Edited By Kuldeep, Updated: 31 Aug, 2024 06:34 PM
मणिमहेश यात्रा के दौरान शिलाजीत, केसर अन्य उत्पादों की भी खूब बिक्री हो रही है। नेपाल से आए विक्रेता भरमौर, हड़सर से लेकर डलझील तक अपने उत्पादों को बेच रहे हैं।
चम्बा (काकू): मणिमहेश यात्रा के दौरान शिलाजीत, केसर अन्य उत्पादों की भी खूब बिक्री हो रही है। नेपाल से आए विक्रेता भरमौर, हड़सर से लेकर डलझील तक अपने उत्पादों को बेच रहे हैं। बाहरी राज्यों के लोग इन उत्पादों को खूब पसंद कर रहे हैं और हाथों हाथ बिक्री हो रही है। नेपाल के जिला जुमला के नरेंद्र बहादुर ने बताया कि एक हफ्ते में 30 से 35 हजार रुपए तक का शिलाजीत व केसर बेच चुके हैं। वह यात्रियों के साथ-साथ डलझील तक पहुंच जाते हैं। इसी तरह से वहां से लौटकर भरमौर में भी अपने उत्पाद बेचते हैं। उन्होंने कहा कि वह हर वर्ष जन्माष्टमी पर्व के छोटे स्नान (न्हौण) से लेकर राधाष्टमी पर्व के बड़े न्हौण तक डेढ़ से दो लाख रुपए कमा लेते हैं।
उन्होंने बताया कि विशेषकर पंजाब, हरियाणा, दिल्ली व जम्मू-कश्मीर के लोग इसे बेहद पसंद करते हैं। वह बताते हैं कि शिलाजीत नेपाल के पहाड़ों में पाया जाता है। यात्रा से पहले वह इसे निकालते हैं। इसके लिए स्थान चिन्हित होते हैं। तय स्थान से ही वह अपने उत्पाद निकालते हैं। उनके पिता सुखदन भी यही कार्य करते हैं। इन उत्पादों को बेचने के अलावा वह खेतीबाड़ी भी करते हैं। यात्रा खत्म होने के बाद वह वापस घर लौट जाएंगे। मौजूदा समय में जिला मुख्यालय चम्बा में उनका क्वार्टर है उनके अन्य साथी वही रह रहे हैं।
सर्दियों में शरीर को गर्म रखने के लिए गुणकारी माना जाता है शिलाजीत
घटते तापमान के बीच लोग शरीर को गर्म रखने और तंदुरुस्त रहने के लिए विभिन्न औषधियों का सेवन करते हैं। सर्दियों में विशेषज्ञ की सलाह से शिलाजीत का सेवन अत्यंत गुणकारी माना जाता है। इन दिनों नेपाल से छोटे व्यापारी शिलाजीत सहित पहाड़ी केसर मणिमहेश यात्रियों को बेच रहे हैं। इन व्यापारियों का दावा है कि नेपाल के पहाड़ों से असली शिलाजीत लाकर बेचते हैं, लेकिन कई बार ग्राहक नकली माल के झांसे में आ जाते हैं।
ऐसे करें असली शिलाजीत की पहचान
नरेद्र बहादुर शिलाजीत 300 रुपए से 500 रुपए तोला के भाव से बेच रहे हैं। उन्होंने बताया कि असली शिलाजीत को रबड़ की तरह खींचा और मोड़ा जा सकता है। यह गहरे काले रंग का होता है और इसकी गंध तेज होती है। शिलाजीत को जलते हुए कोयलों के ऊपर रखें, धुंआ न उठे, पर यह बहने लग जाए। जब उसे जीभ पर रखें तो स्वाद कड़वा हो तब जानकार कहते हैं कि यह शिलाजीत असली है। शिलाजीत की शुद्धता समझने का एक और तरीका है शिलाजीत को पानी में डाल दें। अगर वह शुद्ध होगा तो तार की तरह फैलेगा। शिलाजीत में सामान्य तौर पर मिट्टी या पत्थर के चूरे जैसी मिलावटें होती हैं।