Himachal: चूड़धार में वैशाख संक्रांति को खुलेंगे शिरगुल महाराज मंदिर के कपाट, अभी यात्रा के लिए करना होगा इंतजार

Edited By Vijay, Updated: 12 Apr, 2025 01:09 PM

churdhar

जिला शिमला और सिरमौर के प्रसिद्ध धार्मिक स्थल चूड़धार में स्थित शिरगुल महाराज मंदिर के कपाट करीब 5 माह बाद 13 अप्रैल यानी बैसाख संक्रांति पर खुल जाएंगे। इसको लेकर तैयारियां शुरू हो गई हैं। बैशाख संक्रांति पर मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना की परंपरा है।

नाहन (हितेश): जिला शिमला और सिरमौर के प्रसिद्ध धार्मिक स्थल चूड़धार में स्थित शिरगुल महाराज मंदिर के कपाट करीब 5 माह बाद 13 अप्रैल यानी बैसाख संक्रांति पर खुल जाएंगे। इसको लेकर तैयारियां शुरू हो गई हैं। बैशाख संक्रांति पर मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना की परंपरा है। हालांकि, स्थानीय प्रशासन की ओर से अभी यात्रा पर रोक नहीं हटी है। आधिकारिक तौर पर ये यात्रा एक मई से बहाल होगी। इस समय चूड़धार चोटी पर दिन का तापमान सामान्य है। हालांकि, रात के वक्त तापमान में गिरावट दर्ज हो रही है। अब मंदिर परिसर से बर्फ भी पिघल चुकी है। लिहाजा, वैशाख संक्रांति पर श्रद्धालु मंदिर में पूजा-अर्चना कर सकेंगे। वहीं, चूड़धार में बंद ढाबे और दुकानें भी अब शुरू हो जाएंगी। यात्रियों के ठहरने के लिए मंदिर की सराय में व्यवस्था शुरू होगी, लेकिन लंगर सेवा शुरू होने तक यात्रियों को खाने-पीने की व्यवस्था फिलहाल ढाबों में ही करनी पड़ेगी।

रास्तों में अभी दो से चार फुट बर्फ
चूड़धार जाने वाले रास्तों पर अभी जगह जगह दो से चार फुट बर्फ जमी हुई है। रास्तों में बर्फ जमी होने से फिसलन का ज्यादा खतरा बना हुआ है। लिहाजा, अभी यात्रा जोखिम भरी हो सकती है। ऐसे में प्रशासन ने भी लोगों से अपील की है कि अभी चोटी की यात्रा न करें।

यात्रा पर अभी रोक
एसडीएम चौपाल हेमचंद वर्मा ने बताया कि अभी यात्रा बहाली को लेकर आधिकारिक आदेश जारी नहीं किए गए हैं, लेकिन शिरगुल महाराज के मंदिर में वैशाख संक्रांति पर पूजा-अर्चना का विधि विधान है। लिहाजा, श्रद्धालु अपनी परंपराओं के अनुसार मंदिर पहुंचते हैं। चूड़धार यात्रा पर एक मई के बाद रोक हटती है। इस संदर्भ में 20 अप्रैल के बाद आधिकारिक आदेश जारी होंगे। उन्होंने चूड़धार पहुंचने वाले श्रद्धालुओं से अपील की कि वह पर्यावरण संरक्षण का विशेष ध्यान रखें। विशेष तौर पर साफ-सफाई बनाए रखें।

क्या कहते हैं स्वामी कमलानंद जी महाराज
चूड़धार चोटी पर तपस्या में लीन स्वामी कमलानंद जी महाराज ने बताया कि 13 अप्रैल को मंदिर के कपाट खोले जाएंगे। इसके बाद मंदिर में नियमित रूप से विधि पूर्वक पूजा-पाठ शुरू हो जाएगा। उन्होंने बताया कि एक दो दिन में मंदिर के पुजारी व पूरा स्टाफ चूड़धार पहुंचेगा। कुछेक ढाबा संचालक चूड़धार पहुंच गए हैं, जो अपना कारोबार शुरू करने से पहले ढाबों की मुरम्मत और रखरखाव के साथ साफ-सफाई में जुटे हैं। उन्होंने कहा कि मंदिर परिसर से बर्फ हट चुकी है, लेकिन अभी रास्तों में जगह-जगह बर्फ है। बर्फ पर रास्ता बना हुआ है, लेकिन फिर भी श्रद्धालुओं को सावधानी बरतने की आवश्यकता है। स्वामी कमलानंद जी महाराज ने कहा कि चूड़धार में मौसम अब काफी सुहावना है। दिन में गर्मी बढ़ रही है। रात के समय पारा नीचे लुढ़क रहा है। लिहाजा, जो भी चूड़धार आएं, वे यात्रा पर रोक हटने से पहले अपनी पूरी तैयारियों के साथ पहुंचें।

लाखों श्रद्धालुओं की आस्था का प्रतीक है चूड़धार
बता दें कि चूड़धार लाखों श्रद्धालुओं की आस्था का प्रतीक है। यहां स्वामी कमलानंद जी आश्रम के संंचालक भी हैं और साधक भी। कमलानंद जी महाराज यहां पिछले 25 वर्षों से तपस्या कर रहे हैं। हाड़ कंपा देने वाली सर्दी और 15-20 फुट बर्फ के बीच जहां कोई अकेला रहने की सोच भी नहीं सकता, वहां स्वामी जी वर्ष में कई महीने अकेले ही चोटी के बीच साधना में लीन रहते हैं। इस बीच पूरे मंदिर की देखरेख का जिम्मा भी वही संभालते हैं। यहां शिरगुल महाराज लाखों श्रद्धालुओं के आराध्य देव हैं। प्रति वर्ष लाखों की संख्या में लोग यहां मंदिर में शीश नवाने पहुंचते हैं।
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