Manav Bharti University में डिग्री फर्जीवाड़े मामले में मनी लॉन्ड्रिग की जांच शुरू

Edited By Naresh Pal, Updated: 31 Oct, 2020 07:11 PM

ed begins investigation of money laundering in fake degree case

प्रवर्तन निदेशालय ने मानव भारती विवि में सामने आए डिग्री फर्जीवाड़े मामले में मनी लॉन्ड्रिग की जांच शुरू कर दी है निदेशालय मनी लॉन्ड्रिग रोकथाम एक्ट 2002 के तहत इस मामले की जांच कर रहा है। मानव भारती चौरिटेबल ट्रस्ट, मानव भारती विवि के अलावा विवि के...

सोलन (नरेश पाल): प्रवर्तन निदेशालय ने मानव भारती विवि में सामने आए डिग्री फर्जीवाड़े मामले में मनी लॉन्ड्रिग की जांच शुरू कर दी है। निदेशालय मनी लॉन्ड्रिग रोकथाम एक्ट 2002 के तहत इस मामले की जांच कर रहा है। मानव भारती चौरिटेबल ट्रस्ट, मानव भारती विवि के अलावा विवि के चांसलर व उनके परिवार के 5 सदस्यों के अलावा 2 अन्य लोगों के खिलाफ ईडी ने जांच शुरू कर दी है। इसके कारण 7 लोगों के साथ-साथ मानव भारती चैरिटेबल ट्रस्ट व मानव भारती विवि की मुश्किलें बढ़ गई है।

हालांकि प्रदेश सरकार ने इस मामले की जांच सीआईडी को सौंपी हुई है लेकिन प्रवर्तन निदेशालय मनी लॉन्ड्रिग के एंगल पर इस मामले की जांच कर रहा है। प्रवर्तन निदेशालय ने उपायुक्त सोलन से विवि की जमीन से सम्बन्धित रिकाॅर्ड मांगा है। प्रवर्तन निदेशालय की उपनिदेशक शिमला प्रिय रंजन श्रीवास्तव ने उपायुक्त सोलन को पत्र लिखकर विवि की भूमि की सेल व रजिस्ट्रड डीड, जमाबंदी व इंतकाल के साथ- साथ विवि की संपति का वर्तमान स्टेटस व वैल्यू के अलावा जमीन का सर्कल रेट का रिकार्ड मांगा है।

मानव भारती विवि में मार्च महीने में फर्जी डिग्रियों का मामला सामने आया था। डिग्री फर्जीवाड़े का बड़ा  मामला देखते हुए सरकार ने एस.आई.टी. गठन किया। प्रारम्भिक जांच में यह लाखों को फर्जी डिग्री जारी करने का बताया जा रहा था लेकिन पुलिस के हाथ अभी कुछ फर्जी डिग्री ही लगी है। एस.आई.टी. की जांच में यह खुलासा हुआ था कि विवि के एजेंट देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी फैले हुए है। एसआईटी ने अब इन एजेंटों को पकडऩे की योजना है। एस.आई.टी. ने इसके लिए जम्मू में दबिश दी है। इन एजेंटों ने अपने शिक्षण संस्थान भी खोले हुए थे जिसके माध्यम से यह कारोबार चलता था।

सूत्रों का कहना है कि निजी विवि विनियामक आयोग ने एस.आई.टी. को 130 डिग्रियां जांच के लिए भेजी थी, जो सभी फर्जी पाई गई है। एस.आई.टी. अब इन डिग्री धाराकों से भी पूछताछ करेगा।  मानव भारती विवि की डिग्री पर विदेशों में भी बहुत से लोगों की नौकरियां लगी है। यह मामला सामने आने के बाद अब विदेशों से भी इन डिग्रियों को जांच के लिए भेजा जा रहा है। ऐसी 20 डिग्रियां जांच के लिए भेजी गई है। इससे पूर्व मुम्बई की एक कंपनी ने 26 डिग्री की जांच के लिए एसआईटी को भेजी है। इस मामले आने वाले दिनों में कई और खुलासे होने है। 

मानव भारती विश्वविद्यालय में डिग्री फर्जीवाड़े में विवि के मालिक व अधिकारीही नहीं बल्कि देश भर में फैले एजेंट भी मालामाल हुए है। विवि में पिछले कई वर्षों से फल फूल रहे इस धंधे के चलते ही एजेंटों ने भी अपने शिक्षण संस्थान खोल दिए थे। इन संस्थानों के माध्यम से विवि की फर्जी डिग्री का कारोबार चल रहा था। इस मामले की जांच कर रही एसआईटी को कई ऐसे संस्थानों का पता चला है। 

वर्ष 2006 में उन्होंने मानव भारती चैरिटेबल ट्रस्ट का गठन किया तथा तहसीलदार के पास इसका रजिस्टे्रशन किया। 2006 में उन्होंने इस ट्रस्ट के नाम पर उन्होंने सुल्तानपुर में 30 बीघा जमीन खरीद ली। वर्ष 2009 में उन्हे मानव भारती विवि की अुनमति मिल गई। कुछ समय तक करनाल के दयाल से विवि चली, वहीं पर ही विवि का कार्यालय खोल दिया। अब यह देखना दिलचस्प हो गया है कि प्रवर्तन  निदेशालय की जांच में आने वाले दिनों में क्या -क्या खुलासे होते हैं।
 

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