लापरवाही कहीं पड़ न जाए भारी, यहां बिना अनुमति कलाकेंद्र में उड़ रहे ड्रोन

Edited By Punjab Kesari, Updated: 13 Mar, 2018 01:20 PM

drone flying here without permission

बिना अनुमति के सांस्कृतिक कार्यक्रम में ड्रोन उड़ाना किसी हादसे को आमंत्रण दे सकता है। इन दिनों यहां कालेज के विदाई समारोह के आयोजन किए जा रहे हैं। इस दौरान छात्र कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए कई तरह के हथकंडे अपना रहे हैं, वहीं शनिवार को लालचंद...

कुल्लू : बिना अनुमति के सांस्कृतिक कार्यक्रम में ड्रोन उड़ाना किसी हादसे को आमंत्रण दे सकता है। इन दिनों यहां कालेज के विदाई समारोह के आयोजन किए जा रहे हैं। इस दौरान छात्र कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए कई तरह के हथकंडे अपना रहे हैं, वहीं शनिवार को लालचंद प्रार्थी कलाकेंद्र में छात्र संगठन का कार्यक्रम मनाया गया जिसमें स्टिल फोटोग्राफी व वीडियोग्राफी से तो कार्यक्रम को कवर किया गया लेकिन इस कार्यक्रम के दौरान ड्रोन कैमरे के द्वारा भी कार्यक्रम को कवर किया गया जिसमें कानूनी औपचारिकताओं की अवहेलना की गई तो दूसरी ओर प्रशासन मूक बना रहा।

क्या है ड्रोन
इसे आप एक ऐसा रोबॉट कह सकते हैं जो उड़ सकता है। अमूमन 4 पंखों से लैस ड्रोन बैटरी के चार्ज होने पर लंबी उड़ान भर सकते हैं। इन्हें एक रिमोट या खासतौर पर बनाए गए कंट्रोल रूम से उड़ाया जा सकता है। ड्रोन का मतलब है नर मधुमक्खी। असल में यह नाम उडऩे के कारण ही इसे मिला है। यह बिल्कुल मधुमक्खी की तरह उड़ता है और एक जगह पर स्थिर रहकर मंडरा भी सकता है। ड्रोन का इस्तेमाल पहली बार पहले विश्व युद्ध में ऑस्ट्रिया ने वेनिस पर बम बरसाने के लिए किया था, तब इन्हें फ्लाइंग बम कहा गया था।

हमारे लिए नया है ड्रोन
भारत के लिए ड्रोन और ड्रोन का उपयोग दोनों ही शुरूआती अवस्था में हैं। यहां ड्रोन बनाने वाली ज्यादातर कंपनियां मुश्किल से 5 साल पुरानी हैं और सभी में एक बात कॉमन है कि उनके पास ज्यादातर काम सरकारी एजैंसियों का है। यह प्रोफाइल भी इन्हें दुनिया की बाकी मार्कीट से अलग बनाता है। जहां यूरोप और अमरीका में ड्रोन का इस्तेमाल प्राइवेट इंडस्ट्रीज धड़ल्ले से कर रही हैं, वहीं भारत में बिजनैस का बड़ा हिस्सा सरकारी एजैंसियों से आता है। ज्यादातर काम सर्वे का है। मिसाल के तौर पर रेलवे इससे अपने ट्रैक के आसपास की जमीन का सर्वे करवाती है। राज्य सरकारों की एजैंसियां जंगलों और हरियाली का सर्वे करवाती हैं।

दुनिया भर में ड्रोन का बोलबाला
ड्रोन की डिमांड की बात करें तो आज यह बिलियन डॉलर इंडस्ट्री में तबदील हो चुकी है। सर्वे से लेकर वेयर हाऊस मैनेजमैंट से लेकर सीमा की निगरानी और बम गिराने तक इसका उपयोग हो रहा है।

कानून ने किया लिमिट
ड्रोन बड़े काम की चीज है तो इसके खतरे भी कम नहीं हैं। सुरक्षा के लिए इसे हमेशा से बड़ा खतरा माना जाता रहा है। ऐसे में इसके निर्माण और उपयोग को कानूनी दायरे में लाना जरूरी था। इसके लिए रूल्स और रैगुलेशन्स की पहल करके सरकार ने जता दिया है कि वह सही रास्ते पर है। सरकार ने ड्रोन को रेग्युलेट करने के लिए उसे 5 सैग्मैंट में बांटा है और हरेक के उड़ान के लिए नियम बनाने का प्रस्ताव रखा है। 5 सैग्मैंट नैनो, माइक्रो, मिनी, स्मॉल और लॉर्ज शामिल हैं। 

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