Edited By Vijay, Updated: 13 Nov, 2024 12:59 PM
हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने खनन रॉयल्टी पर वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लगाने के राज्य सरकार के अधिकार को सही ठहराया है। यह फैसला मैसर्ज लखविंदर सिंह स्टोन क्रशर बनाम भारत संघ के मामले में आया।
शिमला: हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने खनन रॉयल्टी पर वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लगाने के राज्य सरकार के अधिकार को सही ठहराया है। यह फैसला मैसर्ज लखविंदर सिंह स्टोन क्रशर बनाम भारत संघ के मामले में आया। न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान और न्यायमूर्ति सत्येन वैद्य की पीठ ने खनिज रियायत धारकों द्वारा दायर की गई रॉयल्टी भुगतान पर जीएसटी लगाने को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज किया है। उच्च न्यायालय ने रॉयल्टी भुगतान को सेवाओं की आपूर्ति के रूप में चिह्नित करते हुए कहा कि यह भुगतान जीएसटी के तहत आता है, जैसा कि हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने मिनरल एरिया डिवैल्पमैंट अथॉरिटी बनाम मैसर्ज स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया के फैसले में स्पष्ट किया था।
पर्यटन निगम को घाटे में चल रही संपत्तियों का लेखा-जोखा पेश करने के आदेश
उच्च न्यायालय ने पर्यटन विकास निगम को घाटे में चल रही संपत्तियों का विस्तृत लेखा-जोखा पेश करने के आदेश दिए हैं। अदालत ने सेवानिवृत्त कर्मचारियों के सेवा लाभों का भुगतान न किए जाने पर निगम को फटकार लगाई। न्यायाधीश अजय मोहन गोयल ने निगम से सेवानिवृत्त कर्मचारियों को ग्रैच्युटी, लीव एनकैशमैंट और अन्य वित्तीय लाभ न दिए जाने पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की।
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