आईआईटी मंडी से देश व प्रदेश को ढेर सारी उम्मीदें : जयराम

Edited By Vijay, Updated: 24 Feb, 2021 08:30 PM

country and state have lot of expectations from iit mandi

मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मंडी प्रदेश का सबसे प्रतिष्ठित संस्थान है जो प्रदेश और इस क्षेत्र के लोगों के लिए गौरव का विषय है। आईआईटी कमांद के उत्तरी परिसर में संस्थान के 12वें स्थापना दिवस कार्यक्रम की अध्यक्षता...

मंडी (ब्यूरो): मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मंडी प्रदेश का सबसे प्रतिष्ठित संस्थान है जो प्रदेश और इस क्षेत्र के लोगों के लिए गौरव का विषय है। आईआईटी कमांद के उत्तरी परिसर में संस्थान के 12वें स्थापना दिवस कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए उन्होंने कहा कि पिछले 12 वर्षों में संस्थान ने अभूतपूर्व प्रगति की है। इस संस्थान से प्रदेश के लोगों को ढेरों उम्मीदें हैं और उन्हें पूरा करना संस्थान का दायित्व है। उन्होंने आह्वान किया कि आईआईटी मंडी के शोधार्थी स्थानीय समाज के हित में भी रिसर्च करें, जिसका लाभ स्थानीय लोग भी उठा सकें। प्रदेश सरकार इस संस्थान में बेहतर कनैक्टीविटी और अन्य अधोसंरचना सुविधाएं प्रदान करने के लिए हर संभव सहायता प्रदान करेगी। इस संस्थान के पास 100 करोड़ रुपए से अधिक लागत की शोध परियोजनाएं हैं जो किसी भी संस्थान के लिए एक शानदार उपलब्धि है। उन्होंने कहा कि आईआईटी मंडी के कर्मचारियों और विद्यार्थियों की सुविधा के लिए टिहरी-कमांद सड़क का सुधारीकरण और स्तरोन्यन किया जाएगा, वहीं उहल पुल के निर्माण कार्य में तेजी लाई जाएगी और निर्धारित समय अवधि के भीतर इसे पूरा किया जाएगा।
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110 करोड़ से विकसित टैक्नोलॉजी इनोवेशन हब का लोकार्पण

मुख्यमंत्री ने इस मौके पर 110 करोड़ रुपए के निवेश के साथ विकसित टैक्नोलॉजी इनोवेशन हब का लोकार्पण तथा स्केङ्क्षलग द हाईट एन इंस्टीच्यूशनल बायोग्राफी पुस्तक का विमोचन भी किया। इसके अलावा मुख्यमंत्री ने आईआईटी मंडी के उत्तरी परिसर में स्थित केंद्रीय पुस्तकालय का लोकार्पण किया जिस पर 9.5 करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं। उन्होंने दक्षिणी परिसर में स्थित उन्नत अनुसंधान का दौरा किया और उत्तरी परिसर के विलेज स्क्वेयर में पौधारोपण भी किया।
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एसई सुनील कपूर सहित संकाय, कर्मचारी और विद्यार्थी सम्मानित

मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर सीपीडब्ल्यूडी में तैनात अधीक्षण अभियंता आईआईटी मंडी सुनील कपूर को बेहतरीन सेवाओं के लिए खास तौर पर सम्मानित किया। बता दें कि अधीक्षण अभियंता सुनील कपूर की देखरेख में ही यहां रिकार्ड समय में आईआईटी के भवनों का निर्माण हुआ है और शानदार डिजाइन से कैंपस सजा है। इसके अलावा संकाय, कर्मचारी और विद्यार्थियों को भी बेहतर प्रदर्शन के लिए पुरस्कृत किया। उन्होंने डाॅ. अमित जायसवाल, डाॅ. हितेश, डाॅ. अजय, डाॅ. राहुल, डाॅ. मौसमी, डाॅ. देविका सेठी, डाॅ. दलीप, डाॅ. मनोज, डाॅ. नरसा रेड्डी, डाॅ. राहुल और डाॅ. राजेश को शिक्षक पुरस्कार से सम्मानित किया जबकि मिलन, दौलत राम, दशमेश, नांगू राम, राम प्रकाश, नवीन, दिनेश, नवीश, विजय, हेम राज, सुच्चा सिंह, रविंद्र कुमार, हेम सिंह और माखन सिंह को कर्मचारी पुरस्कार से सम्मानित किया। आर्यन सिंह, सचित यादव और पार्थसारथी नायक को विद्यार्थी पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
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सांसद रामस्वरूप व विधायक जवाहर ने उठाईं मांगें

सांसद रामस्वरूप शर्मा ने कहा कि विभिन्न क्षेत्रों में अनुसंधान में आईआईटी मंडी का अपना एक विशेष नाम है जो गर्व का विषय है, वहीं विधायक जवाहर ठाकुर ने कहा कि इस संस्थान ने क्षेत्र में विकास की नई संभावनाएं तलाशी हैं तथा क्षेत्र को राष्ट्रीय मानचित्र पर भी लाया है। उन्होंने द्रंग क्षेत्र की सड़कों और पुलों के लिए धनराशि देने की मांग की जिसे मुख्यमंत्री ने मौके पर स्वीकृति देकर विभाग को प्राकलन तैयार करने के निर्देश दिए।

स्थापना के बाद संस्थान ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा : प्रो. अजीत कुमार चतुर्वेदी

आईआईटी मंडी के निदेशक प्रोफैसर अजीत कुमार चतुर्वेदी ने कहा कि वर्ष 2009 में आईआईटी मंडी की स्थापना के बाद इस संस्थान ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। इस दिन ने हमें यह अवसर दिया है कि हम संस्थान की उपलब्धियों के साथ असफलताओं पर भी विचार करें। कोविड-19 महामारी ने समाज और संस्थान के समक्ष चुनौती पेश की है लेकिन चुनौतियों को अवसरों में बदलने का अवसर भी दिया है। इस अवसर पर उन्होंने विद्यार्थियों और संकाय की विभिन्न उपलब्धियों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि संस्थान के स्टार्टअप और इंकुबेशन प्लान को प्रदेश सरकार की स्टार्टअप योजना का प्रोत्साहन मिला है। शुरूआती दौर में क्षेत्र के लोगों के पूर्ण सहयोग ने आईआईटी मंडी का विकास सुनिश्चित किया। विद्यार्थियों के महासचिव सचित यादव ने संस्थान की रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए कहा कि कोरोना महामारी ने संस्थान में पढ़ाई को प्रतिकूल रूप से प्रभावित किया है लेकिन इसने विद्यार्थियों तक पहुंचने के लिए प्रौद्योगिकी का श्रेष्ठतम उपयोग सुनिश्चित किया है।

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