Edited By Rahul Singh, Updated: 01 Sep, 2024 11:32 AM
प्रदेश में लॉटरी पर भले ही प्रतिबंध हो, लेकिन इसके विकल्प के तौर पर सीमावर्ती जिलों में दड़े सट्टे का अवैध कारोबार खूब पनप रहा है। वर्षों से एक रुपए के बदले 90 रुपए देने का झांसा देकर लोगों को लूटा जा रहा है। प्रतिबंध के बावजूद यह कारोबार करोड़ों...
ऊना, (सुरेन्द्र शर्मा): प्रदेश में लॉटरी पर भले ही प्रतिबंध हो, लेकिन इसके विकल्प के तौर पर सीमावर्ती जिलों में दड़े सट्टे का अवैध कारोबार खूब पनप रहा है। वर्षों से एक रुपए के बदले 90 रुपए देने का झांसा देकर लोगों को लूटा जा रहा है। प्रतिबंध के बावजूद यह कारोबार करोड़ों रुपए तक पहुंच चुका है। इससे न केवल गरीब और मजदूर कंगाल हो रहे हैं, बल्कि बिचौलिए मालामाल हो रहे हैं। यह दड़े सट्टे का कारोबार अब विकराल रूप धारण कर चुका है। बदलते हुए तकनीकी युग में इसका फायदा सट्टे का कारोबार चलाने वाले लोग उठा रहे हैं। करोड़ों रुपए का यह कारोबार जगह-जगह चल रहा है।
लचीले और वर्षों पुराने गैम्बलिंग एक्ट के तहत ही पुलिस केस दर्ज कर रही है। यह केवल औपचारिकता मात्र है। ऊना जिला वर्षों से दड़े सट्टे की हब रहा है। यानी दड़ा-सट्टा कारोबार के रूप में स्टोरियों और इसका कारोबार चलाने वालों के लिए उपजाऊ भूमि के रूप में रहा है। सरकार को अंदाजा भी नहीं है कि यह कारोबार कितना। बड़ा रूप धारण कर चुका है। कोई दौर था जब यह अवैध कारोबार दिल्ली से संचालित होता था। अब जगह-जगह इसके केन्द्र बन चुके हैं। इसमें फंसने वाले मजदूर, गरीब और बच्चे हैं जो एक रुपए के बदले में 90 रुपए हासिल करने की होड़ में अपनी कमाई का काफी हिस्सा इसमें झोंक रहे हैं। हर रोज की निराशा और फिर अगले दिन की आशा की उम्मीद लिए सट्टा लगा रहे हैं।
सट्टे के कारोबार में कहीं भी पारदर्शिता नहीं है। यानी न तो सट्टा लगाने वालों को पता है कि 100 में से कौन-सा नम्बर किस तौर तरीके से पारदर्शिता पूर्ण निकाला जा रहा है और न ही इसके कारोबार करने वाले इसका खुलासा करते हैं। सट्टे में एक से 100 अंक तक कोई एक अंक बताकर सट्टा कारोबारियों को उसकी एवज में राशि देनी होती है। वायदा किया जाता है कि एक रुपए के बदले 90 मिलेंगे। 2 दशक तक केवल दिन में एक ही आवाज आती थी लेकिन अब समय बदलते हुए दिन में 5-5 बार यह आवाजें आ रही हैं। यानी दिन में 5-5 बार सट्टे के नम्बर आ रहे हैं।
पुलिस 1-2 केस पकड़कर कर रही खानापूर्ति
प्रतिबंध का फायदा स्टोरिए उठा रहे हैं। जिनके पास कोई कारोबार नहीं, वे इस कारोबार में जुटे हुए है। लॉटरी सिस्टम बंद होने के चलते यह विकल्प हिमाचल में चलाया जा रहा है। पुलिस हर रोज 1-2 केसों की खानापूर्ति कर अपनी परफॉर्मेंस बढ़ा रही है, लेकिन इस अवैध कारोबार को ध्वस्त करने में कोई भी कारगर कदम नहीं उठाए जा रहे हैं। दहे-सट्टे के अड्डों पर नशेड़ियों की भी भरमार है और यह कारोबार कई और गतिविधियों को जन्म दे रहा है।
50 रुपए के महज जुर्माने में छूटते हैं आरोपी
पुलिस अभी भी जुआ अधिनियम की धारा 13ए-3-67जी के तहत केस दर्ज करती है। अंग्रेजों के जमाने में यानी 1867 का यह पब्लिक गैबलिंग एक्ट है, जिसमें कहा गया है कि इस मामले में पकड़े गए आरोपी से 50 रुपए से अधिक का जुर्माना नहीं लिया जा सकता है। इसमें केवल एक महीने से अधिक की सजा भी नहीं हो सकती है। अब शायद ही किसी व्यक्ति को इस धारा के तहत सजा हुई हो, क्योंकि इसमें केस को साबित करना व गवाहों को कायम रखना पुलिस के लिए एक चुनौती होती है।
आरोपी की डायरी में दर्ज थे नजराना लेने वाले पुलिस कर्मियों व अधिकारियों के नाम
कुछवर्ष पूर्व जिला ऊना में पुलिस ने दहे- सट्टे के अवैध कारोबार को खत्म करने को अभियान चलाया था। एक सट्टा कारोबारी को जब पकड़ा गया तो उसके पास से एक डायरी बरामद की गई, जिसमें कई राज पढ़कर पुलिस के अधिकारी भी स्तब्ध रह गए। इस पकड़े गए कारोबारी की डायरी में कई पुलिस कर्मियों व अधिकारियों के भी नाम दर्ज थे, जिन्हें नजराना दिया जाता था। हालांकि यह मामला बाद में रफा-दफा कर दिया गया था।
सट्टे सहित सभी अवैध गतिविधियों के खिलाफ पुलिस कार्रवाई करती है। पुलिस ने वर्ष 2023 में 176 दडे-सट्टे के मामले तो वर्ष 2024 के जुलाई माह तक 57 केस दर्ज किए है। पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ कानून अनुसार कार्रवाई अमल में लाई है। पुलिस लगातार ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई करती है, जो दहे-सट्टे के कार्य में लगे होते हैं।