तिब्बत को कब्जाने अब भाषा का सहारा ले रहा है चीन

Edited By prashant sharma, Updated: 13 Jun, 2021 12:10 PM

china is now taking recourse to language to capture tibet

तिब्बत को पूरी तरह से कब्जाने की दिशा में अग्रसर चीन ने अब तिब्बत में एक और नया पैंतरा खेल दिया है। इसके तहत अब चीन तिब्बत के लोगों को भाषीय आधार पर शिकस्त देना चाह रहा है, यानी चीन की भाषा को तिब्बत के लोगों पर पूरी तरह से थोंप कर वहां के लोगों को...

धर्मशाला (नृपजीत निप्पी) : तिब्बत को पूरी तरह से कब्जाने की दिशा में अग्रसर चीन ने अब तिब्बत में एक और नया पैंतरा खेल दिया है। इसके तहत अब चीन तिब्बत के लोगों को भाषीय आधार पर शिकस्त देना चाह रहा है, यानी चीन की भाषा को तिब्बत के लोगों पर पूरी तरह से थोंप कर वहां के लोगों को अपने रंग में रंग देना चाहता है ताकि आने वाले कल को वहां मौजूद कोई भी नस्ल न तो तिब्बत की आज़ादी की बात कर सके और न ही इस राष्ट्र की आधारभूत सरंचना और आत्मा को खोज सके। दरअसल वर्तमान में साल 2014 की जनगणना के मुताबिक तिब्बत की जनसंख्या 31 लाख 80 हज़ार के करीब है, जो कि तिब्बत की अपनी मूल भाषा का ज्ञान तो रखती है मगर अब उनका ज्यादातर पठन-पाठन मंदारिन भाषा में ही हो रहा है। इतना ही नहीं यहां तमाम सरकारी आदेश भी अब धीरे-धीरे मंदारिन भाषा में ही सुचारू हो रहे हैं, यहां सार्वजनिक स्थलों पर, यातायात सुविधाओं पर जो साइन बोर्ड दिखते हैं वो भी मंदारिन भाषा में ही नज़र आते हैं। जानकार बताते हैं कि चीन ये सब सोची-समझी साज़िश के तहत ही कर रहा है, वो आने वाली नस्ल को भी मंदारिन भाषा के रंग में रंगना चाह रहा है ताकि भविष्य में तिब्बत की मूल आत्मा यानी यहां की भाषा का विलुप्तीकरण किया जा सके। 

निर्वासित तिब्बत सरकार में पूर्व डिप्टी स्पीकर रह चुके और तिब्बत की आज़ादी के मूल क्रांतिकारी नेताओं में से एक आचार्य यशी फुंत्सोक ने कहा कि चीन ये सब कोई नया नहीं कर रहा। बीते 62 सालों से वो इसी तरह से एक-एक कर तिब्बत और तिब्बत की मूल संस्कृति और सभ्यता के साथ छेड़छाड़ कर उसे नष्ट करने पर तुला हुआ है। जिसका तिब्बत के अंदर और बाहर दुनिया में भी विरोध हो रहा है। बावजूद इसके चीन अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा वो निरन्तर कुछ न कुछ ऐसा कर रहा है जिससे तिब्बत को पूरी तरह से चीन का ही एक प्रांत बनाया जा सके। उन्होंने कहा कि इन दिनों चीन ने तिब्बत में पैदा होने वाली भावी पीढ़ी को अल्पसंख्यक जातियों के आधार पर बांट कर मंदारिन भाषा में ही शिक्षा देने का जो फ़ैसला लिया है वो बेहद निंदनीय है, इसकी वो घोर निंदा करते हैं। उन्होंने बताया कि चीन तिब्बत में विकास की बात करता है, तो फिर वो तिब्बत के इन अल्पसंख्यकों के बीच बोली जाने वाली उपभाषा को तरज़ीह देते हुये उनके अंदर तिब्बती भाषा का ज्ञान क्यों नहीं विकसित होने देना चाहता। उन्हें मंदारिन भाषा का ज्ञान किस आधार पर देना चाह रहा है, उसे अपनी मंशा दुनिया के सामने स्पष्ट करनी चाहिये। उन्होंने अपने तिब्बती समाज से अपील की है कि इस पहलू पर तिब्बत का पूरी तरह से विरोध होना चाहिये।
 

Related Story

Trending Topics

IPL
Royal Challengers Bengaluru

190/9

20.0

Punjab Kings

184/7

20.0

Royal Challengers Bengaluru win by 6 runs

RR 9.50
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!