Una: धर्म सिंह गोला बेचकर कर रहे परिवार का गुजारा, 1991 में शुरू किया था कार्य

Edited By Rahul Singh, Updated: 24 Aug, 2024 02:55 PM

dharam singh is supporting his family by selling shells

बर्फ का गोला नाम सुनते ही बचपन की कई खट्टी-मीठी यादें ताजा हो जाती हैं। अब जहां धीरे- धीरे गोला बनाने की परम्परा विलुप्त होती जा रही है, वहीं इसे निक्कू नंगल (पंजाब) के 65 वर्षीय धर्म सिंह जिंदा रखे हुए हैं। उनके लिए यही रोजगार का जरिया है। वह...

ऊना, (मनोहर लाल): बर्फ का गोला नाम सुनते ही बचपन की कई खट्टी-मीठी यादें ताजा हो जाती हैं। अब जहां धीरे- धीरे गोला बनाने की परम्परा विलुप्त होती जा रही है, वहीं इसे निक्कू नंगल (पंजाब) के 65 वर्षीय धर्म सिंह जिंदा रखे हुए हैं। उनके लिए यही रोजगार का जरिया है। वह गांव-गांव, जिला में लगने वाले मेलों व अन्य स्थानों पर गर्मियों के मौसम में गोले बेचकर अपना गुजारा कर रहे हैं। धर्म सिंह ने बताया कि जब उन्होंने बर्फ का गोला बनाकर बेचने का कार्य शुरू किया था तो उस समय इसकी कीमत 25 पैसे थी। इसके बाद धीरे-धीरे इसके दाम बढ़ते गए।

इस समय वह 10 रुपए में यह गोला बनाकर बेचते हैं। यदि किसी बच्चे के पास 10 रुपए न हों तो वह 5 रुपए में भी इसे बच्चों की खुशी के लिए दे देते हैं। उन्होंने कहा कि वह केवल नंगल (पंजाब) में ही नहीं, बल्कि जहां भी दिल करता है, वहां चले जाते हैं। इससे प्रतिदिन 500 रुपए से अधिक आमदनी हो जाती है। बरसात के दिनों में कई बार इतनी आमदनी नहीं होती लेकिन जो मिल जाए, उसे प्रभु की कृपा मानते हैं। 

शादी समारोह में भी करते हैं गोला बनाने का कार्य

धर्म सिंह ने बताया कि उसके 2 बेटे व 2 बेटियां हैं। 2 बेटियों व एक बेटे की शादी कर दी है। उन्होंने बताया कि जिस बेटे की शादी की है, वह विदेश में कार्य करता है। एक बेटा अक्षम है और वह चलने-फिरने में असमर्थ है। उन्होंने बताया कि आज वह गोले बेचने के लिए बाथड़ी जा रहे थे लेकिन खराब मौसम की वजह से वह ऊना से होते हुए घालूवाल के समीप पहुंच गए। वह शादी समारोह में भी यह कार्य करते हैं और वहां अच्छी आमदनी हो जाती है।

स्कूल समय में मिली थी गोला बनाने की प्रेरणा

धर्म सिंह शनिवार को जिला मुख्यालय के साथ लगते स्वां नदी के समीप घालूवाल में बर्फ के गोले बनाकर बेच रहे थे। उन्होंने बताया कि बर्फ का गोला बनाने की प्रेरणा स्कूल समय में मिली थी, जब उनके स्कूल के बाहर सलोह- भदसाली का एक व्यक्ति गोले बनाकर बेचता था। उसने वर्ष 1991 में इस कार्य को शुरू किया। इसके बाद वह कुछ समय के लिए विदेश भी चला गया, लेकिन वापस आकर फिर उसने यह कार्य शुरू कर दिया। उन्होंने बताया कि गर्मियों के मौसम में तो वह बर्फ के गोले बनाकर गुजारा कर लेता है लेकिन सर्दियों में सब्जियां व अन्य सामान की फेरी लगाकर रोजी-रोटी कमाता है।

 

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