यहां पांच पीपल के पेड़ों से उतारा जाता है सांप का जहर, देश-विदेश से दर्शनों को आते हैं श्रद्धालु(PICS)

Edited By Ekta, Updated: 21 Nov, 2018 04:26 PM

here is the poison of snake from the five peepal tree

उत्तरी भारत के सुप्रसिद्ध धार्मिक स्थल डेरा बाबा रुद्रानंद में आयोजित पंचभीष्म मेले में आस्था और श्रद्धा का खूब जनसैलाब उमड़ रहा है। डेरा बाबा रुद्रानंद देश ही नहीं बल्कि विदेश में रहने वालों की भी आस्था का केंद्र है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार जहां...

ऊना (अमित): उत्तरी भारत के सुप्रसिद्ध धार्मिक स्थल डेरा बाबा रुद्रानंद में आयोजित पंचभीष्म मेले में आस्था और श्रद्धा का खूब जनसैलाब उमड़ रहा है। डेरा बाबा रुद्रानंद देश ही नहीं बल्कि विदेश में रहने वालों की भी आस्था का केंद्र है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार जहां पर पांच ऋषियों ने तप करते हुए जीवित समाधि ली थी जिसके बाद जहां पर पांच पीपल प्रकट हुए। इन पीपल के पेड़ों के नीचे ही बाबा रुद्रानंद ने तप किया। वहीं डेरा बाबा रुद्रानंद में पिछले 168 वर्षों से अखंड धूना निरंतर जल रहा है। इस आश्रम का प्रमुख देवता अग्रिदेव है। अत: आश्रम में हजारों लाखों श्रद्वालु यहां केवल अखंड अग्रि के प्रति अपनी श्रद्धा भेंट करने के लिए अखंड धूना के सम्मुख नतमस्तक होते हैं। 
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अखंड धूने की विभूति को लोग मानते हैं चमत्कारिक

इस अखंड धूने को 1850 में बाबा रुद्रानंद जी ने बसंत पंचमी के दिन अग्नि देव की साक्षी में स्थापित किया था। अखंड धूने से देश-विदेश के लाखों लोगों की आस्था जुड़ी हुई है और रोजाना यहां सैकड़ों लोग नतमस्तक होते हैं। इस धूने में हर रोज वैदिक मंत्रों से हवन डाला जाता है। यह सिलसिला शुरू से चलता आ रहा है। अखंड धूने की विभूति को लोग चमत्कारिक मानते हैं। वर्तमान में डेरा के अधिष्ठाता एवं वेदांताचार्य सुग्रीवानंद महाराज सालों से चली आ रही इस परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं। हर साल पंचभीष्म के उपलक्ष्य में कोटि गायत्री महायज्ञ होता है। जिसमें बनारस से आए विद्धान विधिवत पूजा अर्चना करवा रहे हैं। जबकि 500 से अधिक पंडित यज्ञशाला में कोटि गायत्री का जाप कर रहे हैं। डेरा बाबा रुद्रानंद आश्रम नारी के प्रांगण में विद्यमान पांच पीपल कोई साधारण वृक्ष नहीं हैं। 
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इस जगह सालों पहले पांच ऋषियों ने ली थी योग समाधि  

यह पांचों पीपल चमत्कारिक हैं। क्योंकि इस जगह सालों पहले पांच ऋषियों ने योग समाधि ली थी, जो बाद में पांच पीपलों के रूप में प्रकट हुए। यह बोध वृक्ष देव तुल्य माने जाते हैं। ऐसी मान्यता है कि इनके नीचे सर्प दंशित व्यक्ति का जहर अखंड धूने की विभूति लगाने से उतर जाता है। पीपलों की परिक्रमा करने से भूतप्रेत बाधा और मानसिक रोगों से मुक्ति मिलती है। हर रोज आश्रम में आने वाले सैकड़ों श्रद्धालु इन पीपलों की परिक्रमा करते हैं। 23 नवंबर तक चलने वाले पंचभीष्म मेले के साथ ही कोटि गायत्री महायज्ञ का आयोजन भी किया जा रहा है। इस महायज्ञ का उद्देश्य देश में अमन और शान्ति की कामना की जा रही है। इस महायज्ञ देशभर से करीब 500 विद्वान विधिवत पूजा अर्चना के साथ गायत्री महामंत्र का जाप कर रहे है। वहीं डेरा बाबा रुद्रानंद के साथ लोगों की बहुत आस्था जुडी हुई है। मंदिर में नतमस्तक होने के लिए आने वाले श्रद्धालुओं की माने तो जहां पर सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है तथा अखंड धूने की चमत्कारी विभूति से रोग भी दूर होते हैं।  
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