Edited By Vijay, Updated: 18 Dec, 2022 09:19 PM

कुल्लू जिले के ऊझी घाटी स्थित अलेऊ के आराध्य देवता सृष्टि नारायण ने मणिकर्ण तीर्थ स्थल में रविवार को लगभग 12 वर्षों के बाद शाही स्नान किया। इस दौरान देवता के कारकूनों सहित श्रद्धालुओं ने भी आस्था की डुबकी लगाई। शाही स्नान के लिए देवता शनिवार को पीणी...
कुल्लू (गीता): कुल्लू जिले के ऊझी घाटी स्थित अलेऊ के आराध्य देवता सृष्टि नारायण ने मणिकर्ण तीर्थ स्थल में रविवार को लगभग 12 वर्षों के बाद शाही स्नान किया। इस दौरान देवता के कारकूनों सहित श्रद्धालुओं ने भी आस्था की डुबकी लगाई। शाही स्नान के लिए देवता शनिवार को पीणी गांव से मणिकर्ण के लिए हुए रवाना हुए थे। शनिवार रात को देवता ने मणिकर्ण में रात्रि विश्राम किया। रविवार सुबह शाही स्नान से पहले देवता ने देव परंपराओं का निर्वहन किया। इस दौरान ढोल-नगाड़ों व नरसिंगों की स्वरलहरियों से पूरा माहौल गूंज उठा। कई श्रद्घालुओं ने इस अवसर पर देवता से आशीर्वाद प्राप्त किया। बता दें कि देवता सृष्टि नारायण 14 दिसम्बर को लाव-लश्कर के साथ अपने देवालय से हारियानों सहित तीर्थ स्थल की ओर रवाना हुए हैं।
पीणी में माता भागासिद्ध के साथ हुआ भव्य मिलन
इस दौरान देवता का जगह-जगह ठहराव भी हुआ। शुक्रवार को देवता मणिकर्ण घाटी के पीणी गांव पहुंचे थे। वहीं शुक्रवार शाम को पीणी गांव में रात्रि ठहराव किया। माता भागासिद्ध पीणी के पुजारी मोहर सिंह ने कहा कि पीणी गांव पहुंचने पर देवता सृष्टि नारायण का अपनी बहन माता भागासिद्ध के साथ भव्य मिलन हुआ। शनिवार को देवता सृष्टि नारायण माता भागासिद्ध के आदेश के बाद शाही स्नान के लिए हारियानों संग मणिकर्ण के लिए रवाना हुए। वहीं शाही स्नान के बाद देवता अपने देवालय की ओर रवाना हो गए हैं। रविवार रात को देवता ने कसोल में रात्रि ठहराव किया। उन्होंंने कहा कि सोमवार को देवता पीणी गांव पहुंचेंगे।
इसलिए करवाया जाता है शाही स्नान
पुजारी मोहर सिंह ने कहा कि घाटी के देवी-देवताओं के मोहरे, नए रथ या मंदिर निर्माण के बाद देव परंपरा अनुसार मणिकर्ण में शाही स्नान करवाया जाता है। घाटी के देवी-देवता 5, 7 व 12 वर्षों के बाद ही मणिकर्ण तीर्थ स्थल में स्नान करते हैं।
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