्कतें उठानी पड़ रही हैं। वाया दूमटा से आगे भी सड़क की सुविधा उपलब्ध नहीं है। उन्होंने सरकार और प्रशासन से मांग करते हुए कहा कि जल्द से जल्द समस्या का समाधान किया जाए।

क्या कहती हैं पंचायत प्रधान?
सलानी कटोला पंचायत की प्रधान अनीता ने बताया कि बरसात के चलते नदी में पानी आने के कारण क्रशर वाला रास्ता बंद है। लिहाजा लोग वाया दूमटा होकर गुजर रहे हैं। यह लिंक रोड पक्का है। 2-3 लोगों की जमीन बीच में आने के कारण संबंधित गांवों के लिए पक्की सड़क बनाने में दिक्कत आ रही है। मामला सरकार व प्रशासन के समक्ष भी कई बार उठाया जा चुका है। समस्या के समाधान के लिए प्रयासरत हैं।

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