लाहौल-स्पीति में हालड़ा उत्सव की धूम, मशालें जलाकर भगाईं बुरी शक्तियां (Video)

Edited By Vijay, Updated: 14 Jan, 2022 05:24 PM

हिमाचल को देश-विदेश में अपनी प्राचीन संस्कृति, सभ्यता और देव परम्परा के लिए भी जाना जाता है। आज भी यहां पर सदियों से चली आ रही परम्परा को बखूबी निभाया जा रहा है। इसके हमें कई प्रत्यक्ष प्रमाण आज भी यंहा देखने को मिलते हैं, जिन्हें देखकर लगता है कि...

कुल्लू (संजीव जैन): हिमाचल को देश-विदेश में अपनी प्राचीन संस्कृति, सभ्यता और देव परम्परा के लिए भी जाना जाता है। आज भी यहां पर सदियों से चली आ रही परम्परा को बखूबी निभाया जा रहा है। इसके हमें कई प्रत्यक्ष प्रमाण आज भी यंहा देखने को मिलते हैं, जिन्हें देखकर लगता है कि हिमाचल सच में देवभूमि है। लाहौल-स्पीति में इसका उदाहरण देखने को मिला है। यहां विभिन्न जगहों में इन दिनों हालड़ा उत्सव की धूम है। यहां की भौगोलिक परिस्थिति और प्रतिकूल जलवायु के कारण गाहर, तिनन, तोद तथा पट्टन की घाटियों में अलग-अलग त्यौहारों और उत्सवों को अपने-अपने ढंग से मनाया जा रहा है। 13 जनवरी से गाहर घाटी (जिला मुख्यालय से स्टे गांव) में हालड़ा कुनस सात दिनों तक मनाया जाएगा। वहीं 14 जनवरी को तोद घाटी, 16 जनवरी को तिनंन घाटी, 17 जनवरी को पट्टन घाटी व 23 जनवरी को रंगलो में ये उत्सव मनाया जाएगा। 

स्थानीय लोग यह उत्सव नववर्ष के आगमन के तौर पर मनाते हैं और अपने इष्ट देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना करते हैं। रात को हर घर से मशालें जला कर लोग एक जगह इकट्ठे होकर वहां सभी मशालों को जला कर बुरी शक्तियों को भगा कर नववर्ष सभी के लिए अच्छा रहे इसकी कामना की जाती है और एक-दूसरे को इसकी बधाई दी जाती है। जिला परिषद सदस्य और युवा समाजसेवी कुंगा बोध ने बताया कि हालड़ा उत्सव लाहौल-स्पीति का प्राचीन त्यौहार है। इसे हर वर्ष मनाया जाता है, इसे नववर्ष का प्रतीक भी माना जाता है। 

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